किसान आंदोलन का सकारात्मक समाधान निकाले सरकार : हुड्डा

Bhupendra Hooda sachkahoon

खाद की किल्लत को लेकर सरकार पर साधा निशाना

  • धान खरीद और उठान को लेकर भी उठाए सवाल

चंडीगढ़ (सच कहूँ/अनिल कक्कड़)। पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने एक बार फिर सरकार से किसान आंदोलन का सकारात्मक समाधान निकालने के लिए आग्रह किया। हुड्डा का कहना है कि किसानों को अपने घर-परिवार से दूर दिल्ली बॉर्डर और अलग-अलग धरनों पर बैठे हुए 11 महीने हो चुके हैं। किसानों की मांगें पूरी तरह जायज हैं। बावजूद इसके सरकार अपना अड़ियल रुख बदलने के लिए तैयार नहीं है। सरकार को बिना देरी के राष्ट्रहित में एवम अन्नदाता के सम्मान में एक कदम आगे बढ़ाते हुए फिर से बातचीत शुरू करनी चाहिए। लोकतांत्रिक व्यवस्था में जनता सर्वोपरि होती है। इसलिए आखिरकार हर बात का समाधान संवाद से ही निकल सकता है।

नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि प्रदेश में आज किसानों को हर स्तर पर हरियाणा गठबंधन सरकार की अनदेखी का खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। आज डीएपी खाद के लिए किसान मारे-मारे घूम रहे हैं। कई-कई घंटे, कई-कई दिन लंबी-लंबी कतारों में इंतजार करने के बाद भी किसानों को पुलिसिया साये में भी पर्याप्त खाद नहीं मिल पा रही। इसकी वजह से अगले फसली सीजन की बुआई में देरी हो रही है।

हुड्डा ने कहा कि सरकार ना बुआई के समय किसानों को खाद मुहैया करवा पा रही है और ना ही बिकवाली के वक्त किसानों को एमएसपी दे रही है। धान की खरीद में देरी और उठान नहीं होने की वजह से बड़ी तादाद में किसान एमएसपी से वंचित रह गए। उधर, सरकार ने बाजरा खरीदने से तो इंकार ही कर दिया। इसी तरह सरकार धीरे-धीरे करके एमएसपी से पीछा छुड़ाना चाहती हैं।

पशुधन भी निजी कंपनियों के भरोसे

हुड्डा ने कहा कि किसानों को पशुधन बीमा के लिए प्रेरित करने की खातिर कांग्रेस सरकार के दौरान हमने नाममात्र फीस में बीमा की योजना चलाई थी। लेकिन अब सरकार ने पशुपालकों को निजी कंपनियों के भरोसे छोड़ दिया है। जो बीमा पहले सरकार द्वारा महज 100 रुपए में होता था, उसके लिए निजी कंपनियां 3-3 हजार रुपए वसूल रही हैं। हुड्डा ने कहा कि किसानों को पहले की तरह सरकारी बीमा का लाभ दिया जाना चाहिए।

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