हरियाणा के छात्र पढ़ सकेंगे संस्कृत, पंजाबी व उर्दू

HBSE sachkahoon
नई शिक्षा नीति में व्यवस्था, हरियाणा बोर्ड के अंतर्गत सभी स्कूल पढ़ सकेंगे तीन भाषा मे से एक भाषा
  • अब संस्कृत, पंजाबी व उर्दू के भर्ती होंगे अध्यापक
  • पदोंनीति की भी होंगी सम्भावनाये

भिवानी (सच कहूँ/इन्द्रवेश)। हरियाणा के बच्चे नई शिक्षा नीति के तहत अब संस्कृत, उर्दू व पंजाबी में से कोई भी एक भाषा अपने मुताबिक पढ़ सकेंगे। (Bhiwani) इसके लिए बोर्ड आॅफ डायरेक्टर की मीटिंग में भी इस फैसले को ले के जल्द ही जाया जाएगा। इससे पहले बोर्ड स्तर पर अकडमिक ब्रांच की कमेटी में इसको पारित कर दिया गया गया है। शिक्षा मंत्री ने भी इसके लिए बोर्ड चैयरमेन को इसके लिए हरी झंडी दिखा दी है। बोर्ड चैयरमेन के अनुसार अब जल्द ही ये हरियाणा बोर्ड के अंतर्गत के स्कूलों में लागू होगा। इसके लिए आज संस्कृत महाविद्यालय में प्रदेश भर के संस्कृत अध्यापक एकत्रित हुए और उन्होंने बोर्ड चैयरमेन का धन्यवाद भी किया।

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वी ओ 1 आज प्रदेश भर के संस्कृत के अघ्यापक संस्कृत महाविद्यालय में एकत्रित हुए। संस्कृत अध्यापकों ने एकत्रित होकर बोर्ड चैयरमेन से मांग की है कि हरियाणा में त्री सूत्रीये फामूर्ला जल्द लागू किया जाए। जिस पर बोर्ड चैयरमेन ने इस फैसले को जल्द ही हरियाणा में लागू करने की बात की है। वही संस्कृत के प्रेमी भी काफी खुश है। उनका कहना है अब त्री सूत्री भाषा लागू होने के बाद तीनों सब्जेक्ट के लिए शिक्षक भर्ती होंगे साथ ही देश की संस्कृति भी जिंदा रहेगी।

वी ओ 2 हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड (HBSE) के चैयरमेन डॉ वीपी यादव ने बताया कि अकडमिक ब्रांच ने इसको पारित कर दिया है। जल्द ही बोर्ड आॅफ डायरेक्टर की बैठक में पारित होते ही प्रदेश भर के सैकंडरी व सीनियर सैकण्डरी के लगभग 6 लाख बच्चे संस्कृत, पंजाबी व उर्दू (Sanrit, Punjabi and Urdu) में से एक सब्जेक्ट पढ़ सकेंगे। बोर्ड चैयरमेन डॉ वीपी यादव के अनुसार नई शिक्षा नीति में त्रि सूत्रीये फामूर्ला है। शिक्षा मंत्री भी चाहते है की इसके तहत करवाई हो। उन्होंने बताया कि हरियाणा में बोर्ड आॅफ डायरेक्टर को मीटिंग के बाद जल्द ही इसे लागू किया जाएगा। जिससे 10वी व 12वी के लगभग 6 लाख बच्चे पढ़ सकेंगे।

बाइट बोर्ड चैयरमेन वीपी यादव

वी ओ 4 वही संस्कृत अकादमी के निदेशक दिनेश शास्त्री व संस्कृत हिंदी साहित्य आचार्य सुनील शाश्त्री ने बताया कि बोर्ड के इस फैसले का लंबे समय से इंतजार था। इसके बाद तीनो भाषा के शिक्षक भी भर्ती होंगे वही देश की संस्कृति भी जिंदा रहेगी।

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