रूह दी हनीप्रीत इन्सां ने महारहमोकर्म दिवस की ऐसे दी बघाई, जल्दी देखे

Honeypreet

सरसा। परम पिता शाह सतनाम जी महाराज का 63वां पावन एमएसजी महारहमोकर्म (गुरुगद्दीनशीनी) दिवस मंगलवार को डेरा सच्चा सौदा शाह सतनाम जी धाम में एमएसजी भंडारा साध-संगत श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाने जा रही है। सभी साध-संगत एक दूसरे को महारहमोकर्म दिवस की बधाई दे रही है। वहीं पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की बेटी ‘रूह दी’ हनीप्रीत इन्सां ने सभी साध-संगत को े महारहमोकर्म दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं दी।

गुरगद्दीनशीनी-28 फरवरी 1960:-

पूज्य बेपरवाह जी के निर्देशनुसार पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली आदि दूर-दूर स्थानों से साध-संगत हुम-हुमाकर डेरा सच्चा सौदा में आ गई थी। आप जी के सौ-सौ के नए-नए नोटों के लम्बे-लम्बे (सिर से पैरों तक) हार पहनाए गए। बिना छत वाली एक ओपन जीप-गाड़ी जिसे विशेष तौर पर सजाया गया था और जिसमें खूबसूरत कुर्सी भी सजाई गई थी, पूज्य सार्इं जी ने आप जी को उस कुर्सी पर विराजमान किया। उपरान्त साध-संगत को संबोधित करते हुए आदेश फरमाया, ‘सरदार सतनाम सिंह जी बहुत ही बहादुर हैं। इन्होेंने इस ‘मस्ताना’ गरीब के हर हुक्म को माना है और बहुत बड़ी कुर्बानी दी है। इनकी जितनी तारीफ की जाए, उतनी ही कम है। आज से हमने इन्हें अपना वारिस, खुद-खुदा, कुल-मालिक, अपना स्वरूप बना लिया है।’

ईलाही जुलूस शोभा यात्रा

पूज्य बेपरवाह मस्ताना जी महाराज ने साध-संगत को अपने पावन दिशा-निर्देश प्रदान करते हुए फरमाया कि सरसा शहर की हर गली, हर मुहल्लें में शोभा यात्रा निकालनी है। सभी साध-संगत ने इस ईलाही शोभा यात्रा में शामिल होना हे। पूरे जोर-शोर से ‘धन-धन सतगुरु तेरा ही आसरा’ के नारों के साथ दुनिया को बताना है कि हमने (शाह मस्ताना जी महाराज ने ) अपने रहबर सार्इं सावण शाह जी के हुक्म से श्री जलालआणा साहिब के सरदार सतनाम सिंह जी को आज डेरा सच्चा सौदा को ‘अपना उत्तराधिकारी बना दिया है।’

इस प्रकार पूज्य सार्इं जी के हुक्मानुसार सारे सरसा शहर में राम-नाम का डंका बजा, डेरा सच्चा सौदा की जय-जयकार हुई सार्इं जी के इस अदभुत ईलाही कार्य की खूब चर्चा हुई। शोभा यात्रा की वापसी पर पूज्य सार्इं जी ने डेरे के मुख्य द्वार पर खड़े होकर स्वयं स्वागत किया। सार्इं जी ने फरमाया, ‘सरदार सतनाम सिंह जी को आज आत्मा से परमात्मा कर दिया है।’ उस दिन सार्इं जी ने जुलूस में शामिल सारी संगत को पंक्तियों में बिठा कर खुद अपने पवित्र कर-कमलों से प्रसाद प्रदान किया और अपनी अपार खुशियां दी। इस तरह पूरी हुई गुरगद्दीनशीनी की रस्म:- उस दिन 28 फरवरी 1960 को पूज्य बेपरवाह शाह मस्ताना जी महाराज आश्रम में खूबसूरत सजी स्टेज पर विराजमान हुए और अनामी गोल गुफा से आप जी को बुलाकर लाने के लिए सेवादारों को हुक्म दिया। हुक्म पाकर दो सेवादार गोल गुफा की तरफ दौड़े, यह देखकर पूज्य सार्इं जी ने उन्हें रोककर फरमाया, ‘नहीं भाई, ऐसे नहीं! दस सेवादार पे्रमी इकट्ठे होकर जाओ और सरदार सिंह जी को पूरे सम्मान (आदर-सत्कार) के साथ स्टेज पर लेकर आओं।’

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