Jammu-Kashmir Encounter: आखिर कब तक होती रहेंगी कुर्बानियां ?

Jammu-Kashmir Encounter

Jammu-Kashmir Encounter: सामान्य जनजीवन की ओर लौट रहे जम्मू-कश्मीर में अमन शांति पड़ोसी देश पाकिस्तान (Pakistan) की आंखों में चुभ रही है। एक बार फिर पाक प्रेरित दहशतगर्दों ने खून खराबा कर माहौल बिगाड़ने की कोशिश की है। जम्मू-कश्मीर में पिछले 3 दिनों में आतंकियों से हुए 2 एनकाउंटर में 3 अफसर और 2 जवान शहीद हो गए जबकि एक सैन्य डॉगी ने भी शहादत दी है। अभी एक जवान लापता है। बुधवार 13 सितंबर को अनंतनाग में मुठभेड़ के दौरान सेना के कर्नल मनप्रीत सिंह, मेजर आशीष ढोंचक और कश्मीर पुलिस के डीएसपी हुमायूं भट्ट शहीद हो गए। Jammu-Kashmir Encounter

आपको बता दें कि ताजा वारदात जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग में बौखलाए आतंकियों के साथ एनकाउंटर में कर्नल मनप्रीत सिंह, मेजर आशीष और जम्मू कश्मीर पुलिस के डिप्टी एसपी हुमायूं भट ने देश सेवा में अपने प्राण न्यौछावर कर दिए। तीनों ही वीरों की काफी प्रेरणादायक वीरगाथा है। कोई उस यूनिट का हिस्सा रहा जिसने बुरहान वानी का अंत किया तो एक को बीते साल सेवा मेडल से सम्मानित किया गया था। बताया जा रहा है कि 12 और 13 सितंबर को ऐसे इनपुट मिले थे कि अनंतनाग में कुछ आतंकी छिपे हुए हैं। Jammu-Kashmir Encounter

उस इनपुट के आधार पर ही सेना और पुलिस दोनों जमीन पर सक्रिय हो गईं और उनकी तरफ से एक संयुक्त आॅपरेशन चलाया गया। अब जिस समय तलाशी अभियान चलाया गया, कुछ आतंकियों ने अचानक से फायरिंग कर दी और उस गोलीबारी में कर्नल मनप्रीत सिंह, मेजर आशीष और जम्मू कश्मीर पुलिस के डिप्टी एसपी हुमायूं भट गंभीर रूप से जख्मी हो गए। उन्हें तुरंत अस्पताल में भर्ती करवाया गया, लेकिन खून इतना बह चुका था कि तीनों में से किसी भी वीर सपूत को नहीं बचाया जा सका।

जी 20 देशों के प्रतिनिधियों के कश्मीर दौरा करने और वहां सफलता पूर्वक बैठक आयोजित करने के बाद विदेशी ताकतों के ईशारे पर कश्मीर में आतंकवाद की आग दहकाने की साजिश की जा रही है। शांति की ओर लौट रहे कश्मीर में पिछले तीन साल में यह सबसे बड़ा हमला है, जिसमें इतने बड़े अफसरों की शहादत हुई है। इससे पहले कश्मीर के हंदवाड़ा में 30 मार्च 2020 को 18 घंटे चले हमले में कर्नल, मेजर और सब-इंस्पेक्टर समेत पांच अफसर शहीद हुए थे।

इस साल अब तक राजौरी-पुंछ जिले में सुरक्षाबलों ने 26 आतंकियों को मार गिराया है। 10 सुरक्षाकर्मी भी शहीद हुए हैं। सुरक्षा बलों ने 9 अगस्त को 6 आतंकी पकड़ लिए थे। इस के अलावा कश्मीर पुलिस और इंडियन आर्मी ने जॉइंट आॅपरेशन के दौरान 15 अगस्त से पहले 6 आतंकियों को गिरफ्तार किया था। इनके पास से गोला-बारूद और हथियार बरामद किए गए थे। पहला मामला 9 अगस्त की रात का है, जहां कोकेरनाग के एथलान गडोले में तीन आतंकी पकड़े गए। मुठभेड़ के दौरान सेना के जवान समेत 3 लोग घायल हुए।

दूसरा मामला बारामुला के उरी का है, जहां सुरक्षाकर्मियों ने लश्कर के 3 आतंकी पकड़े। इनके खिलाफ यूएपीए और आर्म्स एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया। इस साल जनवरी से अब तक जम्मू-कश्मीर में 40 आतंकी मारे गए हैं। इनमें 8 ही स्थानीय थे और बाकी सभी विदेशी थे। अनंतनाग आॅपरेशन में सेना के एक मादा लैबराडोर डॉगी ने भी शहादत दी है। सेना के अधिकारी के हवाले से बताया गया है कि एनकाउंटर में शहीद हुए आर्मी डॉग का नाम केंट था। उसने मुठभेड़ के दौरान अपने हैंडलर को बचाया और खुद शहीद हो गया।केंट आतंकियों की तलाश करने के लिए जवानों की एक यूनिट का नेतृत्व कर रहा था। इस दौरान उसे गोली लग गई थी।

अनन्त नाग एनकाउंटर में सर्वोच्च बलिदान देने वाले शहीद कर्नल मनप्रीत सिंह मात्र 41 साल के थे। शहीद कर्नल मनप्रीत सिंह मूल रूप से पंजाब के भरऊजान गांव के रहने वाले थे। उनका परिवार वर्तमान में हरियाणा के पंचकूला में रह रहा था। साल 2003 में मनप्रीत ने अपना एनडीए पूरा किया था और फिर 2005 में वह सेना में शामिल हो गए। सबसे बड़ी बात यह है कि उनके दादा और पिता ने भी सेना में सेवा दी। दोनों ने ही सेना में सिपाही के रूप में कई सालों तक सेवा की । इस समय मनप्रीत अपने पीछे अपनी पत्नी, एक सात साल का बेटा और एक डेढ़ साल की बेटी को छोड़ गए हैं।

अनन्तनाग में शहीद मेजर आशीष धोनैक को इसी साल 15 अगस्त को सेवा मेडल से सम्मानित किया गया था। वे 19 राष्ट्रीय राइफल्स के साथ जुड़े हुए थे और पूरी शिद्दत और बहादुरी के साथ अपनी देश सेवा कर रहे थे। आशीष पानीपत के बिंझौल गांव के निवासी थे। वे अपनी तीन बहनों के इकलौते भाई और छह महीना पहले ही छुट्टी लेकर घर आए थे। अब किसे पता कि वो मेजर आशीष धोनैक की आखिरी छुट्टी साबित होगी और वो उनकी परिवार के साथ आखिरी मुलाकात रहेगी।

शहीद डिप्टी एसपी हुमायूं भट्ट जम्मू-कश्मीर पुलिस में कार्यरत थे। उनके पिता भी जम्मू-कश्मीर पुलिस में ही डीआईजी रैंक के अफसर थे। हुमांयू 2018 बैच के एक नौजवान अधिकारी थे जो दिमाग से तेज और हिम्मत से भरपूर थे। पिछले साल ही उनकी शादी हुई थी और कुछ समय पहले ही उन्हें पिता बनने का सौभाग्य भी मिला था। लेकिन अब एक साल के अंदर में वो पत्नी भी विधवा हो गई और बच्चा भी अनाथ हो गया।

सवाल उठ रहा है कि आखिर देश के जवानों को कब तक पाक समर्थित आतंक का सामना करते हुए खून बहाना पड़ेगा? तमाम अंतरराष्ट्रीय मंचों पर बेहतर कूटनीती के जरिए विश्व गुरु बनने का सपना संजो रही सरकार के सत्ताधारियों को दृढ़ता और गंभीरता से विचार करना होगा आखिर क्या वजह है कि देश पिछले 75 साल से पाकिस्तान द्वारा किए जा रहे छद्म युद्ध को झेल रहा है? इस समय तमाम देशभर से इस तरह की मांग की जा रही है कि अब समय आ गया है जब कश्मीर की शांति भंग करने के लिए पाकिस्तान को माकूल जवाब दिया जाए!

पाकिस्तान को उचित जवाब दिए बिना इस आतंकवाद पर नियंत्रण पाना काफी मुश्किल काम है। आखिर हमारे जवानों का खून इस तरह फिजूल में कब तक बेहतर रहेगा? यह भारत के सब्र की अति हो चुकी है। भारत की सहनशीलता का फायदा पड़ोसी मुल्क भारत में अस्थिरता फैलाने के लिए इस्तेमाल करता रहा है चीन और पाकिस्तान भारत में 20 समिट के सफल आयोजन और उसमें अमेरिका भारत समेत 8 देश के इकोनामिक कॉरिडोर बनाने के फैसले के बाद काफी परेशान हुए हैं।

भारत का अंतरराष्ट्रीय मंच पर बढ़ता कद पड़ोसी दुश्मन देशों के लिए परेशानी का सबक बना है इस सब को देखते हुए काफी संभावना है कि भारत में अस्थिरता फैलाने के लिए जम्मू कश्मीर और खालिस्तान के नाम पर आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ाने की कोशिश की जाएगी इसके प्रति सचेत होकर सुरक्षा की चाकचोबंद व्यवस्था करने की जरूरत है। वहीं पड़ोसी मुल्क को सख्त संदेश देने की जरूरत है यह संदेश सैन्य कार्यवाही और अन्य किसी नए रूप में भी हो सकता है लेकिन थोथरी बयानबाजी से अब काम नहीं चलेगा। Jammu-Kashmir Encounter

मनोज कुमार अग्रवाल, लेखक व वरिष्ठ पत्रकार
(यह लेखक के अपने विचार हैं)

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