राजनीति में चर्चा, आलोचना व बगावत
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व प्रसिद्ध वकील कपिल सिब्बल ने बिहार चुनाव के बाद अपनी पार्टी की कार्यशैली पर सवाल उठाए हैं। सिब्बल को तीखा जवाब पार्टी के लोक सभा में नेता अधीर रंजन ने दिया है। रंजन ने कहा है कि सिब्बल को अलग पार्टी बना लेनी चाहिए। इससे पहले...
बढ़ती असहिष्णुता: प्रिय! हम बहुत संवेदनशील हैं
हमारे नेताओं को इस बात को देखना होगा कि किस तरह विश्व के नेता अधिक सहिष्ण्ुा हैं। राजनीतिक स्वतंत्रता के दो महत्वपूर्ण उदाहरण अमरीकी राष्ट्रपति हैं जिनका विश्व स्तर पर निर्ममता से उपहास किया गया और दूसरा उदाहरण इटली के पूर्व राष्ट्रपति प्लेब्वाय पीएम...
धर्म एक विचार है, जिसे नियंत्रित करना है असंभव
मध्य प्रदेश में ‘लव-जिहाद’ के खिलाफ कानून लाए जाने पर देश में एक राजनीतिक तूफान उठ रहा है। परन्तु यहां राजनीति से ज्यादा संवैधानिक पहलुओं को देखा जाना चाहिए। भारत एक धर्म निरपेक्ष राष्टÑ है यहां कोई भी नागरिक किसी भी धर्म में श्रद्धा रखे या श्रद्धा न...
कोरोना की गिरफ्त में देश का दिल दिल्ली
दुनिया के कई देशों में कोरोना वायरस(Coronavirus) का फिर से संक्रमण बढ़ गया है। इसके चलते यूरोप के कई देश फिर से लॉकडाउन लगा रहे हैं। पहले फ्रांस ने लॉकडाउन का एलान किया। उसने 1 दिसंबर तक लॉकडाउन कर दिया है। इंग्लैंड ने भी दोबारा लॉकडाउन लगा दिया है। द...
शंघाई सहयोग संगठन शिखर बैठक: निरर्थक कवायद
पाकिस्तन का उल्लेख करते हुए मोदी ने कहा कि शंघाई सहयोग संगठन के एजेंडा में द्विपक्षीय विवादों को लाने का प्रयास किया जा रहा है जो संगठन के चार्टर के विरुद्ध है। उन्होंने इस क्षेत्र में भारत की विदेश नीति के उद्देश्यों पर बल देते हुए कहा कि भारत शांति...
संयुक्त राष्ट्र के दबाव से सुलझा था स्वेज नहर विवाद
17 नवंबर 1869 को दस साल के निर्माण कार्य के बाद स्वेज नहर को यातायात के लिए खोल दिया गया। यह नहर यूरोप को एशिया से जोड़ता है। स्वेज नहर के बनने से पहले एशिया से आ रहे जहाज अफ्रीकी महाद्वीप का पूरा चक्कर लगाकर यूरोप पहुंचते थे। उस वक्त काहिरा में फ्रां...
महंगाई और कृषि नीतियां
देश में थोक सूचकांक पर आधारित महंगाई दर अक्टूबर माह में 1.48 प्रतिशत थी। पिछले साल अक्टूबर माह में यह जीरो प्रतिशत थी, लेकिन इस बार आलू के रेट खास चर्चा में रहे। 10-15 रुपए किलोग्राम मिलने वाले आलू 45 रुपए तक बिक रहा है। इस वर्ष आलू का भाव दोगुने से ...
वातावरण शुद्धता की अनदेखी अब नहीं हो
दिल्ली में फिर पहले जैसा हाल देखा जा रहा है। पूरी दिल्ली धुएं की मोटी चादर में लिपट गई है। इंडिया गेट, जो पहले कई किलोमीटर से नजर आता है, वह इन दिनों नहीं दिख रहा। सरकारें प्रदूषण को रोकने के लिए गंभीर नहीं हैं और न ही किसी की जिम्मेवारी तय कर रही है...
भारतीय लोकतंत्र के नायक थे चाचा नेहरू
14 नवंबर की तारीख को भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के जन्मदिन के तौर पर याद किया जाता है। आज के दिन 1889 को इलाहाबाद में जन्मे पंडित जवाहरलाल नेहरू ने शायद ही कभी ये सोचा होगा कि एक दिन भारत में उनके नाम और काम पर आलोचनात्मक बहस होगी। यह स...
अमेरिका का अंतरिक्ष विमान मैरिनर-9
अमेरिकी अंतरिक्ष यान (Mariner-9) मैरिनर-9 पहला अंतरिक्ष विमान था जिसने किसी दूसरे ग्रह पर दस्तक दी। 13 नवंबर 1971 को इसने मंगल की कक्षा में प्रवेश किया। भारत का मंगलयान इस समय अंतरिक्ष यात्रा पर है। मंगल पर अंतरिक्ष यान भेजने की दिशा में आज का दिन बे...
पर्यावरणीय संकट: व्यावहारिक योजना आवश्यक
इस वर्ष महामारी के बावजूद पर्यावरण के संबंध में चिंताएं जस की तस बनी हुई हैं और यह प्राधिकारियों के एजेंडा में भी नहीं है। हाल की रिपोर्टों के अनुसार प्रदूषण और प्राकृतिक आपदाओं के कारण (Environmental crisis) पर्यावरण को गंभीर नुकसान पहुंचा है तथा अध...
बदलनी होगी शिक्षा की तस्वीर
भारत के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद की याद में देश 11 नवंबर को (National Education Day) राष्ट्रीय शिक्षा दिवस मनाता है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने 11 सितंबर, 2008 को घोषणा की कि भारतीय शिक्षा के संदर्भ उनके योगदान को याद करने के लिए उ...
बिहार चुनाव: नीतिश का घटा कद
बिहार चुनाव के नतीजे आ-जा रहे हैं। एनडीए तीसरी बार सरकार बनाती दिख रही है। पर इस बार नीतीश कुमार का कद कमजोर हो रहा है। भाजपा को राज्य में 2015 से भी ज्यादा सीटें मिलती दिख रही हैं, जिसे 2015 में 53 सीटें मिली थी। नतीजों के अनुसार इस बार भाजपा 70 से ...
मौलाना आजाद : जिन्होंने जगाई शिक्षा की अलख
11 नवंबर को भारत में राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के रूप में मनाया जाता है। भारत में शिक्षा के विकास में जबरदस्त भूमिका निभाने वाले पहले शिक्षा मंत्री (Maulana Abul Kalam Azad) मौलाना अबुल कलाम आजाद आज ही के दिन पैदा हुए थे। महात्मा गांधी के विचारों से प्रभ...
ट्रम्प हारे नहीं बल्कि पर्यावरण की जीत हुई है
तीन साल पहले डोनाल्ड ट्रम्प ने जब पैरिस समझौते से हाथ पीछे खींचे थे तब उन्होंने महज एक प्रशासनिक फैसला ही नहीं लिया था बल्कि पूरी दुनिया को जलवायु संकट में झोंका था। उसका असर कुछ ऐसा हुआ कि दुनिया भर में जलवायु नीति पर काम करने वालों में हताशा, और मा...