यू-ट्यूब से मिली प्रेरणा, शुरू किया मधुमक्खी पालन, आज कमा रहा मुनाफा

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150 लोगों को दिया प्रशिक्षण, चला रहे स्वरोजगार

सच कहूँ/राजू, ओढां। किसान अगर परम्परागत खेती से साथ-साथ मधुमक्खी पालन व्यवसाय अपनाए तो अपनी आर्थिक दशा में बदलाव कर सकते हैं। ऐसा ही एक उदाहरण गांव चोरमार में किसान जगसीर सिंह के रूप में देखा जा सकता है। इस किसान ने यू-ट्यूब से मधुमक्खी पालन की प्रेरणा लेकर ये व्यवसाय शुरू किया। आज ये किसान न केवल हर वर्ष अच्छा मुनाफा कमा रहा है अपितु ओरों के लिए भी प्रेरणास्त्रोत बन रहा र्है। जगसीर सिंह ने अपना ये व्यवसाय 4 राज्यों तक फैला लिया है। वह इस समय रेवाड़ी क्षेत्र में रहकर शहद उत्पादन कर रहा है। जगसीर सिंह ने बताया कि उसके पास कम भूमि है।

उक्त भूमि पर वह लंबे समय से परम्परागत खेती ही करता था, लेकिन खेती पर लागत अधिक व आमदन कम होने की वजह से उसे आर्थिक रूप से तंगी झेलनी पड़ रही थी। जिसके बाद उसने कुछ नया करने की सोचते हुए यू-ट्यूब पर मधुमक्खी पालन व्यवसाय देखा। ये देखकर उसे मधुमक्खी पालन की प्रेरणा मिली। जगसीर सिंह ने बताया कि उसने सबसे पहले 30 डिब्बे मधुमक्खी खरीदकर अपने सरसों के खेत में रखे। उसने प्रथम वर्ष करीब 70 हजार रुपए की आमदन हुई। जिसके बाद उसने ये व्यवसाय बढ़ा लिया। इस समय जगसीर सिंह के पास करीब 650 मधुमक्खी के डिब्बे हैं।

4 राज्यों में जाकर कर रहे शहद उत्पादन

जगसीर सिंह ने इस व्यवसाय को हरियाणा के अलावा राजस्थान, पंजाब व यूपी सहित 4 राज्यों में फैला रखा है। वह मौसम के अनुसार अलग-अलग राज्यों में जाकर शहद का उत्पादन कर रहा है। जगसीर सिंह शहद उत्पादन के लिए करीब 7 माह तक घर से बाहर रहता है। यही कारण है कि जगसीर सिंह इस समय हर वर्ष अच्छा मुनाफा कमा रहा है। उसने बताया कि मधुमक्खी पालन में परागकण प्रक्रिया द्वारा फसलों की पैदावार भी बढ़ती है।

लोगों को भी दे रहा प्रशिक्षण

जगसीर सिंह का कहना है कि किसान परम्परागत खेती के साथ-साथ मधुमक्खी पालन व्यवसाय को अवश्य अपनाएं। उसने बताया कि वह आईसीआईसीआई फाउंडेशन के सहयोग से अब तक करीब 150 लोगों को मधुमक्खी पालन का प्रशिक्षण दे चुका है। ये प्रशिक्षण प्राप्त कर अनेक युवा अपना स्वंय का रोजगार चलाकर अच्छा लाभ उठा रहे हैं।

‘‘मधुमक्खी पालन बहुत अच्छा व्यवसाय है। किसानों की आर्थिक दशा सुधारने के उद्देश्य से सरकार द्वारा मधुमक्खी पालन की योजना चलाई गई थी। इस व्यवसाय में पालकों को अच्छा अनुदान मिलता है। पिछले करीब 5 वर्षों के अंतराल में लोगों का इस व्यवसाय की ओर रूझान काफी बढ़ा है। ये व्यवसाय किसानों की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने में सहायक है।

अमीलाल वर्मा, फिल्डमैन (बागवानी विभाग ओढां)

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