अंतरराष्ट्रीय योग दिवस: गुरूमंत्र के साथ जोड़ें प्राणायाम

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दुनियाभर में हर साल 21 जून का दिन अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के तौर पर मनाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि मानव सभ्यता की शुरूआत से ही योग किया जा रहा है। 11 दिसंबर 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने हर साल 21 जून का दिन अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के तौर पर मनाए जाने की घोषणा की थी। देश और दुनिया में हर साल 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाता है। हर साल बड़े पैमाने पर इसको लेकर सार्वजनिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। हालांकि कोरोना महामारी के चलते पिछले साल की तरह इस साल भी इसे ज्यादा से ज्यादा डिजिटल, वर्चुअल और इलेक्ट्रॉनिक मंचों के माध्यम से ही कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा।

Yoga

हर चीज के लिए गुरूमंत्र सबसे कारगर है। प्राणायाम से सुमिरन को दिमाग तक ले जाते हो तो वो शरीर में कोई बीमारी नहीं छोड़ता। जब आप श्वास खींचते हैं तो ख्यालों से गुरूमंत्र का जाप करते जाओ। आपका ध्यान दोनों आँखों के बीच माथे पर होना चाहिए। आने श्वास को अन्दर भर लो और रोक के रखो। पहले कुछ सैकिंड ऐसा करें, फिर समय को बढ़ाते जाएं। जब आप बिना वायु के होते हैं तो पूरी मांसपेशियों का जोर लगता है, पसीने निकलते हैं, क्योंकि जब आपको श्वास नहीं मिलता तो आपका शरीर, आपकी आत्मा सक्रिय हो जाती है, जान बचाने के लिए कहें या बॉडी को मैनटेन करने के लिए।

  •  जैसे-जैसे आपका श्वास रोकने का स्टैमिना बढ़ता है, वैसे-वैसे आपकी सहनशक्ति बढ़ती है।
  •  प्राणायाम से गुरूमंत्र में ध्यान ज्यादा लगता है।
  •  ध्यान के साथ प्राणायाम करने से आप अपने गुस्से पर काबू पा सकते हैं। आपका बात-बात पर खीझना खत्म होता है।
  •  आप के अन्दर आत्मबल बढ़ता है, जिससे आप हर अच्छे क्षेत्र में तरक्की कर सकते हैं।
  •  लगातार अभ्यास आपके अंदर बीमारियों से लड़ने की क्षमता को बढ़ाता है।

एक्सरसाइज़

  •  एक्सरसाइज़ इस तरह से करनी चाहिए कि बॉडी सिर से लेकर पैर तक पसीने से नहा लें, यह शरीर के लिए बहुत ही लाभदायक है। सीढ़ियाँ भाग-भाग के चढ़ो। साँस धौंकनी की तरह चलना चाहिए। आपको फील होना चाहिए कि आपका हार्ट बाले रहा है। ऐसा करने से आपको दिल की कोई बीमारी नहीं लगेगी व बहुत-सी अन्य बीमारियाँ भी खुद ही उड़ जाएंगी। ऐसा अगर आप लगातार करने लग गए तो बीमारियाँ तो दूर जाएंगी ही, आपका वजन भी कम होगा।,
  •  माता-पिता को चाहिए कि अपने बच्चों को बचपन से ही एक्सरसाइज़ करवाएँ। ऐसा करने से बच्चे की ग्रोथ कम नहीं, बल्कि ज्यादा होगी। बच्चा स्ट्रांग बनेगा तो स्ट्रांग ही सोचेगा। ज्यादा वेट-लिफ्टिंग से परहेज करो। पर बच्चे के अंग-पैरों को मोड़ना, हल्के-फुल्के योगा के आसन करवाने से बच्चे फर्क नहीं पड़ता, बल्कि चलते-चलते उसकी कोई नाड़ी नहीं चढेÞगी या आगे पीछे होने से उसके कोई दर्द नहीं होगा। चाहे बच्चा कैसे भी गिरता है, कोई फर्क नहीं पड़ेगा।

टोका-मशीन

टोका-मशीन तो ‘जिम का बाप’ है! इससे पूरी बॉडी की मसल बन जाती हैं। मशीन को इस तरह सैट करें कि जब हाथ ऊपर जाएँ तो आपको एड़ियों के बल ऊँचा उठना पड़े और जब हाथ नीचे आएँ तो आपको पूरा झुकना पड़े।

कस्सी चलाना

कस्सी चलाने से शरीर मजबूत होता है। बॉडी बनाने के लिए सुबह-शाम कस्सी चलाई जाए तो एक ओर काम भी होता रहेगा व दूसरी ओर बॉडी भी बन जाएगी। कई बच्चे बॉडी को स्ट्रांग बनाने के लिए स्टीरॉयड लेते हैं, यह कभी भी नहीं लेना चाहिए।

योग करने से पहले जान लें ये सावधानियां

योगासन एक शारीरिक साधना है, जिसमें नियम, अनुशासन, आत्मविश्वास तथा निरंतर अभ्यास की आवश्यकता होती है। योगासन करने से पहले व्यक्ति को योगासन संबंधी सावधानियों से अवश्य ही परिचित हो जाना चाहिए। योगासन करते समय सावधानियों के न बरतने से लाभ के स्थान पर हानि हो सकती है। योगासन से पहले मल-मूत्र त्याग कर पेट की सफाई कर लेना बेहतर रहता है।

योग साधक को कब्ज या कोष्ठबद्धता की शिकायत नहीं होनी चाहिए। सभी आसन खाली पेट ही किए जाने चाहिए। यदि किसी को सुबह-सुबह चाय कॉफी आदि पीने की आदत हो तो एक कप चाय या काफी ली जा सकती है। योगासन करने के बाद कम से कम चार घंटे के बाद ही कुछ खाना चाहिए। योगासनों के लिए सूर्योदय से पूर्व तथा सूर्योदय के बाद का समय ही उचित रहता है। योग शास्त्रियों के अनुसार कठिन योगासनों का अभ्यास प्रात: काल तथा सरल योगासनों का अभ्यास संध्याकाल में करना बेहतर माना गया है।

-आनंद कुमार अनंत

योगासन के दोरान ध्यान देने योग्य महत्वपूर्ण बातें

  •  योगासन हमेशा स्वच्छ, हवादार तथा कीटाणु रहित ऐसे स्थान पर करना चाहिए जहां शोरगुल न हो तथा आस-पास कोई खेल-कूद न रहा हो।
  •  योगासन हमेशा समतल जमीन पर दरी अथवा तह की हुई कम्बल बिछाकर ही किया जाना चाहिए।
  •  योगासनों को प्रारंभ करते समय आंखें खुली व मांसपेशियों को तनावमुक्त रखना चाहिए।
  •  योगासन करते समय शरीर सक्रिय और मस्तिष्क निष्क्रि य होना चाहिए।
  •  योगासन के दौरान श्वास क्रि या केवल नाक के माध्यम से ही होनी चाहिए।
  •  मधुमेह तथा रक्तचाप जैसे रोगों से पीड़ित लोगों को शीर्षासन तथा सर्वांगासन जैसे आसनों को नहीं करना चाहिए।
  •  गर्भावस्था के प्रारम्भिक तीन माह के व्यतीत हो जाने के बाद ही सहज क्रि या वाले योगासनों को किया जा सकता है।
  •  योगाभ्यास करते समय वस्त्र ढीले-ढाले पहने होने चाहिए।
  •  योगाभ्यास के तुरन्त बाद न तो स्नान ही करना चाहिए और न ही शीतल या गर्म, कोई भी पेय पदार्थ ही पीना चाहिए।

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