Lal Bahadur Shastri Quotes: लाल बहादुर शास्त्री ने जगाई थी लोगों में देशभक्ति की अलख

Lal Bahadur Shastri Quotes
Lal Bahadur Shastri Quotes: लाल बहादुर शास्त्री ने जगाई थी लोगों में देशभक्ति की अलख

Lal Bahadur Shastri Quotes: अक्टूबर 1904 को मुगलसराय में जन्मे साधारण परन्तु चट्टान की तरह मजबूत देश के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री देश के लिए अपना जीवन न्योछावर कर चले थे। बता दें कि शास्त्री जी का बचपन संघर्षपूर्ण रहा था, बचपन में वे नदी तैर कर स्कूल पढ़ने जाते थे, वहीं अपनी उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए इन्हें कई मील नंगे पैर पैदल भी चलना पड़ता था। इन परिस्थितियों को झेलने के कारण ही वे एक मजबूत इंसान बन सके।

अच्छी छवि के कारण शास्त्री जी को भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के निधन के बाद देश का दूसरा प्रधानमंत्री बनाया गया। 9 जून 1964 को उन्होंने भारत के प्रधानमंत्री का पदभार ग्रहण किया। उनके शासनकाल में 1965 का भारत-पाक युद्ध शुरू हो गया। इससे 3 वर्ष पूर्व चीन का युद्ध भारत हार चुका था। शास्त्री जी ने अप्रत्याशित रूप से हुए इस युद्ध में राष्ट्र को उत्तम नेतृत्व प्रदान किया और पाकिस्तान को करारी शिकस्त दी। इसकी कल्पना पाकिस्तान ने कभी सपने में भी नहीं की थी। प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने 26 जनवरी, 1965 को देश के जवानों और किसानों को अपने कर्म और निष्ठा के प्रति सुदृढ़ रहने और देश को खाद्य के क्षेत्र में आत्म निर्भर बनाने के उद्देश्य से जय जवान, जय किसान का नारा दिया। यह नारा आज भी भारत में बहुत लोकप्रिय है। Lal Bahadur Shastri Quotes

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Lal Bahadur Shastri Quotes: लाल बहादुर शास्त्री ने जगाई थी लोगों में देशभक्ति की अलख

उजबेकिस्तान की राजधानी ताशकंद में पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान के साथ युद्ध समाप्त करने के समझौते पर हस्ताक्षर करने के पश्चात 11 जनवरी, 1966 की रात को रहस्यमय परिस्थितियों में उनकी मृत्यु हो गई। उनकी सादगी, देशभक्ति और ईमानदारी के लिये मरणोपरान्त उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया।

लाल बहादुर शास्त्री जहां अपनी सादगी और दृढ़ता के लिए जाने जाते हैं, वहीं इन्होंने अपने विचारों के माध्यम से भी देश में क्रांति की एक अलग ही अलख जगाई थी। उनके आह्वान पर पूरा देश सिर्फ एक वक्त की रोटी खाने लगा था। उनके ही अदम्य साहस के बल पर पूरे देश में खाद्य क्रांति आई। आज इस लेख के माध्यम से लाल बहादुर शास्त्री जी के अनमोल विचार आपके साथ साझा किए जा रहे हैं।

जय जवान जय किसान | Lal Bahadur Shastri Quotes

हमें शांति के लिए उतनी ही बहादुरी से लड़ना चाहिए, जितना हम युद्ध में लड़ते हैं। मैं किसी दूसरे को सलाह दूं और उसे मैं खुद पर अमल ना करूं तो मैं असहज महसूस करता हूं। देश की ताकत और मजबूती के लिए सबसे जरूरी काम है लोगों में एकता स्थापित करना। हम खुद के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व की शांति, विकास और कल्याण में विश्वास रखते हैं। यदि कोई भी व्यक्ति हमारे देश में अछूत कहा जाता है तो भारत को अपना सर शर्म से झुकाना पड़ेगा। आजादी की रक्षा सिर्फ हमारे देश के सैनिको का काम नहीं है इसकी रक्षा के लिए पूरे देश को मजबूत होना पड़ेगा। लोगों को सच्चा स्वराज या लोकतंत्र कभी भी असत्य और अहिंसा के बल से प्राप्त नहीं हो सकता है।

कानून का सम्मान किया जाना चाहिए, ताकि हमारे लोकतंत्र की बुनियादी संरचना बरकरार रहे और हमारा लोकतंत्र भी मजबूत बना रहे। जो शासन करते है, उन्हें देखना चाहिए कि लोग कैसी प्रतिक्रिया करते है, क्योंकि लोकतंत्र में जनता ही मुखिया होती है। मेरी समझ से प्रशासन का मूल विचार यह होना चाहिए कि समाज को एकजुट रखा जाए ताकि वह विकास कर, अपने लक्ष्यों को पूरा कर सके।

जब स्वतंत्रता और देश की अखंडता खतरे में हो तो पूरी शक्ति से उस चुनौती का मुकाबला करना सभी का एकमात्र कर्तव्य होता है और इसके लिए किसी भी प्रकार के बलिदान के लिए भी एक साथ मिलकर तैयार रहना होगा। हमारे देश का रास्ता सीधा और स्पष्ट है, अपने देश में सबके लिए स्वतंत्रता और संपन्नता के साथ लोकतंत्र की स्थापना और अन्य सभी देशों के साथ मित्रता के सम्बन्ध स्थापित करना है।

हम सभी को अपने क्षेत्र में उसी समर्पण और उत्साह के साथ कार्य करना होगा, जो रणभूमि में एक योद्धा को अपने कर्तव्य के प्रति प्रेरित और उत्साहित करती है और यह सिर्फ बोलना नहीं बल्कि करके दिखाना है। देश के प्रति निष्ठा सभी निष्ठाओं से पहले आती है और यह एकदम पूर्ण निष्ठा है, क्योंकि इसमें कोई प्रतीक्षा नहीं करता कि इसके बदले उसे क्या मिलता है। यदि हम लगातार लड़ते रहेंगे तो हमारी ही जनता को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ेगा, हमें लड़ने के बजाय गरीबी, बीमारी और अशिक्षा से लड़ना चाहिए।

2 अक्टूबर 1904 को मुगलसराय में जन्मे साधारण परन्तु चट्टान की तरह मजबूत देश के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री देश के लिए अपना जीवन न्योछावर कर चले थे। बता दें कि शास्त्री जी का बचपन संघर्षपूर्ण रहा था, बचपन में वे नदी तैर कर स्कूल पढ़ने जाते थे, वहीं अपनी उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए इन्हें कई मील नंगे पैर पैदल भी चलना पड़ता था। इन परिस्थितियों को झेलने के कारण ही वे एक मजबूत इंसान बन सके।

अच्छी छवि के कारण शास्त्री जी को भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के निधन के बाद देश का दूसरा प्रधानमंत्री बनाया गया। 9 जून 1964 को उन्होंने भारत के प्रधानमंत्री का पदभार ग्रहण किया। उनके शासनकाल में 1965 का भारत-पाक युद्ध शुरू हो गया। इससे 3 वर्ष पूर्व चीन का युद्ध भारत हार चुका था। शास्त्री जी ने अप्रत्याशित रूप से हुए इस युद्ध में राष्ट्र को उत्तम नेतृत्व प्रदान किया और पाकिस्तान को करारी शिकस्त दी। इसकी कल्पना पाकिस्तान ने कभी सपने में भी नहीं की थी। प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने 26 जनवरी, 1965 को देश के जवानों और किसानों को अपने कर्म और निष्ठा के प्रति सुदृढ़ रहने और देश को खाद्य के क्षेत्र में आत्म निर्भर बनाने के उद्देश्य से जय जवान, जय किसान का नारा दिया। यह नारा आज भी भारत में बहुत लोकप्रिय है।

उजबेकिस्तान की राजधानी ताशकंद में पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान के साथ युद्ध समाप्त करने के समझौते पर हस्ताक्षर करने के पश्चात 11 जनवरी, 1966 की रात को रहस्यमय परिस्थितियों में उनकी मृत्यु हो गई। उनकी सादगी, देशभक्ति और ईमानदारी के लिये मरणोपरान्त उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया।

लाल बहादुर शास्त्री जहां अपनी सादगी और दृढ़ता के लिए जाने जाते हैं, वहीं इन्होंने अपने विचारों के माध्यम से भी देश में क्रांति की एक अलग ही अलख जगाई थी। उनके आह्वान पर पूरा देश सिर्फ एक वक्त की रोटी खाने लगा था। उनके ही अदम्य साहस के बल पर पूरे देश में खाद्य क्रांति आई। आज इस लेख के माध्यम से लाल बहादुर शास्त्री जी के अनमोल विचार आपके साथ साझा किए जा रहे हैं।