कलायत के गांव सिंणद में फैली लंपी स्किन बीमारी, गाय की मौत, पशुपालकों में दहशत

तेजी से फैल रही बीमारी

कलायत(सच कहूँ न्यूज)। कलायत मंडल के गांव सिंणद में पशुओं में लंपी स्किन बीमारी के कारण एक गाय की मौत हो गई है। इसके अलावा गांव में ढेड़ दर्जन से ज्यादा गायों में इस बीमारी के लक्षण देखे गए हैं। जिसके कारण पशु पालकों में लंपी वायरस की दहशत फैल रही है। सरपंच सतबीर सिंह, कश्मीरा राम, अंकित, सोनू, विकास आदि ने बताया कि गांव में लंपी बीमारी गोवंश में तेजी से फैल रही है। आसपास के क्षेत्र में कई बेसहारा पशु इस बीमारी से अपनी जान गवा चुके हैं। लंपी बीमारी से ग्रस्त किसान महेन्द्र सिंह की साहिवाल नस्ल की गाय को चिकित्सकों के इलाज के बाद भी बचाया नहीं जा सका। इसके अलावा भी करीब 20 गायों में इस बीमारी के लक्षण देखे जा रहे हैं।

गांव सिंणद निवाशी महेंद्र सिंह ने बताया कि कुछ महीने पहले वे एक लाख रुपए की दो साहीवाल नस्ल की गाय राजस्थान से खरीद कर लाए थे। कुछ दिन पहले अचानक से गाय के शरीर पर बड़ी-बड़ी गांठे उभर आई और बुखार भी रहने लगा। तब उन्होंने स्थानीय चिकित्सकों से इलाज करवाया लेकिन गाय को बचाया नहीं जा सका। ग्रामीणों ने स्थानीय प्रशासनिक अधिकारियों पर आरोप लगाते हुए बताया कि गोवंश में फैल रहे लंपी वायरस की सूचना स्थानीय पशु चिकित्सकों को देने के बावजूद भी उनके द्वारा बीमारी को रोकने के लिए कोई प्रभावी कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। उन्होंने प्रदेश मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर व डीसी डॉ. संगीता तेतरवाल से जल्द से जल्द पशुओं के इलाज और वैक्सीनेशन करवाए जाने की गुहार लगाई है।

स्वस्थ पशुओं का किया जाएगा वैक्सीनेशन: डॉ. पवन

पशु चिकित्सक डॉ. पवन बुरा ने बताया कि लंपी स्किन बीमारी के रोकथाम के लिए चिकित्सकों की टीम पूरी तरह से सतर्क है। बीमारी के लक्षण दिखाई देने पर पशुपालक अपने नजदीकी पशु औषधालय में संपर्क कर सकता है। इसके अलावा कलायत पशु चिकित्सालय में वैक्सीन आ चुकी है। जल्द ही वैक्सीन स्वस्थ पशुओं को लगाने का कार्य शुरू कर दिया जाएगा। डॉ. पवन बूरा ने बताया कि लंपी बीमारी में मृत्यु दर केवल 1-2 प्रतिशत है। इसलिए पशुपालकों को घबराने के बजाय सतर्कता बरतें व पशुपालक संक्रमित पशु को स्वस्थ पशु से अलग रखें। बीमार पशु का तुरंत चिकित्सक से इलाज शुरू करवाएं। पशुओं के बाड़े को साफ सुथरा रखें।

स्वस्थ पशुओं को एंटीसेप्टिक, फिटकरी या लाल दवा से दिन में दो बार नहलाएं। बीमार पशुओं को बाहर चराने न लेकर जाएं। एक स्थान से दूसरे स्थान पर पशुओं को न लेकर जाएं। डिजिटल थमार्मीटर से दिन में तीन बार तापमान जांचे। बुखार हो तो दवाई अवश्य दें। उन्होंने बताया कि लंपी बीमारी के लक्षणों मेंं पशु को तेज बुखार, मुंह से पानी गिरना, भूख नहीं लगना, दूध उत्पादन में गिरावट, पशु के शरीर पर गांठे बनना जोकि फूट कर जख्म भी बन जाती है।

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