बढ़ती जनसंख्या से भारत कैसे निपटेगा? पूज्य गुरु जी ने दिए टिप्स

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पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि हमने पहले भी कहा था और आज भी कह रहे हैं कि भई एक ही सही और दो के बाद नहीं, ये आप धारण करके रखें। हमने ये मानवता भलाई का कार्य आॅलरेडी चला रखा है। पहले भी आपको एक नारा दिया और आज भी ख्याल में आ गया तो आपको बता दिया। तो आपने इसको माना है और साध-संगत ने आॅलरेडी इसको मान रखा है तो मालिक सबके घरों में खुशियां दे। आप अमल कीजिये, देश की तरक्की होगी। आने वाले जनसंख्या के विस्फोट से हो सकता है भगवान जी बचा लें, वरना आप पहले के मुकाबले देख लीजिये कितना रेश्यो बढ़ गए बेरोजगारी के, कितना रेश्यो बढ़ गए क्राइम के, कितना रेश्यो बढ़ गए आवारागर्दी के, तो ये चीजें बढ़ती जाएंगी, क्योंकि इतना कोई भी आपको काम नहीं दे सकता। कहां से देंगे जब पैदा ही एक के पाँच-पाँच, सात-सात हैं।

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कईयों को तो गिनती नहीं पता होती कि मेरे कितने घर में घूम रहे हैं और कितने बाहर घूम रहे हैं, कच्छे में ही होते हैं। अजीब सा लगता है। हम कई बार सत्संग करने जाते थे ऐसे इलाकों में, जिनके 10-10, 12-12 बच्चे होते थे। वहां पहले ही कह देते थे कि गाड़ी आराम से चलाना भाई या ख़ुद चलाते थे तो आराम से कर लेते थे। क्यों? वो हॉर्न बजा नहीं, गाड़ियां आर्इं नहीं, और घर से यूं निकलते थे जैसे पूछो मत। और वो भी कच्छे-कच्छे, कइयों के तो वो भी नहीं होता था। अब 12 हैं, छोटे-छोटे, फर्क थोड़ा-थोड़ा है, साल-साल का फर्क होगा। तो अब आपने इतने बच्चे पैदा कर रखे हैं, जब परेशानी आती है, मुश्किल आती है, फिर भगवान को दोष देते हैं कि भगवान, अल्लाह, वाहेगुरु, गॉड, ख़ुदा, रब्ब हमारी सुनता क्यों नहीं। तूने सुनी क्या? और अखबार में एक दिन किसी ने दिखाया हमें, वो किसी बाहर के देश का था, उसके शायद पोते मिलाकर, बच्चे मिलाकर 112 या 120 बच्चे थे। और उसके बाद वो प्रचार कर रहा था कि बच्चे ज्यादा पैदा ना करो। हमने कहा, यार तूं तो शर्म कर ले। तू तो ऐसा प्रचार मत कर।

Saint Dr. MSG

112 या 120 पैदा करके कहता कि ज्यादा बच्चे नहीं होने चाहिए। कहीं विदेश का था, अखबार के एक टुकड़े में उसका नाम भी था और उसकी पता नहीं कितनी तो पत्नियां ही थीं। जिसके एक है, दो हैं या तीन हैं वो तो चलो जनसंख्या नियंत्रण के लिए प्रचार करे, फिर भी ठीक लगता है। पर चलो उसको सोझी आ गई। तो ऐसे आदमी समाज के लिए, हम उनको बुरा नहीं कह रहे, लेकिन जरा सोचिये तो सही। कई कहते हैं कि नहीं, ये तो मालिक की देन हैं, हम कौन होते हैं रोकने वाले। तो फिर नाखून क्यों काटते हो भाई? ये भी तो मालिक की देन है बढ़ने दो। बाल क्यों काटते हो? वो भी बढ़ने दो, वो भी तो आप काटते हो। मालिक की देन तो बहुत कुछ है। पैरों के नाखून इतने बड़े-बड़े हो जाएंगे। हाथों के इतने बड़े-बड़े हो जाएंगे। और फिर नहाते क्यों हो? ये कौन सा मालिक ने कहा कि नहाना है। ये भी मालिक की देन है, शरीर है, चलने दो जैसे चलता है। तब तो आप समझदार हैं। नहाते भी हो, कपड़े भी पहनते हो, नाखून भी काटते हो, खाना भी सही अपने ढंग से खाते हो और बच्चों के टाइम कहते हो कि नहीं-नहीं, ये तो मालिक की देन हैं। आपको दिमाग दिया है, आप कंट्रोल कर सकते हो, अगर ऐसा करना चाहें तो। अभी किसी सज्जन ने लिखकर दिया कि भारत में हर मिनट में 51 बच्चे पैदा हो रहे हैं और हर घंटे में 3074 बच्चे पैदा हो रहे हैं और एक मिनट में 19 की मौत और एक घंटे में 1116 की मौत हो रही है।

तो इसका मतलब है कि 1900 या 2000 तो बढ़ ही रहे हैं। और पूरे विश्व का तो और भी तगड़ा काम है, एक सैकिंड में 4, एक मिनट में 278 और एक घंटे में 16720 बच्चों का जन्म हो रहा है और मृत्यु एक घंटे में 6611 हो रही हैं। तो मतलब 10700 बच्चे तो बढ़ रहे हैं तो ये विस्फोट वाला काम है कि नहीं है। ये तो होता जा रहा है। तो चिंता करनी चाहिए। संसाधन कहां से जुटाएगा कोई? कितना भी जोर लगा ले, कितना भी मशीनरी का प्रयोग कर ले, इतने पैदा करोगे तो हर किसी को रोजगार मिल ही नहीं सकता। रोजगार बनाएंगे कहां से और किस चीज का। क्या रोटी बनाने का, कि इनको खिलाओ भई बना-बनाकर। वो तो घरों में बन जाती हैं। वो भी खिलाई जाती हैं फ्री में अन्न चल रहा है, फ्री में खाना दिया जाता है, लेकिन अब कंट्रोल करना और वश में रखना तो आदमी के हाथ में है। तो आपसे यही गुजारिश है, आज का टॉपिक ही ये है कि जितना हो सके बच्चे पैदा करने पर कंट्रोल करना है और साध-संगत ने प्रण कर लिया है कि ‘एक ही सही, दो के बाद नहीं।’ तो आप ये ध्यान रखें। बाइचांस किसी के जुड़वां हो जाते हैं वो एक अलग चीज है। सो, प्यारी साध-संगत जीओ ये जरूरी चीजें हैं, क्योंकि जनसंख्या जब तक रूकेगी नहीं देश और संसार तरक्की नहीं कर सकता।

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