माँ ही है इस संसार में साक्षात परमात्मा

Mother is the Real God
लड़का एक जूते की दुकान पर आता है, गांव का रहने वाला लग रहा था बोलने के लेहजे से लेकिन बोली में ठहराव था उसके। दुकानदार की पहली नजर उसके पैर पर जाती है। उसके पैरों में लेदर के शूज थे, सही से पॉलिश किए हुए।दुकानदार —क्या सेवा करूं? लड़का — मेरी मां के लिए चप्पल चाहिए लेकिन टिकाऊ और आरामदायक होनी चाहिए ! दुकानदार — वो आई है क्या? उनके पैर का नाप? लड़के ने फिर अपना बटुआ निकाला जिसमें चार बार फोल्ड कि हुए एक कागज था जिसमें की पैरों की आउटलाइन बनी हुई थी। वह लड़का बोला— क्या नाप बताऊं आपको? मेरी मां की जिंदगी बित गई लेकिन पैरों में चप्पल कभी नहीं पहनी। वो दिनभर मेहनत मजदूरी करके हमें पढ़ाती लिखाती आज जब मुझे नौकरी मिल गई है। सोचा माँ के लिए इस पहली तनख्वाह से एक जोड़ी चप्पल ले लेता हूँ, पहली दिवाली को घर जा रहा हूँ तो ये उनके लिए लेकर जाऊं ! दुकानदार ने एक अच्छी चप्पल दिखाई जिसकी कीमत 800 रुपए थी। लड़का उसे खरीदने के लिए तैयार हो गया।
दुकानदार ने सहज ही पूछ लिया— कितनी तनख्वाह है तुम्हारी? अभी तो बारह हजार, रहना खाना मिलाकर सात या आठ हजार खर्च हो जाएंगे यहां और तीन हजार माँ के लिए! अरे! तो फिर कहीं आठ सौ ज्यादा तो नहीं है..! बात को बीच में ही काटते हुए लड़के ने कहा, नहीं कुछ नहीं होता! दुकानदार ने चप्पल बॉक्स में पैक कर दिया, लड़के ने पैसे दिए और खुशी-खुशी दुकान से बाहर निकला। पर दुकानदार ने उसे कहा — थोड़ा रुको ! साथ ही दुकानदार ने उसे एक और बॉक्स दिया चप्पल का और कहा — इसे लेने से मना मत करना, ये माँ को अपने दूसरे बेटे की तरफ से भेंट है, जिसे वे पहली जोड़ी खराब होने पर पहनेंगी।
साथ ही दुकानदार ने एक और मांग करते हुए कहा कि क्या तुम मुझे वो कागज दे सकते हो जिसपर पैरों की आउटलाइन बनी हुई है। लड़के ने कागज उसके हाथ मे थमाते हुए आगे बढ़ गया। दुकानदार ने वह कागज लेकर अपने पूजा घर में रखा, पूजाघर में कागज रखते हूए उनके बच्चों ने उन्हें देख लिया और पूछा डाला, पिता जी यह क्या है? दुकानदार ने लंबी सांस लेते हुए कहा — लक्ष्मी जी के पग लिए है? एक सच्चे भक्त ने इसे बनाया है, इससे धंधे में बरकत आती है। माँ तो इस संसार में साक्षात परमात्मा है। बस हमारे देखने की दृष्टि और मन की सोच होना चाहिए।
अन्य अपडेट हासिल करने के लिए हमें Facebook और Twitter पर फॉलो करें।