अब वक्त है बदलाव का

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प्यारे बच्चों ! कैसे हो तुम सब। बोर्ड परीक्षाएं भी अब खत्म हो चुकी हैं और आप नई क्लास में भी आ चुके होंगे। चूंकि अब वक्त बदलाव का है। नई क्लास, नए दोस्त और भी काफी कुछ नया देखने को मिल रहा होगा तुम्हें। एक तो कक्षा में बदलाव और दूसरा मौसम में बदलाव का अहसास भी हो रहा होगा। तो यह आपकी नई शुरुआत है। अभी से पढ़ाई में जुट जाएं, यह सोचकर समय व्यर्थ न गंवाएं कि अभी तो पूरा साल पड़ा है, फिर पढ़ लेंगे। और तुम में से कुछ बच्चों ने तो पूरा साल मन लगाकर पढ़ाई करने का प्लान भी बना लिया होगा और कुछ ने अपनी रचनात्मक प्रतिभा को आगे बढ़ाने का तो कुछ ने खेल की दुनिया में अव्वल आने का लक्ष्य निर्धारित किया होगा। तुम्हें एक कहानी सुनाता हूं। काफी समय पहले की बात है। एक लड़का रोजाना सुबह-सुबह दौड़ने जाता था।

वह जब भी वापस आता तो उसे रास्ते में एक बुजुर्ग महिला दिखती। वह बुजुर्ग महिला को देखता कि वह रोज तालाब के पास जाकर कछुओं की पीठ साफ करती। वह काफी सोच में पड़ गया कि आखिर में बुजुर्ग महिला क्यों कछुए की पीठ को साफ करती है? यह पता करने के लिए एक दिन वह महिला के पास पहुंचा। बुजुर्ग महिला ने कछुए की पीठ को साफ करने की वजह पूछी। इसपर बुजुर्ग महिला ने कहा कि मुझे इससे काफी सुख और शांति मिलती है। उन्होंने आगे कहा कि मैं इसलिए ऐसा करती हूं क्योंकि कछुए की पीठ पर कई बार कचरा जम जाता है। ऐसे में उन्हें तैरने में मुश्किल आने लगती है। अगर यही ज्यादा समय तक कचरा रहे तो कछुए का कवच भी कमजोर हो जाता है। बुजुर्ग महिला का जवाब सुनकर लड़के ने कहा कि यूं तो आप बहुत अच्छा काम कर रही हैं। आप कछुओं की सेवा करती हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आप केवल कुछ कछुओं की ही सेवा कर पाती हैं। आप के अकेले बदलाव से कोई बड़ा बदलाव नहीं आ सकता है।

इस पर बुजुर्ग महिला ने लड़के को बहुत ही सुंदर जवाब दिया कि हमारे अकेले बदलाव से कोई बड़ा बदलाव नहीं आएगा लेकिन अगर बाकी लोग भी ऐसे ही करने लगें तो एक न एक दिन जरूर बदलाव आएगा। तो कहने का भाव है कि हमेशा लोगों को छोटे बदलाव से ही शुरूआत करनी चाहिए। तो बच्चों ! तुम भी कीजिए बदलाव की शुरुआत ठीक इसी वृद्ध महिला की तरह। जो भी लक्ष्य निर्धारित करोगे, एक न एक दिन सफलता जरूर मिलेगी। तुम सबको नए सेशन व तुम्हारे द्वारा बुने सभी छोटे-बड़े सपनों के लिए ढ़ेर सारी बधाई। तुम सब आगे बढ़ो और इतनी तरक्की करो कि कामयाबी के शिखर को छू लो, यही मास्टर गुणीराम की कामना है। अगले सप्ताह फिर मिलेंगे। अपना बहोत ख्याल रखना व हमेशा मुस्कुराते रहना।

 

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