आनलाइन गुरूकुल: आपके सवाल, सोहने सतगुरू जी के जवाब

बरनावा (सच कहूँ न्यूज)। सच्चे रूहानी रहबर, मुर्शिद-ए-कामिल पूज्य गुरू संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने आॅनलाइन गुरूकुल के माध्यम से युवाओं के सवालों के जवाब देकर उनकी जिज्ञासा को शांत किया। इस दौरान आपजी ने जहां जीवन में आने वाली मुश्किलों से निकलने का हल बताया। वहीं स्वास्थ्य संबंधी बेहतरीन टिप्स भी बताए।
सवाल : गुरू जी आज के युवाओं में साइनस की बहुत ज्यादा समस्या है, नजले की बहुत समस्या हैं, उसकी वजह से प्री मैच्यू ग्रे हेयर आने लगे हैं। तो ग्रे हेयर को छुपाने के लिए आज का युवा या तो कलर लगाता है या फिर मेहंदी लगाता है। कलर से भी बालों में बहुत ज्यादा इफैक्ट होता है तो इस समस्या से निजात पाने के लिए क्या करें?
पूज्य गुरू जी का जवाब : इस समस्या के लिए आपका रहन-सहन और खान-पान जिम्मेदार है कहीं-न-कहीं। जैसे आप सर्दी में बैठे हैं, आपने रजाई ओढ़ रखी है और एकदम से निकले बाहर तो बाहर सर्दी और शरीर गर्म है तो उसे आम भाषा में कहते हैं गर्म सर्द होना। तो नजला चलेगा। इस प्रोब्लम को दूर करने के लिए आप अच्छे डॉक्टर की सलाह ले सकते हैं। लेकिन कई जगह हमने देखा, आयुर्वेदा में पढ़ा भी, जो हरी हल्दी होती है, कच्ची हल्दी होती है अगर वो नाखून जितनी जरा सी सुबह चबाकर और थोड़ा सा गुनगुना पानी पीया जाए तो काफी हद तक असर होते देखा है, कि नजले पर कंट्रोल (नियंत्रण) हो जाता है। रही बात सफेद बालों की, ये आपके परिवार से भी संबंध रखता है। आपके माँ-बाप, या फिर दादा-दादी, नाना-नानी कहीं न कहीं वो चीज अगर है तो आप पर भी असर करेगी। अगर नहीं है ऐसी चीज तो आप जिम्मेवार हैं उसके, क्योंकि आपको जो प्रोपर (सही प्रकार से) विटामिंस चाहिए वो नहीं ले पा रहे तो डॉक्टर की राय से अगर खान-पान में विटामिंस और मिनरल्स शामिल कर लें तो इससे बचा जा सकता है। जैसे आंवला है, कई लोगों ने करके भी देखा है कि आँवला बालों को दोबारा से भी सही करने में, काले करने में मदद करता है। आँवले के प्रयोग से कई लोगों के छह महीने में ही 40 प्रतिशत तक सफेद बालों को काले होता भी देखा है।
सवाल: गुरू जी आजकल ज्यादातर बच्चे मोटापे का शिकार हो रहे हैं। पहले ये अमीर देशों की समस्या थी, परन्तु अब भारत में भी बहुत सारे बच्चे ओवरवेट (अतिभार) हैं। इस समस्या को दूर करने के लिए क्या करना चाहिए?
पूज्य गुरू जी का जवाब : ओवरवेट का मुख्य कारण खान-पान ही है। खाने में वो तली हुई चीजें खाते हैं, मैदा खाते हैं ज्यादा, मतलब मोटा अनाज बहुत ज्यादा खाया जाता है। अगर मोटापे से बचना है तो उसके लिए जरूरी है मोटे अनाज का सेवन कम करें, क्योंकि आपकी बैठक है, बैठने का काम जिनका ज्यादा है उनके लिए, तो मोटा अनाज कम करके उनकी जगह फ्रूट थोड़ा बहुत जितना खा सकें, नहीं तो सलाद, बहुत सारी सब्जियां ऐसी हैं जो कच्ची खाई जा सकती हैं, वो सलाद का रूप धारण कर लेती हैं। वो नेगेटिव एनर्जी है, वो आपके अंदर जाएगी तो सही लेकिन मोटापा नहीं देगी। तो इसलिए इसके लिए आप इन चीजों को अपनाएं। दूसरा, बैठे-बैठे चैटिंग है, सर्चिंग है, हर चीज जैसे अभी बच्चे ने बोला कि हमने बैठे-बैठे ही सारी ऐप डाउनलोड की, खाना भी आ रहा है और दवाइयां भी आ रही हैं। खाना खाने के लिए क्यों ना पैदल चलकर जाया जाए अगर आपके आसपास उपलब्ध है, या कच्ची सब्जियां लेने के लिए जाएं। आपको लगता है कि सिर्फ सब्जियां खरीदने के लिए जा रहे हैं, नहीं आप जो पैदल चलकर जा रहे हैं, वो मोटापे में कमी ला सकता है। तो कैलरीज को मेंटेन (सुनिश्चित) करके रखें कि मेरे शरीर के लिए कितनी कैलरीज चाहिए। एक बार आप किसी डायटीशियन के पास जाकर अपने शरीर के लिए खुराक निर्धारित करवा लें तो यकीनन हमें लगता है कि आप मोटापे पर कंट्रोल (नियंत्रण) कर पाएंगे। लेकिन एक्सरसाइज मस्ट (सबसे बेहतर) है, ध्यान भी जरूरी है, अगर ध्यान में थोड़ी देर के लिए बैठे आप, उससे विल पावर का आना, उससे फिर एक भावना जागती है कि यार मुझे घूमना चाहिए, एक अच्छा मूड, जिसे बच्चे कहते हैं कि मेरा आज मूड बन गया तो फिर आपका मूड बना रहेगा रोजाना कि घूमना है। हम कहा करते हैं कि आप 22 दिन आप घूमना शुरू कर लो, कि 15 मिनट सुबह और 15 मिनट शाम को घूमना है, तो 23वें दिन अपने आप घूमोगे। क्योंकि ये एक थ्योरी सी है, मनोदशा है। आदमी को जब आदत पड़ जाती है तो उसे वो करता ही करता है।


सवाल : कई बार पता चलता है कि हमारे भाई या बहन का दोस्त उनका गलत फायदा उठा रहा है, लेकिन संकोच के चलते हम उन्हें ये बता नहीं पाते हैं तो इस स्थिति में क्या किया जाए?
पूज्य गुरू जी का जवाब : हमें लगता है कि अगर आप भाई-बहन बचपन से ही बेझिझक बातचीत करते आ रहे हैं तो अब बड़े हो गए हैं तो बेझिझक बता देना चाहिए, कि ये-ये कमियां मुझे नजर आई हैं। मैं नहीं चाहता की आपका संबंध टूटे या आपकी दोस्ती पर कोई असर आए। इस बारे में सचेत करना आपका फ़र्ज है और करते रहिए क्योंकि आप एक ही माँ-बाप का खून हैं, एक ही माँ-बाप के बच्चे हैं। नहीं करेंगे तो आपको अपराधबोध आएगा कि हाँ, भई मैंने ऐसा क्यों नहीं किया, जब उनको तकलीफ आएगी, उनको दर्द होगा, तब आप अपने आप को भी तकलीफ महसूस करेंगे कि यार मैं उस समय बता देता या बता देती तो ये भईया के साथ या बहन के साथ ऐसा नहीं होता। तो क्यों ना पहले ही बता दिया जाए झिझक को मिटाकर, क्योंकि आप एक ही माँ-बाप के बच्चे हैं तो कैसी झिझक। दोनों में ऐसी झिझक होनी ही नहीं चाहिए, साफ-साफ बताना चाहिए, प्यार से बताना चाहिए, ना कि हेकड़ी जमाकर या कुछ लड़ झगड़कर। अगर प्यार से हैंडल (हल) करेंगे इस समस्या को तो जरूर दूर हो जाएगी। पर सच जरूर बताएं, अच्छा दोस्त भी वहीं होता है, जो अपने दोस्त के अवगुण को भी बता देता है गुणों के साथ-साथ, ना कि जी हजूरिया रहता है। तो ऐसे ही बहन-भाई या परिवार में संबंध वो ही अच्छे होते हैं, जो सच्ची बात से आपको आइना दिखा दे। तो हमें लगता है कि प्यार से आइना दिखाना चाहिए, आज का टाइम ही ऐसा है, खान-पान की वजह से तुनकमिज़ाजी ज्यादा आ गई है और नरममिज़ाजी कम होती जा रही है।


सवाल : गुरू जी करवाचौथ के व्रत वाले दिन मेरी जेब 70 प्रतिशत खर्च गई और अब अर्धांगिनी जी कहती हैं कि आपने दिया ही क्या है? इस स्थिति में क्या करें?
पूज्य गुरू जी का जवाब : हम बेटियों को यही बताते हैं कि बेटा! करवाचौथ का व्रत जो हमारे धर्मों में बताया गया है उसको सही रीत से अगर आप रखें तो आपको स्वास्थ्य लाभ भी होगा। उसमें बताया गया है कि आप आधी रात को आप व्रत शुरू करते हैं। उस समय थोड़ा भोजन खाकर, ना कि इतना ज्यादा ठूंस लें कि व्रत की बजाय आंतड़ियों को उसको हज़म करने के लिए लाले पड़ जाएं। और शाम को भी गुनगुने पानी से या फिर हल्का जैसे दलिया वगैराह खाकर ही तोड़ें तो हमें लगता है कि आतंडियां खाली रहेंगी और जेब भी भरी रहेगी। पर अगर ऐसा नहीं हो पाता तो प्यार से समझाएं कि ये हमारे स्वास्थ्य के लिए जरूरी है। इससे अच्छा कि व्रत ना ही रखो, बीच में खाते रहो वो ज्यादा अच्छा है अगर आप व्रत नहीं रख पाते तो। वैसे तो व्रत रखना चाहिए। हफ्ते में एक बार रख लो, पन्द्रह दिन में एक बार रख लो, पूरी सेहत के लिए वो बहुत ही जरूरी है। लेकिन प्यार से हैंडल करें ना की लड़-झगड़कर।

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सवाल : गुरू जी आज कंप्यूटर और मोबाइल का इस्तेमाल बहुत ज्यादा हो गया है और उससे आँखों की समस्याएं काफी ज्यादा बढ़ गई हैं, चश्मा लग गया है। क्या आँखों की रोशनी को नैचुरली (प्राकृतिक तौर पर) रिकवर किया जा सकता है, कोई तरीका बताएं।
पूज्य गुरू जी का जवाब : हाँ, बिल्कुल, हमारे ख्याल से नैचुरली तरीके से काफी हद तक चश्में हटाए जा सकते हैं। जिन विटामिंस की जरूरत है, एक तो वो विटामिंस नैचुरली तरीके से लिए जाएं। आमतौर पर एक धारणा है मिट्ठी हरी मिर्च को खाने में शामिल कर लिया जाए और वॉकिंग को जॉगिंग में बदल दिया जाए तो काफी हद तक बॉडी फैट घटेंगे और मसल अगर थोड़े से आपके आ जाएं, तो वो मसल आपके आँखों तक भी असर करेंगे। यानि वो फैट को खाएंगे और साथ-साथ बीमारियां भी खत्म होंगी। और खान-पान में ऐसी चीजें जरूर शामिल करें, जिससे आँखों की रोशनी बढ़े। और ये जरूरी है जब आप पढ़ रहे हैं लगातार पास निगाह में तो दस मिनट बाद कम से कम आप कुछ देर के लिए कुछ मीटर, मान लो 20 मीटर या 50 मीटर दूर देखें, लगभग दो मिनट के लिए। फिर आप 10-15 मिनट के लिए पढ़ लें तो वो भी आपकी निगाह के लिए बेहतर एक्सरसाइज (व्यायाम) है, क्योंकि वो जो फोकस होता है, वो आपका सही रहता है और धीरे-धीरे रिकवर होना शुरू हो जाता है। पर आपमें जो बीमारियां हैं, वो भी कारण बनती हैं निगाह घटने की। लगातार आप जो रजाई में बैठकर नजदीक से मोबाइल देखते रहते हैं, मम्मी-पापा से डरते हुए, कि भई उनको पता नहीं चलने देना। उनसे तो आप डर रहे हैं, लेकिन आप अपनी आँखों से नहीं डर रहे कि कहीं वो ना चली जाएं। लेकिन आप परवाह ही नहीं करते, जवान उम्र ऐसी ही होती है। तब किसको फिक्र होता है, लेकिन जब चश्में मोटे-मोटे चढ़ते हैं, तब याद आती है कि यार ये हम गलत कर बैठे, पर फिर पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत। लेकिन भगवान ने, कुदरत ने ताकत दी है आपके अंदर विल पावर को जगा लो और जैसे बताया घूम रहे हो तो उसको जॉगिंग में बदलो यानि थोड़ा-थोड़ा भागना शुरू करें। जॉगिंग करें 5-7 मिनट। पहले धीमे घूमें, फिर तेज घूमें फिर जॉगिंग करें और उसको थोड़ा लम्बे टाइम के लिए करें, सुबह-शाम नियम बना लें तो यकीनन जैसे-जैसे एक्सरसाइज करते जाएंगे तो रिवर्स जरूर होगा। हमने ये देखा हुआ है और आजमाया हुआ है।


सवाल : गुरू जी बच्चों को स्कूल-कॉलेज में मोटा-मोटा या पतला-पतला कह कर चिढ़ाया जाता है। उन्हें इस हद तक परेशान किया जाता है कि वो अब स्कूल-कॉलेज में बच्चे क्लास तक मिस करने लगे हैं। इससे छोटे बच्चे तो डिप्रेशन में भी आ जाते हैं। बच्चों को इस परेशानी से कैसे निकाला जाए?
पूज्य गुरू जी का जवाब : बात हमारे अनुसार तो वहीं पर आ जाती है कि अगर आपके अंदर विल पावर है तो कोई कुछ भी कहता रहे फर्क नहीं पड़ना चाहिए। दुनिया को कभी भी खुश नहीं किया जा सकता। आप संतुष्ट नहीं कर सकते, चाहे आप कुछ भी कर लें। कहने वाले ने बात कह ही देनी है। हम एक बात सुनाया करते हैं कई बार, कि कोई गधा लेकर जा रहा था या खच्चर लेकर जा रहा था, जो छोटे से कद का था। तो दोनों चले जा रहे थे तो लोग हँसने लगे कि ये देखो कितने मूर्ख हैं, सवारी पास में हैं और ये बाप-बेटा पैदल जा रहे हैं। तो बाप कहने लगा कि बेटा तूं बैठ जा, मैं आगे चलता हूँ। तो वो चलने लगा। थोड़ा आगे लोग मिले, वो हँसने लगे कि ये नौजवान हट्टा-कट्टा खच्चर पर बैठा है और इसका बाप पैदल चल रहा है, इसको शर्म नहीं आती। तो वो बेटा कहता कि पापा आप ही बैठ जाओ, मैं चलता हूँ। तो वो खच्चर पर बैठकर चलने लगा, तो ये हकीकत है, सच्चाई है पुराने समय की बातें हैं। अब बच्चा चलने लगा तो अब आगे लोग मिले तो वो बुजुर्ग कहते कि इसको शर्म नहीं आती कि इतने छोटे बच्चे को पैदल चला रखा है और ख़ुद आराम से खच्चर पर बैठा है। अब दोनों सोचने लगे कि करें क्या? ये बैठता है तो मुझे टोकते हैं और मैं बैठता हूँ तो इसे टोक देते हैं। दोनों ने क्या किया उस खच्चर को ही उठा लिया तो वो चलने लगे, रास्ते में नहर का पुल आ गया। तो लोगों ने ताली मार दी जोर से और वो खच्चर बिदक गया और बिदक कर उनके हाथों से छूटा और नहर में डूब गया। तो दोनों बैठकर वहां रोने लगे। सो उदाहरण के लिए ये बात हम बताया करते हैं कि आप दुनिया को खुश नहीं कर सकते। वो कुछ भी बोले, बोलते रहना है, दुनिया का काम है। आपका मार्ग अगर सही है, आप अपने अंदर से अगर सच्चे हैं तो अपने मार्ग पर चलते जाइये। और अंदर अगर विल पावर होगा, तभी ये संभव होगा। वरना आपके दिमाग पर बोझ पड़ने लग जाएगा। आप कतराएंगे उस जगह पर जाने से जहां पर आपको टोका जाता है, ये तो मोटा आ गया, ये टकला आ गया या ये फलां आ गया, सिकिया पहलवान आ गया। तरह-तरह के नाम रख देते हैं बच्चे। हमारे ख्याल से ऐसा करना नहीं चाहिए, हमारी उन बच्चों से भी गुजारिश है, कि किसी की भावना से खिलवाड़ नहीं करना चाहिए। पर भावनाओं को ही इतना मजबूत बना लो कि आपके ऊपर असर ना हो इन चीजों का। तो हमें लगता है इससे बचा जा सकता है विल पावर के द्वारा, आत्मबल के द्वारा और वो राम-नाम के बिना नहीं आ सकता। जितना जल्दी राम-नाम से आता है और चीजों से नहीं आता।


सवाल: गुरू जी मेरा भाई बहुत जिम करता है। उसका आमतौर पर एक सवाल रहता है कि जैसे ये दिन निर्धारित होते हैं टांगों, छाती, कंधों की एक्सरसाइज के लिए। तो ऐसी कौन सी एक्सरसाइज है जो हम छोड़ नहीं सकते यानि जिसे रोजाना करना ही चाहिए?
पूज्य गुरू जी का जवाब : सबसे बढ़िया एक्सरसाइज कि आप वॉक (धीमे चलें) करें और अगर सीढ़िया हैं आपके पास तो उनके ऊपर उतरना-चढ़ना वो भी अपने आप में एक एक्सरसाइज है। सीढ़ियां चढ़ते हैं, उतरते हैं, मसल अच्छे बनते हैं उससे। पहले आराम से वॉक करें और फिर जॉगिंग करें तो जॉगिंग एक ऐसी चीज है जो वेट लॉस (वजन घटाने) के लिए सबसे बढ़िया है। पर उसके साथ खान-पान का भी ध्यान रखना होगा। ये नहीं कि जॉगिंग करके आ गए और जितना नॉर्मली खाते हो उससे डेढ़ गुणा खा गए तो उसका कोई फायदा नहीं है। खाने में कटौती रखें और जॉगिंग में बढ़ोत्तरी रखें। खाने को बिल्कुल खत्म नहीं करना, वरना बॉडी (शरीर) आपकी कमजोर पड़ेगी, चेहरे पर झुर्रिया आने लगेंगी, छोटी सी उम्र में आप बूढ़े लगने लगेंगे। खाने को मैंटेन करना है यानि एक बैलेंस डाइट लें और उसको धीरे-धीरे कम करके अपनी एक्सरसाइज को थोड़ा-थोड़ा बढ़ाते रहें और पानी खूब पीएं जितना हो सके तो इन चीजों को करने से हमें लगता है कि आप नॉर्मली अपनी लाइफ को सही कर सकते हैं, अपने शरीर को सही कर सकते हैं।
सवाल। गुरू जी देर रात को कुछ खाने की लालसा बहुत रहती है। ऐसा क्या खाएं कि हमें देर रात्रि खाने की इच्छा ना जगे?
पूज्य गुरू जी का जवाब : जब आप शाम के समय में जॉगिंग वगैराह करेंगे तो स्वस्थ खाना खाइये। और दूध वगैराह अगर संभव हो तो वो पी लीजिये। हमें नहीं लगता कि देर रात तक जाग पाएंगे, क्योंकि शरीर इतना थक जाएगा। और जैसे ही आप खाएंगे झट से नींद की तरफ जाएंगे। ना कि चिप्स की तरफ जाएंगे या तली हुई चीजों की तरफ जाएंगे। और नींद आपके शरीर को रिपेयर करेगी। तो पहले अपने शरीर की एक्सरसाइज जरूर करें। कहीं भी आप दफ्तर में काम करते हैं, कहीं भी करते हैं तो मैंटली डिस्टर्ब (मानसिक रूप से परेशान) हो जाते हैं, वहां से थक कर आते हैं, लेकिन बॉडी तो नहीं थकी हुई, वो तो बेचारी बैठी-बैठी आई है और स्कूटर पर बैठ गई या कार में बैठ गई या साइकिल पर बैठ गई, साईकिल वाली तो फिर भी एक्सरसाइज करके आई है, बाकी तो बेचारी वहां बैठी, थोड़ा सा पॉजीशन चेंज हुई वहां बैठ गई, वहां से थोड़ा सा चली, सोफे पर या कुर्सी पर बैठ गई, चारपाई पर बैठ गई तो आपने तो बैठक को ही सबसे बड़ा ऐम (लक्ष्य) बना रखा है। लेकिन जैसे आप वॉकिंग शुरू करोगे तो शरीर में थोड़ी थकावट आएगी, दिमाग फ्रैश होगा और फिर खान-पान अगर सही होगा तो नींद भी जल्दी आएगी। इस तरह आप नेट नाइट वाली चीजों से परहेज कर सकते हो, बच सकते हैं।
क्रमश:

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