Saint Dr. MSG Insan ने जहन्नुम-सी जिंदगी को जन्नत में बदला

Bathinda

भटिंडा (सच कहूँ/सुखजीत मान)। पूज्य गुरू संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां द्वारा आॅनलाइन गुरूकुल के तहत रोजाना अपने अनमोल वचनों के द्वारा युवा पीढ़ी को नशे का त्याग करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। पूज्य गुरू जी के वचनों से प्रभावित होकर बड़ी संख्या में युवा नशे छोड़ रहे हैं। जिसके चलते उनकी जहन्नुम से बदत्तर रही ज़िंदगी अब जन्नत में बदल रही है। इन्हीं में से एक हैं जिला भटिंडा के गांव गोबिंदपुरा के रहने वाले युवा अंग्रेज सिंह, जिनका जीवन भी नशों से बर्बाद हो गया था, लेकिन अब उसके जीवन में नई सवेर का उजाला हो गया है। नाम की अनमोल दात प्राप्त कर नशे को छोड़ा और घर में खुशियों की बहार आ गई है। युवा अंग्रेज सिंह ने सच कहूँ प्रतिनिधि के साथ अपने जीवन के अनुभवों को साझा किया, पेश हैं कुछ अंश:
सवाल: अंग्रेज सिंह क्या नशा करता था और कितने समय से?
जवाब: मैं पिछले सात-आठ वर्ष से लगातार चिट्टे का नशा करता था। मुझे हर वक्त चिट्टे की तलब लगी रहती थी।
सवाल: नशे के लिए पैसा कहां से लेता था?
जवाब: पहले तो चार-पांच महीने दोस्तों से पैसे लिए, जिन्हें यह पता नहीं था कि मैं नशा करता हूँ। कुछ मेरे पास भी थे। उसके बाद चोरी आदि भी की, जिस कारण कई केस भी दर्ज हुए। जैसे ठीक लगता था कभी किसी से पैसे पकड़ लिए व कभी चोरी कर लिए। ऐसे ही काम चलता था।
सवाल: नशा छोड़ने का सबब कैसे बना, कहां से पे्ररणा मिली?
जवाब : मैं गाँव के ही डेरा सच्चा सौदा के श्रद्धालु गुरप्रीत सिंह के साथ गाड़ी में जा रहा था। तब गॉड़ी में ही उन्होंने पूज्य गुरू संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां का लाइव सत्संग अपने फोन पर सुनाया था। उसके बाद गुरप्रीत ने भी मुझे समझाया। तब मैंने नशे की इस बुरी लत को छोड़ने की इच्छा जताई। फिर जब मैंने नशा लेना बंद कर दिया, तब मेरे ऊपर नजर भी रखी गई और अब भी रखते हैं। पूज्य गुरू जी की कृपा हुई और मैंने भटिंडा में आॅनलाइन सत्संग सुना, जिसके बाद मैंने भी नशा छोड़ दिया।
सवाल: नशा छोड़ने के बाद कैसा महसूस होता है, कोई काम करते हो?
जवाब: मैं रोजाना ही गुरप्रीत सिंह के साथ ही काम पर जाता हूँ। शुरूआती हफ्ते में परेशानी जरूर होती है, वह भी केवल सोचने के साथ ही आती है, लेकिन यदि हम किसी गलत व्यक्ति के साथ जाएंगे तो सोच भी वैसी ही बन जाती है। अब काम करने वाले व्यक्तियों के साथ रहने के कारण काम की तरफ ध्यान लग गया है, नशे की तरफ ध्यान जाता ही नहीं।
सवाल: आम लोगों में यह धारणा होती है कि यदि अब नशा छोड़ा तो अधरंग हो जाएगा या कोई और बीमारी लग जाएगी?
जवाब: ऐसा कुछ भी नहीं होता, यह केवल कहने की बातें हैं। जब मेरे खिलाफ केस दर्ज होता था, पुलिस उठाकर ले जाती थी तो वहां कौन सा नशा मिलता था या जेल में कोई नशा देते हैं, वहां तो अधरंग हुआ नहीं। कईयों को यह केवल डर होता है, लेकिन अब कुछ नहीं, बस दो-तीन दिन ही शरीर को तकलीफ हुई।
सवाल: पहले और अब आपके घर के माहौल में क्या बदलाव आया है?
जवाब: पहले कभी मैंने अपनी माँ को खुश नहीं देखा था। वो हमेशा मेरे नशा करने से डरी, सहमी सी रहती थी। लेकिन जब से मैंने नशा छोड़ा है, मेरी माँ के चेहरे की खुशी मुझे भी बहुत खुशी देती है।
सवाल: पंजाब में बड़ी संख्या में युवा नशे की गिरफ्त में हैं, उन्हें नशा छोड़ने के लिए क्या कहेंगे?
जवाब: नशा छोड़ना कोई बड़ी बात नहीं, अच्छा रंग-संग मिलने चाहिए, जिस तरह मुझे गुरप्रीत सिंह का साथ मिला और रंग परमात्मा का मिला, जिस कारण मैं अब बिल्कुल ठीक हूँ। युवाओं में यह वहम् है कि नशा कभी छोड़ा नहीं जा सकता। मेरे साथ 3-4 और भी लड़कों ने नशा छोड़ा है, उन्हें भी कोई दिक्कत नहीं हुई।

सब पूज्य गुरू जी की कृपा से संभव हो सका: गुरप्रीत इन्सां

गोबिंदपुरा निवासी गुरप्रीत सिंह इन्सां का कहना है कि अंगे्रज सिंह ने जो नशा छोड़ा है वह सब पूज्य गुरू संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की दया-मेहर, रहमत से ही संभव हो सका है। अंग्रेज सिंह ने आॅनलाइन सत्संग सुना, जिससे वह काफी प्रभावित हुआ। उसके बाद भटिंडा में जाकर आॅनलाइन सत्संग सुना व अपने साथ और भी चिट्टे का नशा करने वाले युवाओं को लेकर गया, उन्होंने भी नशा छोड़ दिया है।

पहले घर का बुरा हाल था, अब सबकुछ ठीक है: गुरजीत कौर

अंग्रेज सिंह की वृद्ध माता गुरजीत कौर का कहना है कि जब से उसके बेटे ने नशा छोड़ा है, तब से घर के हालात सुधर गए हैं, क्योंकि वक्त पर काम से घर आ जाता है और सुबह काम पर चला जाता है। इससे पहले 10 जने आते-जाते थे, जिससे घर का बुरा हाल कर दिया था। बाहर तो चोरियां करता ही था, घर का सामान तक भी बेच दिया था। कोई उम्मीद नहीं थी कि अंग्रेज नशा छोड़ देगा, लेकिन गांव के गुरप्रीत सिंह ने उसे समझाया व परमात्मा की कृपा हुई और अंग्रेज ने नशा छोड़ दिया।

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