काशी की साध-संगत पर पूज्य गुरु जी ने बरसाई रहमतें…और गुरु जी ने कर दिए वचन

Spiritual Discourse Varanasi

काशी में बजा MSG के नाम का डंका

जाल्हूपुर (बनारस)। पूज्य गुरू संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां द्वारा डेरा सच्चा सौदा के संस्थापक बेपरवाह साईं शाह मस्ताना जी महाराज के पावन अवतार माह की खुशी में देव पैलेस, जहालुुपुर, बनारस (उत्तर प्रदेश) की साध-संगत ने आॅनलाइन गुरूकुल के माध्यम से पूज्य गुरू जी के रूहानी वचनों को एकाग्रचित होकर ध्यान से सुना। पंडाल खचाखच भरा हुआ था, हजारों लोगों को पूज्य गुरु जी ने नशा छूड़वा कर राम-नाम से जोड़ा। इसके बाद देव पैलेस में उपस्थित साध-संगत से रूबरू हुए। पूज्य गुरु जी ने फरमाया, ‘सारी साध-संगत को बहुत-बहुत आशीर्वाद। संत, पीर, फकीरो की धरती से आप लोग बोल रहे है, मालिक खुशी दे बेटा, आशीर्वाद और हाथों में तिरंगे है बच्चो के, गुब्बारे है, बहुत अच्छे लग रहे हो बच्चो, सारे के सारे।

मालिक का नाम सही तरीके से लिया जाए तो इसका असर ज्यादा होता है

पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि मालिक का नाम, प्रभु का नाम, सुखो की खान है, पर सही ढंग से, सही तरीके से अगर ले लिया जाए तो इसका असर बेइंतहा ज्यादा है। डॉक्टर कोई भी दवाई देते हैं, पुरातन समय में भी वैद्य कोई दवा देते थे, कोई भी दवाई दी जाती थी, तो उसके साथ परहेज बताये जाते थे। बिना परहेज के दवा ली जाती थी तो वो फायदा नहीं होता था जो होना चाहिए। इसी तरह ओम, हरि, अल्लाह, गॉड, खुदा रब्ब का नाम है, अगर यह परहेज के साथ जो नियम बताये जाते हैं, सूफी संत, पीर-फकीर समझाते है, भाई राम-नाम की दवा, मालिक के नाम की दवा, आप लें और ये तीन नियम है, तीन परहेज है, ये-ये बुराईयां आपने नहीं करनी। उनको मानते हुए जब आप राम-नाम का जाप करते हैं, प्रभु-परमात्मा की भक्ति-इबादत करते हैं, तो यकीनन आपकी हर जायज मांग की तरफ आप कदम बढ़ाते चले जाते हैं।

भक्ति करो, इबादत करो, सुमिरन करो

पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि कर्इं बार इन्सान कहता है, कि यह मांग तो मेरी जायज थी, पूरी क्यों नहीं हुई, आप नहीं जानते, जायज क्या है और नाजायज क्या है, ये तो समय के गर्भ में छूपा वो राज है, जिसे परम पिता परमात्मा जानता है। इन्सान इसे नहीं समझ सकता। आप भक्ति करो, इबादत करो, सुमिरन करो, फल परम पिता परमात्मा पर छोड़ दो, हां जो आपकी इच्छा है, जो आप हासिल करना चाहते हैं, उसकी प्रार्थना कर दीजिए और फिर प्रभु के नाम का सुमिरन कीजिए, भक्ति कीजिए, अगर फिर भी वो आपकी मांग पूरी नहीं हो पारी, तो हो सकता है, आपके लिए उसमें कुछ नुक्सानदायक हो, हो सकता है, जिस समय आप उतावला पन कर रहे हैं, वो आपके अनुकूल ना हो, इसलिए वो अपने हिसाब से हर चीज को, जरूर करता है, अगर कोई भक्त उसकी भक्ति -इबादत करता है।

पर समय का प्रतिकुल प्रभाव पड़ेगा, या अनुकूल पड़ेगा, ये तो राम जी को पता है, उदाहरण के तौर पे, छोटे बच्चे, हर चीज में हाथ मारते है, हर चीज मांगते है, मैं ये भी ले लूं, मैं वो भी ले लूं क्या दहकता अंगार आप अपने बच्चों के हाथ में दे देंगे, क्योंकि छोटे बच्चे को कुछ भी दिखाई देता है, तब उसकी बुद्धि विवेक एक बात ही कहती है कि यह खाने वाली चीज है, मुंह में डाल ले।

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