पाक की दुर्दशा

Imran-khan
पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान

पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की गिरफ्तारी व गिरफ्तार करने का (Pakistan’s plight) तरीका दोनों से साबित होता है कि पाक अभी भी 1970 के दौर से गुजर रहा है। भले ही भ्रष्टाचार या कोई अपराधिक मामला हो, यदि प्रधानमंत्री भी दोषी है तो उसके खिलाफ अवश्य कार्रवाई होनी चाहिए, लेकिन जिस प्रकार से पाक रेंजर्स ने इमरान खान को गले से पकड़ते हुए बख्तरबंद गाड़ी में बिठा लिया। इस घटना से ऐसा लगता है कि देश में राजनीतिक बदलाखोरी और सेना का दखल निरंतर बढ़ता जा रहा है। ऐसा ही नवाज शरीफ के साथ हुआ था। शरीफ को जेल में बंद किया जा सकता था लेकिन उस वक्त के सेना के जनरल परवेज मुशर्रफ ने तख्तापलट कर संविधान और लोकतंत्र का ही धज्ज्यिां उड़ा दी थी।

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वास्तव में पाकिस्तान में सबकुछ सेना के रहम पर आधारित है। जब तक (Pakistan’s plight) सेना किसी प्रधानमंत्री से खुश है तब तक उसकी कुर्सी कायम है। पाक सेना इतनी ताकत रखती है कि चाहे तो चंद मिनटों में ही प्रधानमंत्री को कुर्सी से उतार सकती है। पाकिस्तान के सात प्रधानमंत्री के खिलाफ पुलिस कार्रवाई हुई, जिनमें से कईयों को जमकर परेशान किया गया। वास्तव में इमरान खान की राजनीतिक पहुंच सेना और विपक्ष को हजम नहीं हुई थी। इमरान ने सेना के खिलाफ बोलने की हिम्मत कर पहले अपनी कुर्सी गंवाई और फिर लगभग तय था कि इस गलती का उसे जल्द जी खमियाजा भुगतना पड़ेगा। नवाज शरीफ से पहले जनरल जिया उल हक ने तत्कालीन प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो को फांसी पर चढ़ाकर ही सैन्य राज का दबदबा होने की ऐसी मिसाल पेश की कि बाद में तैनात हुए जनरल भी उसे दोहराते रहे। यह पाक की जनता का दुर्भाग्य है कि वहां सेना ने लोकतंत्र को कुचल दिया है।

पाकिस्तान की दुगर्ति पर भारत को भी चौकस रहना होगा। यह उथल-पुथल पाक में फल-फुल रहे आतंक के कारण हुई। जहां राष्टÑीय नेताओं को गाजर-मूली की भांति मौत के घाट उतारा जाता हो वहां लोकतंत्र स्थापित करना सपने के बराबर है। हिम्मत से बात करने वाली बेनजीर भुट्टो भी आतंक की भेंट चढ़ गई। ऊपर से दुर्भाग्य है कि पाकिस्तान पहले ही विश्व के कई देशों के हाथों की कठपुतली बना हुआ है। उपरोक्त सभी देश पाकिस्तान की दशा सुधारने की बजाए उनका प्रयोग कर रहे हैं। पाकिस्तान की दुर्दशा उनके अपने देश में ही सुधरेगी, जब कोई कर्मठ, ईमानदार व जनहित के मुद्दों को समझने वाला नेता कमान संभालेगा। जो सेना के भय और आतंकवाद की नीति से रहित होकर सच के साथ चलने की हिम्मत दिखाएगा वही नेता पाक को समस्याओं से उभार सकेगा। हाल ही में पाकिस्तान अंधेरे के समुन्द्र में गोते लगाता हुआ नजर आ रहा है।