राम का नाम ही एकमात्र सच, जो कभी बदलता नहीं : पूज्य गुरु जी

Ram's name is the only truth, which never changes Pujya Guru ji

सरसा। शाह सतनाम जी धाम में रविवार को नामचर्चा का आयोजन किया गया। नामचर्चा का शुभारंभ पवित्र नारे ‘धन-धन सतगुरु तेरा ही आसरा’ के साथ किया गया। इसके पश्चात कविराज भाइयों ने भक्तिमय भजनों के माध्यम से सतगुरु की महिमा का गुणगान किया। इस अवसर पर साध-संगत ने पूज्य गुरु जी के रिकॉर्डिड पावन वचनों को एकाग्रचित होकर श्रवण किया। रिकॉर्डिड वचनों में पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने फरमाया कि सत्संग क्यों जरूरी है? सत् मतलब सच और संग माने साथ। अब सवाल उठता है कि सच का साथ कहां करे, किस जगह करे। क्या आपको लगता है कि कोई 100 प्रतिशत सच बोलता होगा। इस घोर कलियुग में 100 फीसदी तो दूर अगर कोई 50 फीसदी भी सच बोले तो भी अच्छा इन्सान होता है और 80-90 तो बहुत ही अच्छा है। यदि 100 फीसदी सच बोले तो कहना ही क्या।

आप जी ने फरमाया कि अब बात ये आती है कि फिर किसके ऊपर यकीन किया जाए। हर कोई कहता है कि मैं सच बोलता हूँ। हर कोई कहता है कि मैं सही हूँ। हर कोई कहता है कि मैं ही ठीक हूँ और बाकी सारी दुनिया गलत। फिर किस सच पर यकीन करें। किस सच का संग करें। पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि एक ऐसा सच भी है, जो कभी बदलता नहीं है। एक ऐसा सच है जो आदिकाल से चला है, चल रहा है, चलता ही रहेगा। वो कभी झूठा हुआ ही नहीं। जो ऐसे सच से जुड़ जाया करते हैं, वो तमाम जिन्दगी खुशियां हासिल करते हैं और मरणोपरांत आवागमन से आजाद होकर मोक्ष मुक्ति हासिल करते हैं। तो ऐसा सच एक ही है, वो है ओउम, अल्लाह, वाहेगुरु, गॉड, खुदा, राम। आप उसका संग करें या ना करें पर वो आपका संग हमेशा करता है। आप उसे माने या ना माने, पर वो हमेशा आपके अंदर रहता है।

पूज्य गुरु जी ने आगे फरमाया कि कई लोग पूछते हैं कि आदमी जब गुनाह करता है, बुरे कर्म करता है, क्या मालिक तब भी अंदर होता है, अगर होता है तो रोकता क्यों नहीं। आदमी जब बुरे कर्म करने शुरू करता है तो अंदर से एक आवाज आती है, मत कर ये बुरा कर्म। और दूसरी आवाज आती है कि सारी दुनिया कर रही है, अकेले तेरे करने से क्या फर्क पड़ जाएगा, ये मन की आवाज होती है। पहली आत्मा, परमात्मा की आवाज कि मत कर बुरे कर्म। पर क्या आप सुनते हैं? फिर कोई कहे कि भगवान तो बहुत पावरफुल है, अगर हम नहीं माने तो वो मनवा लेगा।

आप जी ने फरमाया कि भगवान ने ये वचन दिए हैं कि वो प्रत्यक्ष इस त्रिलोकी में किसी को नहीं रोकेगा। हाँ, वो अपने संत भेजेगा, अपने पीर-पैगम्बर, महापुरुष भेजगा, अपने अवतार भेजेगा। कोई उनकी बात को सुनकर अमल करेगा, उन्हें चमत्कार नजर आएंगे, खुशियां मिलेंगी, लज्जतें आएंगी। इसलिए इन्सान को अपने संत, पीर फकीर के वचनों को मानना चाहिए। तत्पश्चात नामचर्चा के दौरान चार नवयुगल डेरा सच्चा सौदा की मर्यादानुसार दिलजोड़ माला पहनाकर विवाह बंधन में बंधे। नामचर्चा की समाप्ति पर आई हुई साध-संगत को कुछ ही मिनटों में लंगर भोजन खिला दिया गया।

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