बिहार में मानवता भलाई के साथ मनाया पूज्य गुरुजी का शुभागमन

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मधेपुरा। पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां के बरनावा (welcomes) आश्रम में पधारने की खुशखबरी पाकर डेरा सच्चा सौदा की साध संगत झूमती, नाचती-गाती नजर आ रही है। इसके अलावा पूज्य गुरुजी की पावन प्रेरणाओं अनुसार खुशी इजहार करने का अनोखा तरीका अपनाकर बिहार के मधेपुरा की साध-संगत ने दो परिवारों को राशन वितरित कर पूज्य गुरुजी का सहृदय शुकराना किया।

पूज्य गुरु जी ने बताई प्रलय महाप्रलय की निशानियां

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 पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां बरनावा आश्रम से लाइव होकर साध संगत को लगातार खुशियां दे रहे हैं। संतो को आने वाले हर समय का पता होता है। पूज्य गुरुजी साध संगत को अच्छा जीवन जीने के लिए गाइड करते रहते हैं। आज पूज्य गुरु जी ने यूट्यूब लाइव के माध्यम से साध संगत को हर समस्या का सलूशन बताते हुए कहा कि आप राम का नाम जपें , ओम हरि अल्लाह वाहेगुरु गॉड खुदा रब की भक्ति करें। उससे जब आप बिजनेस व्यापार खेती-बाड़ी करते हैं उसमें भी फायदा होगा और शरीर में आत्मिक शांति भी मिलेगी। पतझड़ में बाहर लगेगी। कब लगती है? जब शरीर तंदुरुस्त हो और दिमाग खुश हो। पर बहार भी पतझड़ लगती है जब दिमाग में टेंशन है और शरीर बीमारियों से घिरा हो। चाहे कितनी ही बहार आ जाए फिर लगेगा जैसे पतझड़ है। तो जब शरीर में तंदुरुस्ती होगी और दिमाग में टेंशन फ्री होगी जब आपके दिमाग में आत्मबल परिपूर्ण होगा तो पतझड़ भी बाहर लगेगी। और जब बहार लगेगी तो बहार में जो बीज बोया जाता है वही फलता फूलता है। सूखे में बोई हुई चीज कोई उगती नहीं।

ऐसे थोड़ी ना बरसात को उड़ीकते रहते हैं लोग। पर बरसात सही समय पर आ जाए लेकिन आजकल तो गड़बड़ हो रही है जब बरसात नहीं चाहिए तब आती है। जब चाहिए तब नहीं आती। यह क्यों होता है ऐसा क्यों हो रहा है इस पर भी बात करेंगे अभी। इसकी वजह है जो हमने अनुभव किया पिछली बार भी हमने कहा था आपको जब पिछली बार आए थे कि शाह सतनाम शाह मस्तान जी ने इस बॉडी से पता नहीं क्या काम लेना है जो इतनी तपस्या करवाई उन्होंने। तो फीलिंग आती है महसूस होता है कि ऐसा तब होता है, मालिक ऐसा करे ना यह मालिक से दुआ है , पर यह परिवर्तन तब आता है जब प्रलय की तरफ दुनिया बढ़ रही होती है। बड़ी दुखद बात है जनसंख्या का विस्फोट होने को तैयार है। इतने बच्चे बढ़ते जा रहे हैं इतनी जनसंख्या होती जा रही है कि पूछो मत। पानी धरती में नीचे गायब होता जा रहा है। कैंसर जैसी कई भयानक बीमारियां दुनिया में छाती जा रही हैं और आप सब जानते हैं हमने कल भी बोला था भाई कि हम 90 से या उससे पहले से लगे हुए हैं या 1948 ही मान लीजिए कि यह जो नशा है यह घातक है और 90, 92, 93 के बाद तो हम सीधा ही आपको कहने लग गए कि यह इनडायरेक्टली युद्ध छिड़ गया है और हमारी आने वाली पीढ़ियों को निकम्मा करने के लिए यह नशा शुरू कर दिया गया है और आज क्या मैदानी इलाका क्या आसमानी इलाका क्या समुंदर किनारे सब जगह नशे ने पांव पसारे। और बुरा हाल हो रहा है।

मां बाप रोकते हैं तो भद्दे लगते हैं

समाज में ज्यादातर लोग इससे दुखी हैं। लोग मर रहे हैं नशा कर करके क्योंकि उसमें केमिकल की मात्रा ज्यादा है। आदत पड़ जाती है बंदे को और फिर वह बर्बाद होता चला जाता है ‌और इससे बंदा मरता बड़ी जल्दी है। कई कहते हैं भगवान ने जो उम्र लिख दी मरना है। नहीं भगवान ने उम्र नहीं स्वास लिखे हैं। लेखे तेरे स्वास ग्रास। अब 50 वाला 25 में मर रहा है। इस तरह से आप खुद को बर्बाद कर रहे हैं। तो यह निशानियां जो आ रही हैं बड़ी डरावनी हैं ,घातक हैं। ओम हरि अल्लाह वाहेगुरु गॉड खुदा, राम से दुआ है प्रार्थना है कि मालिक तू रोके तो रोके वरना आज यह गंदगी खाने से, ड्रग लेने से , बुराई करने से आज का इंसान बाज नहीं आ रहा। हट ही नहीं रहा किसी के रोकने से रुक नहीं रहा। मां बाप रोकते हैं तो खुदकुशी का ड्रावा देता है । मां बाप रोकते हैं तो भद्दे लगते हैं गंदे लगते हैं कि यह क्यों रोकते हैं मुझे नशा करने से। तो समाज में भयानक परिवर्तन आ रहे हैं और उसी का यह अंग है आप महसूस कर के देख लो बरसात बिना मौसम के हो रही है। मौसम जो पहले नहीं होता था वह हो रहा है जो नहीं होना चाहिए वह भी हो रहा है। ग्लेशियर पिघल रहे हैं‌। पानी नीचे जा रहा है, कोयला डीजल पेट्रोल कब तक चलेंगे? फिर क्या करोगे आदत तो हो गई है अब लाइटों के भी आदी हैं पंखों के भी आदी हैं , ऐ सी की भी आदत है बहुत सी चीजें हैं पर जब यह खत्म हो जाएगा जिन से यह चीजें बनती हैं फिर क्या करोगे? पुरातन समय में सौर ऊर्जा की रोशनी से ही सब कुछ लिया जाता था और प्रदूषण भी नहीं फैलता था उससे हमारे ख्याल से, बाकी तो साइंटिस्ट बता सकते हैं।

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भगवान का नाम ही आपको हर दुख तकलीफ से बचाता है | welcomes

सौर ऊर्जा से हमें नहीं लगता कोई प्रदूषण होता होगा तो , हां काफी बच्चों के हाथ खड़े हैं कह रहे हैं प्रदूषण नहीं होता। जी । हमें कैसे पता है कि यह चीज होगी ? हमें फीलिंग आ रही है महसूस हो रहा है कि कहीं साइकिल ही सबसे बढ़िया सवारी फिर ना हो जाए। कहीं तता तता फिर से ना होने लग जाए पंजाब वालिओ। और इधर झोटा बुग्गी वाले , राजस्थान ऊंट गाड़ी वालो कहने का मतलब जब पेट्रोल नहीं डीजल नहीं कोयला नहीं तो तो उठ की पूंछ ही पकड़ोगे, वह चमड़े वाली छांट चल ओए। सो कहने का मतलब फिर वही साइकिल की सवारी ना अच्छी लगने लग जाए। वैसे नंबर वन है साइकिल चलाना। सेहत की सेहत बनती है और जहां जाना वहां भी पहुंच जाते हो। बुरा ना मनाना हम तो आप गाड़ी में भी जाते हैं आप भी जाते हो। पर गाड़ी में जाने से जेब भी खाली होती है और सेहत भी खाली होती है। पर जाना पड़ता है और जाना पड़ेगा भी जब तक चल रही हैं गाड़ियां। कौन हटता है। भगवान का नाम ही आपको हर दुख तकलीफ से बचाता है इसलिए भगवान का नाम लेते रहें।

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