तारों की छांव में

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एक गांव में डोरा नामक लड़की और ब्रूटस नामक बंदर में गहरी दोस्ती थी। दोनों एक होटल में काम करते थे। दोनों दुनिया में अकेले थे। डोरा होटल में वेटर का काम करती और ब्रूटस ग्राहकों को हंसाने का काम करता था। एक रात वे होटल में देर रात तक काम कर रहे थे कि डोरा की आंख लग गई। तभी उसे ब्रूटस की आवाज सुनाई दी। ब्रूटस जादुई कालीन पर उड़ता हुआ उसके पास आ रहा था। साथ में दो परियां भी थीं। कालीन जब नीचे आ गया, तो ब्रूटस ने डोरा का हाथ पकड़कर उसे उठाया और कालीन पर बैठा लिया। कालीन फिर तारों भरे आकाश में उड़ने लगा। उनके साथ-साथ दोनों परियां भी उड़ने लगीं।

चंदा मामा और झिलमिल तारों को नजदीक से देखने के कारण उनका मन खुशी से झूमने लगा। एक परी छड़ी से कालीन को घुमा रही थी और दूसरी बाजा बजा रही थी। परियों ने उनसे कहा, ‘तुम दोनों बहुत अच्छे हो। हमेशा दूसरे लोगों की सेवा करते हो। इस बात से खुश हो कर हम तुम्हें वरदान देना चाहते हैं। तुम जो चाहो, वर मांग लो।’ सुन कर डोरा ने कहा, ‘मैं यह चाहती हूं कि कोई भी बच्चा अनाथ न हो और उसे छोटी उम्र में काम न करना पड़े।’ परियों ने ब्रूटस से पूछा, तो उसने भी यही कहा, ‘मैं चाहता हूं कि हर बच्चे का अपना घर हो।’ परियों ने कहा, ‘तुम दोनों बड़े ही नेक हो। तुमने अपने लिए कुछ नहीं मांगा। जाओ सुखी रहो।’ वरदान देकर परियां चली गईं। तभी होटल के मालिक ने उन्हें जगा कर बताया कि एक दंपति उन्हें गोद लेने के लिए आए हैं। अब वे होटल में नहीं, अपने घर में रहेंगे। यह सुनकर दोनों बहुत प्रसन्न हुए।

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