वरियाम खेड़ा का सरकारी प्राइमरी स्कूल बना मिसाल

स्कूल का अनुशासन देखते ही आता है नजर : सरपँच

  • खेल, सौन्दर्यकरण व शिक्षा के क्षेत्र में छू रहा बुलदियां

अबोहर(सच कहूँ/सुधीर अरोड़ा)। शहर व कॉन्वेंट या प्राइवेट स्कूलों से भी बेहतर पहचान गाँव के सरकारी स्कूलों की बनती नजर आने से दिल को सुकून प्रदान कर रही है। जिले भर में शिक्षा का स्तर बढ़ता जा रहा है। स्कूल शिक्षा विभाग व लोगों के प्रयास ने अध्यापकों की लगन व मेहनत को काफी ताकत प्रदान की है। बात करें जिला फाजिल्का के गाँव व तहसील अबोहर और ब्लॉक खुइयाँ सरवर के गाँव वरियाम खेड़ा के सरकारी प्राईमरी स्मार्ट स्कूल की तो वह काफी मनमोहक नजर आने लगा है। जो कि क्षेत्र के अन्य स्कूलों के लिए भी मिसाल कायम करता है। स्कूल के मुखी रोहताश कुमार बताते है कि उन्हें अभी 3 वर्ष ही हुए है यहां ज्वाइनिंग किए को और पहले भी यहाँ सब अच्छा था और अभी स्कूल स्टाफ व ग्रामवासियों, ग्राम पंचायत व शिक्षा विभाग के सहयोग से ओर अच्छा करने के प्रयास निरंतर जारी है।

स्कूल के खुले वातावरण में तकरीबन 300 बच्चे जिन्हें कुल 9 शिक्षक रोहताश कुमार, शंकर लाल गोठवाल, प्रियंका, प्रदीप कुमार, मनजीत कौर, पूनम, दया राम, रुकमा यादव, मुकेश, हरविंदर सिंह बडी लग्न व मेहनत से पढ़ाई करवा रहे है। कुछ साल पहले ऐसा भी था कि लोग अपने बच्चों को इस स्कूल में भेजना पसंद नहीं करते थे। लेकिन अब स्कूल की ऐसी नुहार बदली कि आज यह स्कूल क्षेत्र के लिए मिसाल बन चुका है।

कैमरों की नजर में रहता है पूरा स्कूल

स्कूल में स्वच्छ पानी के लिए दान दाताओं के सहयोग से आर ओ की व्यवस्था ओर इनवर्टर भी उपलब्ध है। वहीं स्कूल के सभी कक्षाओं में विभाग द्वारा दिए बैंच उपलब्ध है। बच्चों के लिए आधुनिक पढ़ाई हेतु विभाग की तरफ आए प्रोजेक्टर के माध्यम से पढ़ाई बच्चों के लिए ज्ञानवर्धक साबित हो रहा। खास बात यह भी है कि सभी कक्षाओं में कुल 6 कम्प्यूटर है जो कि आज के टेक्नोलॉजी युग में विद्यार्थियों के लिए अह्म है। इसके अलावा स्कूल में में बनी लाइब्रेरी को बच्चे शोंक से इश्तेमाल करते है। प्री प्राइमरी में एलईडी से बच्चे एकचित होकर पढ़ाई करते है। इन सबके बीच ही आज के समय में सुरक्षा दृष्टि की नजर से कैमरे भी स्थापित किए गए जो कि पूरे स्कूल को कवर करते है।

स्कूल मुखी रोहताश कुमार ने बातचीत में बताया कि यहां के बच्चों का अनुशासन सुबह स्कूल आरम्भ होते ही प्रार्थना के दौरान से ही पता चलता है। छोटे-छोटे पार्कों का गठन करके झूले इत्यादि लगे बच्चों को शिक्षा के साथ खेलों में भी बढ़ावा देते है। जिसके परिणामस्वरुप बच्चों ने खेलों में भाग लेकर ब्लॉक, तहसील, जिला लेवल तक स्कूल व गाँव का नाम हमेशा ही चमकाया है। स्कूल की ओर नजर जाते ही पार्कों के थम्ब रंग बिरंगे और उन पर लिखे स्लोगन अपनी ओर आकर्षित करते है। वहीं सप्ताह में 2 दिन स्कूल स्टॉफ यूनिफॉर्म में आते है।

दानी सज्जनों के सहयोग से मुख्य जरुरतों को कर पूरा करने की अपील

स्कूल मुखी रोहताश कुमार ने बताया कि अब भी कुछ मुख्य जरुरतें है। जिनके लिए दानी सज्जनों से सहयोग की अपील करते है। स्कूल के मुख्य द्वार का नवनिर्माण, स्कूल के रास्ते पर इंटरलॉकिंग टाइल्स, बच्चों के मिड डे मिल परोसने के समय शेड की आवश्यकता व 200 बच्चों के लिए ट्रेक सूट बनवाने हेतू आदि सहयोग की मुख्य जरुरतें शामिल है।

सरपंच सुधीर भादू ने मेहनती स्टाफ की होंसला अफजाई करते हुए कहा कि अध्यापकों की मेहनत से ही आज सरकारी स्कूल के बच्चे अन्य स्कूलों का मुकाबला करते नजर आते है। स्कूल के प्रत्येक नेक कार्यों में ग्राम पंचायत हमेशा कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी है। पहले भी सहयोग रहा आगे भी यथासंभव सहयोग रहेगा।

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