गुरुग्राम में डेंगू के 23 मामलों की पुष्टि, एडवाइजरी जारी

Dengue

गुरुग्राम(सच कहूँ न्यूज)। डेंगू की बीमारी को लेकर गुरुग्राम के स्वास्थ्य विभाग ने एडवाइजरी जारी की है। अब तक जिला में डेंगू के 23 मामलों की पुष्टि की गई है, जबकि रोजाना लगभग 100 मरीजों के सैंपल जांच के लिए भेजे जा रहे हैं। सिविल सर्जन डॉ. वीरेंद्र यादव ने बुधवार को जिलावासियों को Dengue की बीमारी को लेकर सतर्क रहने की अपील है। डेंगू को लेकर जारी सुझाव में सिविल सर्जन डा. विरेंद्र यादव ने बताया कि तेज बुखार होने पर नजदीक स्वास्थ्य केंद्र में जाकर चिकित्सा अधिकारी की सलाह लें।

बुखार से राहत पाने के लिये पानी की पट्टी रखें अथवा पैरासिटामोल की गोली लें। अन्य किसी भी दवाई का उपयोग अपने आप से न करें। अधिक से अधिक तरल पदार्थ का प्रयोग करें जैसे कि नारियल पानी, नींबू पानी, ओआरएस लस्सी इत्यादि और खाने में आसानी से पचने वाला खाना जैसे कि खिचड़ी, दाल, दलिया, लोकी की सब्जी इत्यादि खाए।

दिन में काटता है डेंगू का मच्छर: डॉ. राजेश

जाखल सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के एसएम डॉक्टर राजेश क्रांति ने बताया कि डेंगू (Dengue) एडिज मच्छर के काटने से होता है, जो दिन में काटता है। इस मच्छर के शरीर पर सफेद धारियां होती हैं, जिसके कारण इसे टाइगर मच्छर भी कहा जाता है। यह मच्छर ज्यादा ऊंचाई तक नहीं उड़ पाता। हेल्थ वर्कर अवतार सिंह ने बताया कि इसके इसका लार्वा साफ पानी में पनपता है। घर के अंदर कूलर, फ्रिज की ट्रे, छत पर रखे पानी का कोई पात्र, पुराना टायर, गमला आदि में लार्वा पनपने की सबसे अधिक आशंका रहती है। काटने पर पांच से छह दिन बाद लक्षण दिखाई देने लगते हैं।

ये हैं लक्षण | Dengue

  • त्वचा पर चकत्ते
  • तेज सिर दर्द
  • पीठ दर्द
  • आंखों में दर्द
  • तेज बुखार
  • मसूड़ों से खून बहना
  • नाक से खून बहना
  • जोड़ों में दर्द
  • उल्टी
  • डायरिया

ऐसे करें बचाव

  • फ्रिज की ट्रे व कूलर में इकट्ठा पानी को एक सप्ताह में जरूर बदल दें।
  • सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग करें।
  • ऐसे कपड़े पहने जिससें कि शरीर का अधिक से अधिक भाग ढका रहे।
  • मच्छरनाशक दवा छिड़कने वाले कर्मचारी आएं तो उन्हें मना न करें।
  • घर के आसपास पानी न इकट्ठा होने दें।
  • गमलों, पुराने टायर व अन्य पात्रों का पानी बदलते रहें।
  • घर की खिड़कियों पर जाली या स्क्रीन होनी चाहिए।
  • बुखार आने पर कोई भी दर्द निवारक न लें।
  • जलभराव वाले स्थानों को मिट्टी से ढक दें।
  • इकट्ठा पानी पर जला हुआ मोबिल आयल-मिट्टी का तेल डालें।

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