सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत सरसों तेल की जगह खाते में पहुंचेंगे 250 रूपए

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दो लीटर सरसों के तेल के लिए गरीबों को लगाने होंगें 40 की बजाए 110 रूपए

सच कहूँ, देवीलाल बारना, कुरुक्षेत्र। अब गरीब लोगों को सरसों का दो लीटर तेल खरीदने के लिए 40 रूपए की बजाए 110 रूपए देने पड़ेंगे। बता दें कि खाद्य तेलों में एकदम से आए उछाल के बाद सरकार ने अपने हाथ पीछे खींचते हुए सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगों को मिलने वाला दो लीटर सरसों का तेल बंद कर दिया गया है। सरकार की तरफ से जारी पत्र में कहा गया है कि अबकि बार हैफेड द्वारा सरसों की खरीद नहीं की गई है। ऐसे में हैफेड सरसों का तेल उपलबध नहीं करवा सकता। हरियाणा द्वारा 3 जून को जारी किए गए इस पत्र के बाद विपक्ष ने सरकार को खूब घेरा और इसे गरीब के राशन पर डाका बताया। ऐसे में मुख्यमंत्री को भी टवीट करना पड़ा। मुख्यमंत्री ने 250 रूपए खातों में डालने का ऐलान किया है।

यदि सरकार द्वारा प्रत्येक माह गरीबों के खाते में 250 रूपए डाल दिए जाते हैं तो गरीबों को दो लीटर सरसों का तेल खरीदने के लिए 110 रूपए अपनी जेब से खर्च करने होंगें। चूंकि पहले सरकार द्वारा गरीबी रेखा से नीचे के परिवारों को 20 रूपए प्रति लीटर के हिसाब से सरसों का तेल दिया जा रहा था। इस वक्त सरसों के तेल का रेट 180 रूपए प्रति किलोग्राम है। ऐसे में दो किलोग्राम सरसों को तेल 360 रूपए का आयेगा और सरकार की तरफ से 250 रूपए ही खातों में पहुंचेंगे। ऐसे में 110 रूपए अपनी जेब से खर्च कर दो लीटर सरसों का तेल खरीदना होगा।

प्रदेश के लगभग 11 लाख परिवार होंगें प्रभावित

योजना का लाभ लेने वाले लोग अब सरसों के तेल की आपूर्ति बंद किए जाने से प्रभावित होंगे। हरियाणा में गुलाबी कार्ड धारकों की संख्या 2 लाख 48 हजार 134 है जबकि बीपीएल कार्ड धारकों की संख्या 8 लाख 92 हजार 744 है। ऐसे में प्रदेश के लगभग 11 लाख परिवार प्रभावित होंगें।

राशन वितरण करने से पीछा छुड़वाना चाहती है सरकार: राठी

कांग्रेस के नेता जगदीश राठी ने कहा है कि सरकार की मंशा सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत गरीबों को दिए जाने वाले राशन से पीछा छुडवाने से है। जो 250 रूपए सरकार द्वारा देने का ऐलान किया है, यह दिए भी जाएंगे या सिर्फ घोषणा है, यह भी असमंजश वाली स्थिति है। कई योजनाएं ऐसी हैं, जिसकी घोषणा कर दी जाती है लेकिन अमलीजामा नहीं पहनाया जाता। प्रदेश की भाजपा सरकार गरीब लोगों के मुंह का निवाला भी छीनने पर तुली हुई है।

एक तरफ तो कोरोना काल के कारण आमजन का रोजगार छिन चुका है, लॉकडाउन लगने के बाद लोगों के पास रोजी का कोई साधन नहीं रहा। वहीं दूसरी तरफ लॉकडाउन के चलते गरीबों को सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत मिलने वाले खाद्य तेल की आपूर्ति बंद कर देना पीड़ा देने वाली बात है। राठी ने सरकार से मांग की है कि सरकार पहले से दोगुनी मात्रा में खाद्य तेल व राशन गरीबों तक पहुंचाए ताकि कोरोना काल के दौरान कोई भी गरीब आदमी भूखा न रहे।

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