नई दिल्ली (सच कहूँ न्यूज)। पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की बेटी ‘रूह दी’ हनीप्रीत इन्सां ने ट्वीट कर होली के पर्व की देशवासियों को शुभकामनाएं दी। रूह दी ने लिखा कि #होली के रंग आत्मा को विश्वास, प्रेम, भक्ति और अच्छाई से सराबोर करें और दोषों को धो दें। आप सभी को एक बहुत खुश, समृद्ध और प्यार भरी होली की शुभकामनाएं। #होली की शुभकामनाएं।
May the colors of #Holi drench the soul with faith, love, devotion, and goodness, and wash away the vices. Wish you all a very happy, prosperous, and loving Holi. #HappyHoli pic.twitter.com/JR87MPLumH
— Honeypreet Insan (@insan_honey) March 8, 2023
होली का त्यौहार
होली मानाने के पीछे अनेको पौराणिक कहानियां जुडी हुई हैं जिनमे से सबसे प्रचलित कहानी है प्रह्लाद और उनकी भक्ति की। माना जाता है की प्राचीन काल में हिरण्यकश्यप नाम का एक बलशाली अशुर हुआ करता था। उसे ब्रह्म देव द्वारा ये वरदान मिला था की उसे कोई इंसान या कोई जानवार नहीं मार सकता, ना ही किसी अस्त्र या शस्त्र से, ना घर के बाहर ना अन्दर, ना ही दिन में और ना ही रात में, ना ही धरती में ना ही आकाश में।
अशुर के पास इस असीम शक्ति होने की वजह से वो घमंडी हो गया था और भगवन के बजाये खुद को ही भगवन समझता था। अपने राज्य के सभी लोगों के साथ अत्याचार करता था और सभी को भगवन विष्णु की पूजा करने से मना करता था और अपनी पूजा करने का निर्देश देता था क्यूंकि वह अपने छोटे भाई की मौत का बदला लेना चाहता था जिसे भगवन विष्णु ने मारा था।
हिरण्यकश्यप का एक पुत्र था जिसका नाम प्रह्लाद था। एक अशुर का पुत्र होने के बावजूद वो अपने पिता की बात ना सुन कर वो भगवन विष्णु की पूजा करते थे। हिरण्यकश्यप के खौफ से सभी लोग उसे भगवन मानने के लिए मजबूर हो गए थे सिवाय उसके पुत्र प्रह्लाद के।
हिरण्यकश्यप को ये बात मंजूर नहीं थी उसने काफी प्रयास किया की उसका पुत्र भगवन विष्णु की भक्ति छोड़ दे मगर वो हर बार अपने प्रयास में असफल होता रहा। इसी क्रोध में उसने अपने ही पुत्र की मृत्यु करने का फैसला लिया।
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