…मजाक बना पंजाब विलेज लैंड नियम

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नियमानुसार पंचायतों द्वारा कुम्हारदाने के लिए है 5 एकड़ शामलाती भूमि देने का प्रावधान
आवे पंजावे की जमीन नहीं दिलवा पा रही है सरकार, पंचायतों को जारी आदेश पत्र भी साबित हुए हवा-हवाई
  • नियमानुसार पंचायतों द्वारा कुम्हारदाने के लिए है 5 एकड़ शामलाती भूमि देने का प्रावधान

कुरुक्षेत्र (सच कहूँ न्यूज)। स्वदेशी का ढ़ोल पीटने वाली सरकार के जनप्रतिनिधि और अधिकारी पंजाब विलेज कॉमन लैंड (Punjab Village Common Land) रूल 1964 का मजाक बना रहे हैं। नियम के अनुसार प्रत्येक गांव में जहां पर भी पंचायतों के पास शामलाती भूमि हो वहां पर कुम्हारदाने के लिए 2 से 5 एकड़ तक जमीन दिए जाने का प्रावधान है। इसको लेकर सरकार की ओर से दर्जनों बार उपायुक्त स्तर पर पत्र भी लिखे जा चुके हैं और हायर अथोरिटी द्वारा इन आदेशों को जल्द से जल्द लागू करवाने को लेकर स्थानीय प्रशासन व संबंधित अधिकारियों को दिशा-निर्देश भी समय-समय पर जारी किए गए हैं। Kurukshetra News

लेकिन वास्तविकता इससे बिल्कुल वितरीत रही है। इन आदेशों को अमलीजामा पहनाने की जहमत न तो जनप्रतिनिधि उठाने को तैयार हैं और न ही प्रशासनिक अधिकारी पंचायतों को कुम्हारों को बर्तन बनाने के लिए जमीन उपलब्ध करवाने की दिशा मे कोई कदम उठा रहे हैं। इसको लेकर दशकों से कुम्हार समाज के प्रतिनिधि आवाज उठाते आ रहे हैं, लेकिन उनकी यह आवाज केवल पत्र व्यवहार के बीच फंस कर रह जाती है। अभी तक इस दिशा में सरकार या प्रशासन ढ़ाई कदम भी नही चल पाया है।

जन प्रतिनिधियों को गांव की राजनीति से उपर उठकर करना होगा काम: रंबा

प्रजापति जागरूक सभा के प्रदेशाध्यक्ष रामकुमार रंबा ने अफसोस जाहिर करते हुए कहा कि असल मे कुम्हारों को आवे-पंजावे के लिए जमीन न मिलने का बड़ा कारण स्थानीय स्तर पर राजनीति है। उन्होने कहा कि बड़ी लंबी जद्दोजहद के बाद हरियाणा मिट्टी कला बोर्ड का गठन 2014 में हुआ था। लेकिन 2019 विधानसभा चुनाव के बाद से मिट्टी कला बोर्ड का चेयरमैन नहीं बनाया गया है। जिस कारण बोर्ड का कार्य प्रभावित हो रहा है। उन्होंने मुख्यमंत्री से मांग करते हुए कहा कि जल्द मिट्टी कला बोर्ड का चेयरमैन नियुक्त किया जाए।

एक्ट में आवे-पंजावे की जमीन को लेकर ये है प्रावधान | Kurukshetra News

नियम की बात करें तो नियम 3(4) पंजाब विलेज कॉमन लैंड रैगुलेशन 1964 यह शक्ति प्रदान करता है कि जिला के उपायुक्त पंचायत विभाग के माध्यम से गांवों के सरपंचों को शामलाती भूमि में से संख्या के अनुसार 2 से 5 एकड़ तक कुम्हारों को मिट्टी के बर्तन बनाने व आवे-पंजावे के लिए दी जाए। इसको लेकर पत्र व्यवहार तो डायरेक्टर पंचायत विभाग हरियाणा व अतिरिक्त मुख्य सचिव हरियाणा सरकार द्वारा कई बार जिला उपायुक्तों को जारी किए गए हैं, लेकिन पंचायती स्तर पर इस नियम को आज तक भी लागू करने में सरकार व उसके नुमाईंदे नाकाम साबित हुए हैं। ऐसे मे जहां बेरोजगारी की मार के चलते कुम्हार समाज की अगली पीढ़ी पुस्तैनी धंधे को छोड़ती जा रही है, वहीं बर्तन बनाने के लिए मिट्टी की उपलब्धधा न होने के चलते भी कुम्हार समाज मिट्टी के बर्तन बनाने के व्यवसाय से विमुक्त होता जा रहा है।

किस स्तर पर कब-कब जारी हुए आदेश | Kurukshetra News

23 नवंबर 1997 को जारी पत्र क्रमांक 97/73194-250 आयुक्त एवं सचिव हरियाणा सरकार विकास तथा पंचायत विभाग द्वारा हरियाणा के सभी खंड़ विकास एवं पंचायत अधिकारियों को जारी किया गया था, जिसमें 24 जनवरी 1985 के पत्र क्रमांक एस01-85/2998-3093 व 19 नवंबर 1991 के पत्र क्रमांक एस01-91/16582-690 का हवाला दिया गया था। इसके बाद अतिरिक्त मुख्य सचिव हरियाणा सरकार विकास एवं पंचायत विभाग हरियाणा द्वारा हरियाणा के सभी जिला उपायुक्तों को 3 जुलाई 2014 को फिर से पत्र जारी किया गया, जिसमें सख्ती से आदेश जारी किए गए थे कि पंचायत द्वारा कुम्हारों को मिट्टी के बर्तन बनाने के लिए व कुम्हारदाने के लिए 2 से 5 एकड तक जमीन उपलब्ध करवाने की बात सुनिश्चित की जाए।

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