बिहार में गठबंधन टूटने से भाजपा को एक और धोखा मिला

महाराष्ट्र में पिछले दिनों भाजपा शिंदे गुट के साथ मिलकर सरकार बनाने में कामयाब रही। नई सरकार के बाद चर्चा यह शुरू हो गई कि क्या झारखंड में भी बीजेपी सरकार बना सकती है। आॅपरेशन लोट्स की चर्चा केवल झारखंड में ही नहीं उसके पड़ोसी राज्य बिहार में भी शुरू हो गई। पिछले कुछ दिनों से लगातार जेडीयू और बीजेपी के बीच खींचतान की खबरें आई और उसके बाद चर्चा जेडीयू-बीजेपी गठबंधन के टूटने की भी शुरू हो गई। अब उस चर्चा पर भी विराम लग गया और दोनों अलग हो गए। नीतीश कुमार की ओर से कहा गया कि उनकी पार्टी को लगातार कमजोर करने की कोशिश हो रही थी। अब बिहार में नीतीश कुमार एक बार फिर आरजेडी के साथ मिलकर सरकार बनाने जा रहे हैं। 2020 के बिहार विधानसभा चुनावों के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनता से वोट मांगते हुए कहा था कि मुझे बिहार में नीतीश कुमार की जरूरत है।

इसलिए जनता दल युनाइटेड की कम सीटें आने के बावजूद भाजपा ने प्रधानमंत्री की बात का मान रखते हुए मुख्यमंत्री पद नीतीश कुमार को सौंप दिया था। लेकिन दो साल के भीतर ही जनता दल युनाइटेड के नेता नीतीश कुमार ने अपने रुख में परिवर्तन करते हुए भाजपा के साथ गठबंधन तोड़ दिया। देखा जाये तो 2020 का जनादेश एनडीए सरकार के लिए था और भाजपा की 74 सीटों की संख्या दर्शा रही थी कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर ही वोट पड़ा था। यही नहीं, भाजपा कई बार ऐलान कर चुकी थी कि जनता दल युनाइटेड के साथ उसका गठबंधन 2024 के लोकसभा चुनाव और 2025 के विधानसभा चुनावों में भी बरकरार रहेगा लेकिन नीतीश कुमार ने इस गठबंधन को चलने नहीं दिया। भारतीय राजनीति में भाजपा के नाम इस बात का रिकॉर्ड रहेगा कि उसने भले अब तक किसी को धोखा नहीं दिया हो लेकिन उसे सर्वाधिक धोखे मिले जरूर हैं।

यूपी में भाजपा और बसपा के बीच आधे-आधे कार्यकाल के लिए मुख्यमंत्री पद संभालने का समझौता हुआ था। भाजपा ने पहला मौका मायावती को दिया लेकिन मायावती ने अपनी बारी पूरी होने पर भाजपा नेता कल्याण सिंह की सरकार नहीं चलने दी। कर्नाटक में जनता दल सेक्युलर के साथ भाजपा ने मुख्यमंत्री पद बारी-बारी से संभालने का समझौता किया लेकिन कुमारस्वामी ने अपनी बारी पूरी करने के बाद भाजपा नेता बीएस येदियुरप्पा की सरकार बीच में ही गिरा दी।

भाजपा ने झारखंड में शिबू सोरेन के झारखंड मुक्ति मोर्चा के साथ गठबंधन कर सरकार बनाई लेकिन सोरेन ने बीच में ही समर्थन वापस लेकर अर्जुन मुंडा के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार गिरा दी थी। शिरोमणि अकाली दल, शिवसेना, आरएलएसपी के ताजा उदाहरण तो सामने हैं ही साथ ही उत्तर प्रदेश में ओम प्रकाश राजभर का उदाहरण भी मौजूद है। नेताओं को यह समझना होगा कि आज के दौर में जनता को बरगलाया नहीं जा सकता क्योंकि अब वह नेता को उसके द्वारा किये गये काम के आधार पर ही वोट देती है। अब वह समय गया जब किसी अन्य के बारे में भ्रम फैलाकर या उसका डर दिखाकर वोट हासिल कर लिया जाता था।

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