जसपाल इन्सां ने लिखा ‘इतिहास’, आए ‘मानवता के काम’

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जज्बा-ए-इन्सानियत: जसपाल सिंह इन्सां बने ब्लाक अमलोह के पहले शरीरदानी

  • परिजनों ने पार्थिव शरीर को मेडिकल रिसर्च के लिए दान कर निभाया इन्सानियत का फर्ज

अमलोह (सच कहूँ/अनिल लुटावा)। इस स्वार्थी युग में अपने लिए तो हर कोई जीता है, लेकिन दूसरों के लिए जीना बहुत अच्छे संस्कारों की निशानी होती है। आज हम बात कर रहे हैं मरकर भी इन्सानियत की मिसाल बने जसपाल सिंह इन्सां की, जिन्होंने ब्लाक अमलोह के पहले शरीरदानी होने का गौरव हासिल किया है। Body Donation

पूज्य गुरू संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की पावन प्रेरणाओं पर चलते हुए ब्लाक अमलोह के डेरा श्रद्धालु जसपाल सिंह इन्सां के मरणोपरांत उनका पार्थिव शरीर मेडिकल रिसर्च के लिए गंगा पुत्र आर्युवैदिक कॉलेज जींद (हरियाणा) को दान किया गया। यह ब्लाक अमलोह का पहला शरीरदान है। जसपाल सिंह इन्सां का बीते दिन संक्षेप बीमारी के चलते देहांत हो गया था, वह लगभग 58 वर्ष के थे। जसपाल सिंह इन्सां जहां मानवता भलाई के कार्यों में हमेशा आगे रहते थे, वहीं उन्होंने अपने बच्चों को भी उच्च शिक्षा दिलाई व डेरा सच्चा सौदा के साथ जोड़ा। वह अपने पीछे पत्नी, बेटी व 2 बेटे छोड़ गए हैं।

उनका एक बेटा गुरसेवक सिंह सॉफ्टवेयर इंजीनियर व ब्लाक का15 मैंबर सेवादार और शाह सतनाम जी ग्रीन एस वैल्फेयर फोर्स विंग का मैंबर है। उल्लेखनीय है कि डेरा सच्चा सौदा द्वारा पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की पावन शिक्षाओं के तहत मानवता भलाई के 158 कार्य किए जा रहे हैं, जिनमें शरीरदान भी एक मानवता भलाई का कार्य है व लाखों की तादाद में डेरा श्रद्धालुओं ने मरणोपरांत शरीरदान करने के फार्म भरे हुए हैं। शरीरदानी जसपाल सिंह इन्सां की पत्नी सुरजीत कौर इन्सां व बेटे गुरसेवक इन्सां व लखविन्द्र इन्सां ने बताया कि जसपाल सिंह इन्सां ने जीते जी यह प्रण लिया हुआ था कि मरणोपरांत उनके पार्थिव शरीर को जलाने की बजाय मेडिकल रिसर्च के लिए दान किया जाए और परिवार ने उनके कहे पर फूल चढ़ाए हैं।

शरीरदानी जसपाल सिंह इन्सां लोगों के लिए बने प्रेरणास्रोत: दौलत राम

85 मैंबर दौलत राम राजू इन्सां ने कहा कि शरीरदानी जसपाल सिंह इन्सां ने मरणोपरांत जो मानवता भलाई का कार्य किया है, वह समाज के लिए प्रेरणास्रोत है क्योंकि दिनों-दिन बढ़ रही बीमारियों के कारण डॉक्टरों को रिसर्च कार्यों के लिए मानवीय शरीर की बहुत जरूरत है। जसपाल सिंह इन्सां द्वारा अपना शरीर मेडिकल रिसर्च के लिए दान करना यह सिद्ध करता है कि वह डेरा सच्चा सौदा के असूलों पर पूरी तरह कायम थे और समूह परिवार ने भी उनकी इस इच्छा को पूरा कर बहुत बड़ा योगदान दिया है। यह बहुत बड़ी सेवा है, जो आने वाले समय में पूरे समाज को रास्ता दिखाती रहेगी।

साध-संगत ने दी अंतिम विदाई | Body Donation

शुक्रवार दोपहर को जसपाल सिंह इन्सां को देहांत हो गया था, जिस उपरांत उनके बेटे 15 मैंबर गुरसेवक इन्सां ने पूज्य गुरु जी की पावन प्रेरणाओं पर चलते हुए डेरा सच्चा सौदा के जिम्मेवारों से संपर्क कर कानूनी प्रक्रिया पूरी करते हुए साध-संगत व रिश्तेदारों की उपस्थिति में उनका पार्थिव शरीर मेडिकल रिसर्च के लिए गंगा पुत्र आर्युवैदिक कॉलेज जींद (हरियाणा) को दान कर दिया। शाह सतनाम जी ग्रीन एस वैल्फेयर फोर्स विंग के सेवादारों ने पार्थिव शरीर को अन्नियां रोड अमलोह से लेकर नाभा चौंक अमलोह नये बस स्टैंड तक श्रद्धांजलि दी व अंत में पावन नारा ‘धन धन सतगुरु तेरा ही आसरा’ लगाकर एम्बूलैंस को रवाना किया। Body Donation

इस मौके ब्लाक कमेटी अमलोह, बलाक कमेटी मंडी गोबिन्दगढ़, शाह सतनाम जी ग्रीन एस वैल्फेयर फोर्स विंग के मैंबर, सभी समितियों के मैंबर साध-संगत व रिश्तेदार मौजूद थे। इस मौके विशेष तौर पर पहुंचे बहन प्रवीन इन्सां 85 मैंबर, मंजू इन्सां, परमजीत इन्सां व ममता इन्सां ने बताया कि डेरा सच्चा सौदा का यह कार्य मानवता भलाई के लिए बहुत बड़ा योगदान है, जिससे हमारे जो बच्चे मेडिकल लाईन से जुड़े हैं, उनको रिसर्च करने में कोई मुश्किल नहीं आएगी।

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