महामारी में राज्यों से ज्यादा केंद्र ले निर्णय

7964 new cases of corona infection in the country, 11264 disease free

देश में कोरोना महामारी का प्रकोप तेजी से बढ़ रहा है और संक्रमित मरीजों की गिनती साढ़े चार लाख के आकड़ें को पार कर गई है। अब पूरे विश्व की नजरें भारत पर टिकी हैं, इससे पहले अमेरिका में बीमारी की भयावहता सुर्खियों में थी। विश्व के कई देशों ने हवाई यातायात को बंद कर दिया तो दूसरी तरफ महामारी के पीक दौर में केंद्र व राज्यों में खींचतान भी चिंताजनक है। कोरोना के लिए 18-45 वर्ष के लोगों के लिए टीकाकरण की शुरूआत आज हुई लेकिन केंद्र व पांच राज्य सरकारों के बीच पनपा विवाद मानवीय जानों पर भारी पड़ सकता है। राज्य सरकारों ने फंड की कमी का तर्क दिया है, इस बात में कोई संदेह भी नहीं कि विगत वर्ष लॉकडाउन के कारण राज्य सरकारों को भारी आर्थिक नुक्सान हुआ है। इस वर्ष भी अर्थव्यवस्था दम तोड़ती नजर आ रही है। इन परिस्थितियों में संघीय प्रणाली से काम करने की आवश्यकता है।

केंद्र को राज्य सरकारों की बात सुननी चाहिए। जिस प्रकार देश में हालात बने हुए हैं टीकाकरण तेजी से किया जाना चाहिए। विश्व के विकसित मुल्क जहां विश्व की 16 प्रतिशत जनसंख्या बसर करती है, अपने नागरिकों को वैक्सीन की दोनों खुराकें दे चुके हैं। केंद्र को नई रणनीति बनाकर अभियान को सफल बनाने की ओर अग्रसर होना होगा। हर बात पर विवाद हमारी पुरानी परंपरा है जो नुक्सान का कारण बनती रही है। अब कम से कम बेकाबू कोरोना को रोकने के लिए तो एकजुट होना चाहिए। टीकाकरण के तीसरे चरण की शुरूआत में सरकारों को यह पता नहीं चल पा रहा है कि वैक्सीन के लिए जो आॅर्डर दिए हैं, उन्हें वैक्सीन की खुराक कब तक मिल पाएगी। हमें इनकी उपलब्धता और समय के बारे में जानकारी की सख्त आवश्यकता है।

भारतीय बाजार में उपलब्ध कोरोना के टीकों की खुराक को लेकर स्पष्टता नहीं है। केंद्र सरकार, राज्य सरकार और निजी खरीदारों के स्तर पर भी स्थिति साफ नहीं है। हमें वैक्सीन की व्यवस्था को लेकर ऐसी निश्चित रणनीति बनानी होगी कि इसकी पूर्ण या दोनों खुराक के बजाय पहली खुराक को प्राथमिकता दी जाए, ताकि इस महामारी से ज्यादा से ज्यादा लोगों को बचाया जा सके। कोरोना के खिलाफ जंग चल रही है तब यहां फैसले भी युद्ध स्तर पर लेने की आवश्यकता है। युद्ध में तर्क-वितर्क नहीं होते और निर्णय बिना देरी के तीव्रता से लिए जाते हैं। ऐसे निर्णय केंद्र सरकार को ही लेने होते हैं, हालांकि राज्यों की भी जिम्मेवारी होती है, लेकिन सारी जिम्मेवारी राज्यों पर छोड़ देना भी सही नहीं। अब इस समस्या का एक ही हल है कि टीका मुफ्त दिया जाए, क्योंकि यह महामारी किसी राज्य तक सीमित नहीं इसे राष्टÑीय आपदा के रूप में देखा जाना चाहिए।

 

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