निजी निवेश में गिरावट, घाटे में वृद्धि

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भारतीय अर्थव्यवस्था एक रोचक दौर से गुजर रही है। अर्थव्यवस्था की वृृद्धि दर पहली तिमाही में 7.8 प्रतिशत तक पहुंच गई है।

Investment:- भारतीय अर्थव्यवस्था एक रोचक दौर से गुजर रही है। अर्थव्यवस्था की वृृद्धि दर पहली तिमाही में 7.8 प्रतिशत तक पहुंच गई है। अर्थव्यवस्था में 7.8 प्रतिशत की वृृद्धि से कुछ आशाएं बढ़ी हैं हालांकि यह 2022-23 की पहली तिमाही की 13.1 प्रतिशत वद्धि दर से कम है। वर्ष 2024 के दौरान सकल घरेलू उत्पाद की वृृद्धि दर 6.5 प्रतिशत रहने की उम्मीद है तथा निजी निवेश में गिरावट आई है। मुद्रा स्फीति बढ़ रही है तथा वैश्विक अर्थव्यवस्थाएं मंदी के दौर से गुजर रही है। बढ़ता वित्तीय घाटा भी चिंता का विषय है। वित्तीय वर्ष 2024 के लिए 17.9 लाख करोड़ रूपए के बजट के आवंटन से छह लाख करोड़ रूपए से अधिक खर्च किए गए हैं। नियंत्रक महालेखा परीक्षक के अनुसार यह 33.9 प्रतिशत अधिक है। किंतु कोयला, प्राकृतिक गैस, तेल शोधन उत्पादों, इस्पात, सीमेंट, बिजली आदि कोर सेक्टरों में 8 प्रतिशत की वृृद्धि से कुछ आशाएं जगी हैं।

जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान बाइडेन यूक्रेन, चीन, रक्षा सहयोग तथा द्विपक्षीय संबंधों पर चर्चा हुई। विश्व के मामलों में भारत के महत्व को अब लोग देखने लगे हैं और समय के साथ इसे एक नया मोड आ रहा है। बाइडेन विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के सुपर बॉस हैं और वे चार दिन तक भारत में रहे जो स्वयं में एक संदेश देता है कि अमरीका के लिए भारत महत्वपूर्ण है। जी-20 शिखर सम्मेलन जिसमें विश्व के 30 बडेÞ नेता शामिल हुए, इसके साथ-साथ इस दौरान अनेक मुद््दों पर भी चर्चा हुई। इसके अलावा निजी सेक्टर तेजी से आगे बढ़ रहा है। अडानी ने उचित किया या नहीं किया किंतु वे वैश्विक ट्रेडिंग के एक बडेÞ खिलाड़ी हैं क्योंकि एक भारतीय कंपनी अनेक पश्चिमी बड़ी कंपनियों के के विरुद्ध खेल खेल रही है। Investment

भारत का यह कॉरपोरेट अब एक ग्लोबल कारपोरेट वार का हिस्सा बन गया है क्योंकि आगेर्नाइज्ड क्राइम एंड करप्शेन रिपोर्टिग प्रोजेक्ट में दावा किया गया है कि गौतम अडानी के परिवार ने मॉरीशस के पैसे के माध्यम से अपनी ही कंपनियों में करोडों डालर का निवेश किया है। दुबई स्थित कंपनियों ने चीनी कंपनियों के साथ सौदा करवाया है। विदेशों से लगाए गए पैसे से 13 प्रतिशत उनके परिवार के एक सदस्य ने लगाया है। आगेर्नाइज्ड क्राइंड एंड करप्शन रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट के नए दावों के विषय में कंपनी ने कहा है कि यह जार्ज सोरेस द्वारा वित पोषित लोगों तथा विदेशी मीडिया के एक वर्ग द्वारा पुन: प्रयास है कि वह निरर्थक हिंडनबर्ग रिपोर्ट को उछाले। Investment

इस खबर के बाद अडानी गु्रप में अडानी इंटरप्राइजेज, अडानी पोर्ट्स, अडानी विल्मार के शेयरों में 1 से 3 प्रतिशत की गिरावट आई है। यह निवेश वातावरण को किस तरह प्रभावित करेगा इस बारे में तो बाद में पता चलेगा किंतु आशा की जाती है कि भारत में 2400 करोड रूपए और निवेश किया जाएगा। दिसंबर 2022 में भारत का निवेश सकल घरेलू उत्पाद का 28.4 प्रतिशत था जबकि इससे पूर्व पिछले वर्ष में यह 32.1 प्रतिशत था। परिदृृश्य इतना सरल नहीं है। बाइडेन द्वारा उठाए जाने वाले कदम आगामी वर्षों के लिए आशा की किरण लेकर आ सकते हैं। भारत में परमाणु उर्जा क्षेत्र का विस्तार हो सकता है और इससे यूरेनियम चेन से जुड़ने में एक वर्ष का समय लग सकता है।

परमाणु उर्जा की लागत को कोयला आधारित संयंत्रों से कम है। किंतु इसमें अपशिष्ट प्रबंधन की समस्या है। इससे भारत, अमरीका और रूस के संबंध भी पुनर्परिभाषित होंगे। सेवा क्षेत्र में पहली तिमाही में वृृद्धि दर 10.3 प्रतिशत रही है। सबसे कम वृृद्धि दर कृृषि क्षेत्र में 3.5 प्रतिशत और उद्योग क्षेत्र में 5.5 प्रतिशत रही है। इससे मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन की ये आशाएं धूमिल हो गई हैं कि ग्रामीण क्षेत्रों में मांग बढ़ रही है और मुद्रास्फीति दर सामान्य है। सेवा क्षेत्र में तेजी से वृृद्धि हो रही है। जून 2022 और 2023 के बीच इसमें 72 प्रतिशत की वृृद्धि हुई है। यह बताता है कि जिन क्षेत्रों में तेजी से वृृद्धि हो रही है उनमें रोजगार का हिस्सा कम है। Investment

भारत के प्रौद्योगिकी उद्योगों में कार्य कर रहे लोगों ने अपना रोजगार खोया है। वर्ष 2022 के पहले छह महीनों की तुलना में वर्ष 2023 में इस क्षेत्र में अधिक लोगों ने अपना रोजगार खोया है। पहले छह माह में आधिकारिक रूप से 10774 कंपनियों ने अपने कर्मचारियों को निकाला है। भारतीय रिजर्व बैंक की कंज्यूमर कांफिडेंस सर्वे भी उत्साहवर्धक नहीं रहा है और इसमें कहा गया है कि आर्थिक वृृद्धि और विकास का लाभ सभी कामगारों को नहीं मिला है। निर्यात में कमी से आने वाले कुछ क्षेत्रों में समस्याएं पैदा हो सकती हैं। 8 प्रतिशत की नोमिनल जीडीपी जिसमें मुद्रा स्फीति को शामिल नहीं किया गया है और 7.8 प्रतिशत का वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद जून तिमाही के लिए अब तक सबसे कम है।

सकल घरेलू उत्पाद की नोमिनल वृृद्धि कम रहना चिंता का विषय है क्योंकि इससे कर संग्रह का आधार मिलता है। वर्ष 2023-24 के बजट आकलन के अनुसार नोमिनल जीडीपी की वृृद्धि दर 10.5 प्रतिशत रहने की संभावना है जबकि भारतीय रिजर्व बैंक के आकलन के अनुसार सकल घरेलू उत्पाद की वास्तविक वृृद्धि दर 6.5 प्रतिशत रहेगी। इन दोनों में 4 प्रतिशत का अंतर है और इससे मुद्रा स्फीति बढने की संभावना है जिससे चुनाव के दौरान महंगाई पर अंकुश लगाना कठिन होगा।

पिछले कुछ समय से भारत में निजी निवेश कम हो रहा है। हालाके राष्ट्रीय आंकड़ों और उद्योग क्षेत्र के परिणामों से पता चलता है कि मुद्रा स्फीति के कारण कम निवेश हो रहा है तथा विदेशी निवेशक अपना पैसा निकाल रहे हैं। निजी निवेश आर्थिक वृृद्धि के लिए एक स्तंभ है और इसमें काफी लंबे समय से गिरावट आ रही है। वर्ष 2021 में सकल घरेलू उत्पाद में इसकी हिस्सेदारी 31 प्रतिशत थी जबकि 2022 में यह गिरकर 22 प्रतिशत रह गई।

बैंक आॅफ बडौदा के बडौदा रिसर्च के जुलाई 2019 के आंकड़ों से पता चलता है कि औद्योगिक निवेश्श प्रस्ताव जहां 2021 में 612 थे, 2022 में उनकी संख्या कम होकर 118 रह गई है। भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा अनेक मौद्रिक उपायों के बावजूद मुद्रा स्फीति बढ रही है। मुद्रा स्फीति की दर उंची रहने से भारतीय रिजर्व बैंक ब्याज दरों में वृृद्धि कर सकता है जिससे होम लोन और आॅटो लोन पर ब्याज दरें अधिक हो जाएंगी। जब वस्तुओं और सेवाओं की मांग कम हो तो नई क्षमता निर्माण के लिए विनिमार्ताओं के लिए कोई प्रोत्साहन नहीं बच जाता है।

सरकार की गलत प्राथमिकताएं भी हैं। पिछले दस वर्ष तक कार चलाने की अनुमति के नियम के चलते कार की बिक्री में वृृद्धि नहीं हो रही है। डीजल को एक अछूत समझने के चलते कारों की बिक्री में वृृद्धि नहीं हो रही है जबकि यूरोप में विकृत वाहनों के साथ साथ वहां पर डीजल वाहन अधिक चल रहे हैं क्योंकि यह सस्ता ईंधन है। डीजल इंजन गैसोलिन ंइंजन से कम प्रदूषण पैदा करता है और गैसोलिन इंजन के लिए प्रीमियम गैस की आवश्यकता होती है। यूरोपीय लोग डीजल

ईंधन वाली गाडियां चलाते हैं क्योंकि वे अधिक स्वच्छ और कार्य कुशल है तथा गैसोलिन इंजन की तुलना में उनका जीवन काल भी लंबा है। भारत को इस संबंध में व्यावहारिक कदम उठाने चाहिए। आंकड़े सब कुछ स्पष्ट कर देते हैं किुंत केवल सकल घरेलू उत्पाद की उंची वृृद्धि दर से काम नहीं चलेगा। सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि निजी व्यवसाई भारत को आर्थिक प्रगति के पथ पर अग्रसर करने के लिए पुन: निवेश करना शुरू करें।
                                 (यह लेखक के अपने विचार हैं)  शिवाजी सरकार, वरिष्ठ लेखक एवं स्वतंत्र टिप्पणीकार

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