जब अचानक घर हिलने लगे, बाहर भागे लोग

Earthquake
Earthquake: उत्तरी फिलीपींस में भूकंप के तेज झटके

मध्य प्रदेश के सेंधवा में भूगर्भीय हलचल

बड़वानी (एजेंसी)। मध्यप्रदेश के बड़वानी जिले के सेंधवा में आज तड़के करीब 5:00 बजे भूगर्भीय हलचल होने से लोगों में घबराहट हो गई। बड़वानी से लगभग 65 किलोमीटर दूर सेंधवा में आज सुबह 4:53 बजे मोतीबाग, रामकटोरा, महावीर कॉलोनी समेत विभिन्न इलाकों में नागरिकों को भूकंप के झटके महसूस हुए और वह घबराकर बाहर आ गए। मोतीबाग इलाके की विमल बाई ने बताया कि चाय पीने के दौरान उन्हें कम्पन महसूस हुआ और किचन के बर्तन गिर गये। नीरज अग्रवाल नाम के व्यक्ति ने बताया कि बाथरूम जाने के दौरान उन्हें झटका महसूस हुआ। कैलाश ने बताया कि दीवार हिली और वे परिवार सहित बाहर आ गए। इसी तरह कुछ अन्य नागरिकों ने बताया कि झटके से किचन के बर्तन गिर गए और भयवश वे भी घर के बाहर आ गए।

जिला कलेक्टर शिवराज सिंह वर्मा ने बताया कि सेंधवा की अनुविभागीय दंडाधिकारी एसडीएम तपस्या परिहार ने घटनाक्रम की सूचना दी है। जिले में अन्य स्थान से इस तरह की अवधारणा की जानकारी नहीं मिली है। उन्होंने बताया किसी भी प्रकार के जानमाल के नुकसान की सूचना नहीं है। नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी (मिनिस्ट्री आॅफ अर्थ साइंस, भारत सरकार) की वेबसाइट के अनुसार सुबह 4 बज कर 53 मिनट और 2 सेकंड पर अक्षांश 21.69 (उत्तर) व देशांतर 75.36 (पूर्व) लोकेशन पर 3.5 तीव्रता का भूकंप दशार्या गया है। सेंधवा की एसडीएम तपस्या परिहार में यह जानकारी पत्रकारों से शेयर की। सेंधवा के तहसीलदार मनीष पांडे ने बताया कि भूकंप का अभिकेंद्र यहां से लगभग 40 किलोमीटर दूर खरगोन जिले का बीजगढ़ी बताया जा रहा है।

क्यों आता है भूकंप

धरती मुख्य तौर पर चार परतों से बनी हुई है। इनर कोर, आउटर कोर, मैनटल और क्रस्ट, क्रस्ट और ऊपरी मैन्टल कोर को लिथोस्फेयर कहते हैं। ये 50 किलोमीटर की मोटी परत कई वर्गों में बंटी हुई है जिसे टैकटोनिक प्लेट्स कहा जाता है। ये टैकटोनिक प्लेट्स अपनी जगह पर हिलती रहती हैं। जब ये प्लेट बहुत ज्यादा हिल जाती हैं, तो भूकंप महसूस होता है। ये प्लेट क्षैतिज और ऊर्ध्वाधर दोनों ही तरह से अपनी जगह से हिल सकती हैं। इसके बाद वह स्थिर रहते हुए अपनी जगह तलाशती हैं इस दौरान एक प्लेट दूसरी प्लेट के नीचे आ जाता है।

कैसे मापा जाता जाता है भूकंप की तिव्रता

भूकंप की तीव्रता को मापने के लिए रिक्टर स्केल का पैमाना इस्तेमाल किया जाता है। इसे रिक्टर मैग्नीट्यूड टेस्ट स्केल कहा जाता है। रिक्टर स्केल पर भूकंप को 1 से 9 तक के आधार पर मापा जाता है। भूकंप को इसके केंद्र यानी एपीसेंटर से मापा जाता है।

क्या होता है रिक्टर स्केल

भूकंप के समय भूमि में हुई कंपन को रिक्टर स्केल या मैग्नीट्यूड कहा जाता है। रिक्टर स्केल का पूरा नाम रिक्टर परिणाम परीक्षण ( रिक्टर मैग्नीट्यूड टेस्ट स्केल ) है। भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर जितनी ज्यादा होती है, भूमि में उतना ही अधिक कंपन होता है। जैसे-जैसे भूकंप की तीव्रता बढ़ती है नुकसान भी ज्यादा होता है। जैसे रिक्टर स्केल पर 8 की तीव्रता वाला भूकंप ज्यादा नुकसान करेगा। वहीं 3 या 4 की तीव्रता वाला भूकंप हल्का होगा।

चार अलग-अलग जोन में बांटा गया है देश को

दरअसल भूकंप को लेकर देस को चार अलग-अलग जोन में बांटा गया है। मैक्रो सेस्मिक जोनिंग मैपिंग के अनुसार इसमें जोन-5 से जोन-2 तक शामिल है। जोन 5 को सबसे ज्यादा संवेदनशील माना गया है और इसी तरह जोन दो सबसे कम संवेदनशील माना जाता है।

भूकंप की तीव्रता के हिसाब से क्या हो सकता है असर

  • 0 से 1.9 की तीव्रता वाले भूकंप का पता सिर्फ सीज्मोग्राफ से ही चलता है।
  • 2 से 2.9 की तीव्रता वाले भूकंप से सिर्फ हल्की कंपन होती है।
  • 3 से 3.9 की तीव्रता वाले भूकंप के दैरान ऐसा लगता की कोई ट्रक आपके बगल से गुजरा हो।
  • 4 से 4.9 की तीव्रता वाला भूकंप खिड़कियां तोड़ सकता हैं।
  • 5 से 5.9 की तीव्रता पर घर का सामान हिल सकता है।
  • 6 से 6.9 की तीव्रता वाले भूकंप से इमारतों की नींव में दरार आ सकती है।
  • 7 से 7.9 की तीव्रता वाला भूकंप इमारतों को गिरा सकता है।
  • 8 से 8.9 की तीव्रता वाला भूकंप आने पर बड़े पुल भी गिर सकते हैं।
  • 9 से ज्यादा की तीव्रता वाले भूकंप पूरी तरह से तबाही मचा सकते हैं। अगर समंदर नजदीक हो तो सुनामी भी आ सकती है।

भूकंप आने पर क्या करें?

  • भूकंप आने के बाद अगर आप घर में हैं तो कोशिश करें कि फर्श पर बैठ जाएं। या फिर अगर आपके घर में टेबल या फर्नीचर है तो उसके नीचे बैठकर हाथ से सिर को ढक लेना चाहिए।
  • भूकंप आने के दौरान घर के अंदर ही रहें और जब झटके रुकने के बाद ही बाहर निकलें।
  • भूकंप के दौरान घर के सभी बिजली स्विच को आॅफ कर दें।

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