नरेगा से मिला खेतों में रोजगार और बढ़ेगी हरियाली

Employment in farms will increase greenery with NREGA
झुंझुनू । राजस्थान में महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) में झुंझुनू जिले में लॉक डाउन के दौरान कोरोना काल में लोगों ने रोजगार मांगकर गत वर्षों का रोजगार का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी रामनिवास जाट के अनुसार गत चार सालों में प्रतिवर्ष औसत 24 लाख रोजगार दिवस सृजित किए गए थे। जबकि इस साल प्रथम साढ़े चार माह में अर्थात एक तिहाई समय में ही 20 लाख रोजगार दिवस सृजित कर दिए गए। मनरेगा वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार मनरेगा श्रमिकों की मजदूरी पेटे गत चार साल के दौरान औसत प्रतिवर्ष 32 करोड़ रुपए खर्च किए गए थे। जबकि इस साल की प्रथम एक तिहाई अवधि में ही मजदूरी पेटे 32 करोड़ 80 लाख रुपए का खर्चा किया गया है। उन्होंने बताया कि गत वर्ष तक जिले में कुल रोजगार में से 60 प्रतिशत से अधिक जोहड़ खुदाई जैसे मिट्टी इधर उधर करने के काम हुए। जबकि इस साल जून के बाद जोहड़ खुदाई के सभी कार्य अनुपयोगी मानकर बंद कर दिए गए तथा लोगों के खेतों में कुंड, कैटल शैड, पौधारोपण जैसे तीन हजार से अधिक कार्यों पर मानसून के दौरान भी 35 हजार श्रमिकों को प्रतिदिन रोजगार दिया जा रहा है। उल्लेखनीय है कि जुलाई माह में पूरे राजस्थान में 53 लाख श्रमिक नरेगा में नियोजित थे। जो अगस्त के तीसरे सप्ताह में केवल 18 लाख रह गए। जबकि झुंझुनू जिले में इस अवधि में 40 हजार से 35 हजार अर्थात केवल पांच हजार श्रमिक कम हुए हैं। जिले में वर्तमान में नियोजित 35 हजार श्रमिकों में से 24 हजार अर्थात 70 प्रतिशत श्रमिक अपने खेतों में मस्टररोल पर सुधार कर रहे हैं।

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