आजादी की लड़ाई के नायक थे ‘महाश्य हुकम चंद’

पुण्यतिथि विशेष | Hukam Chand Chhabra

डबवाली (सच कहूँ/राजमीत इन्सां)। दिवंगत महाश्य हुकम चंद छाबड़ा (Hukam Chand Chhabra)की स्मृति में श्रद्धांजलि समारोह आज 3 मार्च दिन मंगलवार को सुबह 9 बजे उनके बेटे भारत इंद्र छाबड़ा के निवास स्थान नजदीक वाल्मीकि चौंक में किया जाएगा। जिसमें पारिवारिक सदस्यों के अतिरिक्त आर्य समाज के सदस्यों सहित आसपास के क्षेत्र के गणमान्य व्यक्ति पहुंचकर अपने श्रद्धासुमन अर्पित करेंगे। उलेखनीय है कि स्वतंत्रता सेनानी दिवंगत महाश्य हुकम चंद छाबड़ा का जन्म 16 जून, 1916 को गांव लोहगढ़ में माता जेष्ठी बाई व पिता पोखर दास के घर हुआ। इन्होंने अपनी पढ़ाई गांव तथा मिडिल परीक्षा राजकीय स्कूल डबवाली से की। जब लाला लाजपत राय अबोहर आए और उन्होंने विदेशी

कपड़ों की होली जलाई और खादी पहनने पर बल दिया तो इन्होंने उसी समय खादी पहनने का प्रण कर लिया और आजादी की लड़ाई में कूद पड़े। उस समय इनकी आयु 13 वर्ष थी। सन् 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लेने के कारण उन्हें सजा हुई और उनको मुल्तान जेल में रखा गया। दिवंगत चौधरी देवी लाल, साहब राम व पतराम वर्मा उनके जेल के साथी थे। सजा के दौरान उन्हें मुंबई सैंट्रल जेल में भी रखा गया, लेकिन फिर भी उन्होंने आजादी की लड़ाई का संघर्ष जारी रखा। वे अपने जीवनकाल में पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सदस्य व हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी जिला हिसार के जनरल सचिव रहे।

प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा किया गया था सम्मानित

 

Hukam Chand Chhabra

महाश्य हुकम चंद (Hukam Chand Chhabra) ने भारत की आजादी व शिक्षा के प्रसार हेतु अपना सर्वस्व समर्पित कर दिया। 15 अगस्त, 1972 को स्वतंत्रता दिवस की 25वीं वर्षगांठ पर प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा ताम्रपत्र देकर उन्हें सम्मानित किया गया। आज ही के दिन 3 मार्च, 1983 को लंबी बीमारी से जूझते हुए उनका देहांत हो गया। मरणोंपरांत हरियाणा सरकार द्वारा नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जन्म शताब्दी पर उनके परिवार को ताम्रपत्र देकर सम्मानित किया गया। आज छाबड़ा परिवार का प्रत्येक सदस्य उनके बताए हुए मार्ग पर चलते हुए तन-मन-धन से समाज सेवा में जुटा हुआ है।

 

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