बिपिन रावत के साथ हादसा रक्षा तकनीक पर प्रश्न चिन्ह

Bipin Rawat

देश के प्रमुख रक्षा प्रमुख सीडीएस जनरल बिपिन रावत को ले जा रहा भारतीय वायुसेना का सबसे आधुनिक हेलीकॉप्टर एमआई-17वीएच तमिलनाडु के कुन्नूर के नजदीक क्रैश हो गया। हादसे में जनरल बिपिन रावत की पत्नी मधुलिका सहित वायुसेना के वरिष्ठ अधिकारियों का निधन हो गया, जो बहुत दुख की बात है। यहां सबसे चिंताजनक बात यह है कि इसी हैलीकॉप्टर का इस्तेमाल सैन्य आॅप्रेशनों के साथ-साथ देश की उच्च हस्तियां भी यात्रा के लिए प्रयोग करती रही हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी लेह-लद्दाख तक इस हैलीकॉप्टर पर जाते रहे हैं। भले ही घटना की जांच के बाद हादसे के कारण सामने आएंगे, लेकिन इस हादसे से रक्षा तकनीक व प्रयोग संंबंधी बड़े सवाल खडे हो गए हैं।

विशेष तौर पर दो इंजन वाले विमान का हादसे में शिकार होना आश्चर्यजनक बात है। भारत जैसे देश के लिए यह बहुत बड़ी घटना है, वह भी उस वक्त जब चीन जैसे पड़ोसी देश सीमाओं पर भारत के लिए मुश्किल बनने की कोशिश कर रहे हों। ऐसे हैलीकॉप्टर हमारी सेना की ताकत हैं जिनके बलबूते पर हम दुश्मन को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए छाती तानकर दावा करते हैं। यह सवाल उठता है क्या इस घटना के पीछे किसी अंतरराष्ट्रीय ताकत की साजिश तो नहीं? इसकी भी जांच होनी चाहिए। रूस द्वारा तैयार इस हैलीकॉप्टर को अत्याधुनिक माना जाता है लेकिन देश के रक्षा क्षेत्र की उच्च हस्तियों की यात्रा दौरान हादसा होना चिंताजनक बात है। इससे पहले भी विमान हादसों में दो मुख्यमंत्रियों सहित देश के बड़े नेता जान गंवा चुके हैं लेकिन रक्षा क्षेत्र के हैलीकॉप्टर के साथ हादसा होना देश की सैन्य ताकतों की साख को प्रभावित करता है।

तकनीक और संचालन के क्षेत्र में भारत को और मजबूत करने के लिए काम करना होगा। हमारे देश में इंजीनियरिंग क्षेत्र में काबिल लोगों की कोई कमी नहीं, दुनिया के विकसित देशों में भारतीय इंजीनियर काम कर रहे हैं। तेजस जैसे लड़ाकू विमान, अर्जुन जैसे ताकतवर टैंक और पृथ्वी, अग्नि जैसी मिसाइलें देश की ताकत का प्रमाण हैं। रक्षा क्षेत्र में हमारा बजट विशाल है। उम्मीद की जानी चाहिए कि सरकार रक्षा क्षेत्र में तकनीकी विकास की तरफ ध्यान देगी और इन समस्याओं का समाधान निकालेगी। केवल हैलीकॉप्टर ही नहीं मिग-21 जैसे लड़ाकू विमान, जो बड़ी संख्या में हादसों का शिकार हुए हैं उनके संबंध में भी सरकार को ठोस कदम उठाने होंगे। हर साल मिग-21 के हादसे होने के कारण कई ट्रेनिंग ले रहे पायलट अपनी जान गंवा चुके हैं। देश को सुरक्षित और विदेशी ताकतों को करारा जवाब देने के लिए हर पहलू से तैयार रहने व सतर्क रहने की आवश्यकता है।

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