अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव : ब्रह्मसरोवर के पावन तट पर सजी अद्भुत शिल्पकला

International Gita Festival sachkahoon

अद्भुत है सहारनपुर के वहीद अहमद की कला

  • कई देशों का भ्रमण कर शिल्पकला को मनवा चुके लोहा

  • देश-विदेश में कई कारीगरों को दिया प्रशिक्षण

सच कहूँ/ देवीलाल बारना, कुरुक्षेत्र। अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव के सरस और शिल्प मेले में दूर दराज से आए शिल्पकार अपनी-अपनी शिल्पकला का अदभुत प्रदर्शन कर रहे हैं और यहां पर दूर-दराज, दूसरे राज्यों व विदेशों से आने वाले पर्यटक इस अनोखी शिल्पकला को देखकर हैरान हैं। ब्रह्मसरोवर के पावन तट पर लगे इस सरस और क्राफ्ट मेले में शिल्पकारों की अनोखी और अद्भुत शिल्पकला की गूंज विदेशों में भी सुनाई दे रही है। धर्मक्षेत्र-कुरुक्षेत्र की पावन धरा पर आने वाला प्रत्येक पर्यटक इस शिल्पकला की प्रशंसा करता नजर आ रहा है।

सहारनपुर यूपी से आए वहीद अहमद ने बताया कि वे अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव में पिछले कई सालों से आ रहे हैं और वे अपने साथ लकड़ी से बने फ्लावर पॉट, कार्नर, स्टूल, काफी सैट, व्हील चेयर, अनोखी मैगजीन फोल्डर, पशु तथा पक्षियों की अनोखा सज्जा-सजावट का सामान लेकर आए हैं और उन्होंने अपना यह सामान ब्रह्मसरोवर के पावन तट पर स्टॉल नम्बर 109 पर लगाया हुआ है।

उन्होंने बताया कि वे इस सामान को पापड़ी, आम, जमोआ, नीम और साल की लकड़ी से तैयार करते हैं। इसके लिए वे पहले इस लकड़ी को मशीनों से काटकर अच्छा प्रारूप देते हैं और इसके बाद उस पर अपने हाथ की कारगिरी से सुंदर-सुंदर और आकर्षित करने वाले आकृतियों के सामान तैयार करते हैं।

उन्होंने बताया कि वे अपनी इस अनोखी अदभुत शिल्पकला का प्रदर्शन विदेशों में भी कर चुके हैं। इसके अलावा अपनी शिल्पकला को बचाने के लिए वे देश सहित विदेशों में भी कई लोगों को इस शिल्पकला का प्रशिक्षण दे चुके हैं। इस शिल्पकला को लेकर उन्हें राष्ट्रीय अवार्ड भी मिल चुका है और पदमश्री अवार्ड के लिए भी नामित हुए हैं। उनका प्रयास है कि इस शिल्पकला को वो ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाए ताकि इस शिल्पकला को जीवंत रखा रखा जा सके।

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