टूटते परिवारों के दौर में समाज को आईना दिखा रही ‘जीवीबेन’

परिवार के बड़े-छोटे एक-दूसरे के मान सम्मान और इच्छाओं का रखते हैं पूरा ख्याल

बांसवाड़ा (सच कहूँ डेस्क)। सास-बहू के झगड़े या किसी और छोटी सी बात पर परिवार का टूटना आम बात है। भौतिकतावादी युग में युवा अकेलेपन को तवज्जो देते हैं और बड़े-बुजुर्गों की बात सुनना तक पसंद नहीं करते। आज की युवा पीढ़ी पुरातन संस्कृति से बिल्कुल मुनकर दिखाई देती है। ऐसे दौर में भी कुछ परिवार ऐसे भी हैं, जो समाज को आईना दिखा रहे हैं। इन्हीं में से एक है राजस्थान के बांसवाड़ा का 31 सदस्यीय सांवरिया परिवार। इस परिवार की सबसे बड़ी खासियत है कि छोटे-बड़े सभी सदस्य न सिर्फ एक-दूसरे को मान-सम्मान देते हैं बल्कि उनकी इच्छाओं का भी पूरा ध्यान रखते हैं। इनका आपसी जुड़ाव इतना अद्भुत है कि हर कहासुनी को अनदेखा कर देते हैं।

हर सदस्य खास

अशोक व किशोर बताते हैं कि परिवार में एकजुटता की वजह है प्रत्येक सदस्य का अपनी जिम्मेदारी को बखूबी निभाना और हर कार्य को सही ढंग व सही वक्त पर करना। घर का हर सदस्य में एक-दूसरे से सम्मानपूर्वक अपनत्व का भाव रखता है। परिवार का हर छोटा सदस्य सुबह उठते ही अपने बड़ों के पैर छूकर आशीर्वाद लेता है और बड़े भी दिल खोलकर उन्हें अपना आशीर्वाद देते हैं। माँ जीवीबेन की आज्ञा को परिवार का प्रत्येक सदस्य सिरोधार्य रखता है और अक्षरश: पालन करता है। इसके साथ ही घर के हर कार्य में सभी सदस्यों के पूर्ण सहयोग के साथ-साथ सलाह भी ली जाती है। अगर किसी बात पर मतभेद होता है तो उसे हम मनभेद कभी नहीं बनने देते हैं। एक-दूसरे के चेहरे पर मुस्कान खिलाने का ही प्रयास रहता है।

ये है दिनचर्या

सांवरिया परिवार के सदस्य राजूभाई बताते हैं कि उनके परिवार का प्रत्येक सदस्य सुबह जल्दी उठ जाता है। इसके बाद सभी इकट्ठा बैठकर नाश्ता करते हैं। पुरुषों के नाश्ता करने के बाद महिलाएं भी एक साथ बैठकर नाश्ता करती हैं। घर का प्रत्येक मैंबर अपने कर्तव्य को पूरी निष्ठा से निभाता है, क्योंकि मुट्ठी जब बंद होती है तो उसकी ताकत ज्यादा होती है। इसलिए सभी आपस में सहयोग से सभी कार्य करते हैं।

इन बातों का रखें ध्यान

  •  धीमी आवाज में बात करें।
  •  बड़े-छोटे की मर्यादा का पालन करें।
  •  सभी भाई-बहन प्यार से रहें।
  •  बच्चों को घर में पूजा-पाठ से लेकर शादी तक के सभी समारोहों में भागीदार बनाएं।
  •  बच्चे आपस में और दादा-दादी के साथ खेलें।
  •  एक साथ बैठकर खाना खाएं।
  •  अपनी खुशी और परेशानी से जुड़ी हर बात परिवार के साथ शेयर करें।
  •  एक-दूसरे पर कभी न चिल्लाएं।
  •  मनमुटाव को आपस में बैठकर सुलझाएं।

परिवार में टूट के मुख्य कारण

  • व्यक्ति भौतिकवादी सभ्यता की ओर आकर्षित हो रहा है, अकेले रहकर सुख को प्राथमिकता देने लगा है और एकांकी रहने में अधिक सुखी महसूस करता है। परिवार में वह बन्धन महसूस करता है।
  • औद्योगीकरण ने परिवार के अस्तित्व को गहरा धक्का पहुँचाया है। घर छोड़कर बाहर नौकरी की तलाश में जाने वाले परिवारिक सदस्य पुन: स्थापित नहीं हो पाते हैं।
  •  पाश्चात्य सभ्यता और संस्कृति भी घातक सिद्ध हो रही है, जहाँ परिवार एक संस्था नहीं समझौता होता है, जिसमें बच्चे और माँ के मध्य में स्थायी सम्बन्ध नहीं माना जा सकता है। हमारे परिवार भी इसका शिकार हो रहे हैं।

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