जाने क्या है सुपरमून

जब चांद अपने सामान्य आकार की तुलना में बड़ा और बेहद चमकदार नजर आता है। तो उसे सुपरमून कहा जाता है शोधकर्तओं का मानना है कि इस दौरान चाँद का आकार सामान्य आकार की तुलना में करीब 14 फीसदी बढ़ जाता है और इसका चमक पहले के मुकाबले 30 फीसदी ज्यादा होती है। और इस परिस्थति में चांद और धरती के मध्य की दूरी भी कम हो जाती है। अगर विज्ञान के अनुसार इसे समझें तो, धरती से चांद की दूरी लगभग 4,06,692 किमी की है। और विज्ञान की भाषा में वैज्ञानिको द्वारा इस दूरी को एपोजी कहा जाता है।वहीं जब चंद्रमा और पृथ्वी सूरज के चारों और चक्कर लगाते हुए एक-दूसरे के करीब आ जाते हैं, तब इन दोनों के मध्य की दूरी 3,56,500 किमी होती है। जिसे वैज्ञानिको द्वारा पेरिजी कहा जाता है।

इस दौरान जिस दिन चांद और धरती एक-दूसरे के सबसे करीब होते हैं उसी दिन सुपरमून दिखाई देता है। नासा जोकि अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी है उसके अनुसार, साल 1979 में सबसे पहली बार सुपरमून देखा गया था। जब से ही यह पहली बार अस्तित्व में आया था और लोगों को सुपरमून के बारे में पता चला था। जब एस्ट्रोनॉमर्स ने इसे पेरीजीन फुल मून नाम दिया था। और बाद में इसका नाम सुपरमून रखा गया। अगर ग्रहण को छोड़ दें तो सुपर मून पूर्णिमा के दिन दिखने वाले एक सामान्य चांद की तरह ही होता है अंतर सिर्फ इतना ही होता है कि चांद सामान्य चाँद की तुलना में धरती के बहुत करीब होता है जिसके कारण यह काफी बड़ा और चमकीला दिखाई देता है।

 

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