अब मनरेगा श्रमिकों की मोबाइल मॉनिटरिंग सिस्टम से दर्ज होगी उपस्थिति

MNREGA Workers sachkahoon

समय पर मिल सकेगा भुगतान, तकनीक से समस्याएं भी सुलझेगी

सच कहूँ/तरसेम सिंह, जाखल। मनरेगा योजना (MNREGA Workers) अब हाइटेक होने जा रही है। हाइटेक भी कुछ ऐसी कि हाजिरी कम होने से लेकर कार्य मूल्यांकन तक की श्रमिकों की शिकायतें ही बंद हो जाए। नई व्यवस्था न सिर्फ श्रमिकों की समस्याओं का समाधान करेगी, बल्कि फर्जीवाडे को भी रोकेगी। मनरेगा मजदूरों की हाजरी तथा मजदूरी को लेकर अक्सर विवाद सुनने को मिलते थे लेकिन अब सरकार ने मनरेगा मजदूरी के कामों में पारदर्शिता लाने के लिए एक एप लांच की है और इस एप ने जिला फतेहाबाद के खंड जाखल में काम भी शुरू कर दिया है।

जाखल के विभिन्न गांवों के मनरेगा मजदूर इस एप लांच होने के मिले काम से प्रसन्न भी है। जाखल खंड कार्यक्रम अधिकारी संदीप जांगड़ा एवं हैड कंप्यूटर ऑपरेटर अंकुर शर्मा, मनरेगा से संबंधित जेई सोनू ने बताया कि मनरेगा योजना योजना ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को सबसे अधिक रोजगार उपलब्ध कराती है लेकिन इस योजना से जुड़ी शिकायतें आती रहती थी।

उल्लेखनीय है कि योजनाओं से लेकर मजदूरी तक के भुगतान के तमाम मामलों में विसंगतियां सामने आती रहती हैं, ऐसे फर्जीवाड़े पर लगाम लगाने और मनरेगा योजना को प्रभावी तथा पारदर्शी तरीके से क्रियान्वित करने के लिए नेशनल मोबाइल मॉनीटरिंग सिस्टम (एनएमएमएस) लगा दिया गया है। यह सिस्टम ऊपर से नीचे तक के लोगों की जवाबदेही तय करेगा। ऐसे में योजना के काम करने में यदि ढिलाई बरती तो अधिकारी भी नपेंगे।

क्या है मॉनिटरिंग सिस्टम ऐप

नेशनल मोबाइल मॉनीटरिंग सिस्टम एक मोबाइल एप्लीकेशन है। जिसका उपयोग मनरेगा से जुड़े पूरे सिस्टम को करना है। इस एप के लागू होने के बाद मनरेगा मजदूरी (MNREGA Workers) के अंतर्गत मौके पर कितने मजदूर आए हैं, उनकी आई. डी. एवं जी. पी. एस. से पता चल जाएगा। प्रतिदिन मजदूरी स्थल से रियल टाइम आधारित मास्टर रोल में निहित मजदूरों की उपस्थिति विवरण एवं योजना में मजदूरों का कार्य करते हुए फोटोग्राफ कैप्चर करते हुए अपलोड करना होगा। विभाग के निर्देश है कि मजदूरों की अपलोड की गई अटेंडेंस के अनुसार ही मजदूरों को मजदूरी का भुगतान किया जाएगा।

काम ना मिलने से मनरेगा मेटों में रोष

खंड विकास एवं पंचायत कार्यालय में मोबाइल मॉनिटरिंग सिस्टम ऐप के बारे में जानकारी देने के लिए मनरेगा मेटों की एक विशेष बैठक में ट्रेनिंग दी। इस दौरान सभी गांव के मनरेगा मेटों ने मनरेगा के एबीपीओ संदीप कुमार के समक्ष काम से संबंधित डिमांड रखी। मनरेगा मेटों ने बताया जाखल खंड के लगभग सभी गांवों में 4 महीने से कहीं भी मनरेगा काा कार्य हो पाया। परंतु गांवों मेंं तालाब खुदाई करने का कार्य भी लगभग सभी गांवों में ठेके पर दिया जा चुका है। और घग्गर नदी का कार्य करने के लिए कोई भी संबंधित आॅफिसर जिम्मेदारी नहीं ले रहे, सभी मनरेगा मेट व सभी मनरेगा मजदूर मनरेगा कार्य चलाने के लिए काफी जद्दोजहद कर रहे हैं।

क्या कहते हैं अधिकारी

मनरेगा के एबीपीओ संदीप जांगड़ा ने बताया की मनरेगा मेटों को नेशनल मोबाइल मॉनीटरिंग सिस्टम के बारे में जानकारी दी गई है। मनरेगा काम के बारे मेंं उन्होंने बताया कि अब जोहड़ तालाब की खुदाई का कार्य एनजीटी के अधीन है। लेकिन जोहड़ में जलकुंभी इत्यादि की सफाई के लिए मेट सबसे पहले अपनी रिक्वायरमेंट पूरी करवाएं जिसके बाद उनको काम दिया सके। वहीं उन्होंने बताया घग्गर नदी के काम हेतू इरीगेशन डिपार्टमेंट अगर डिमांड भेजता है तो वह कार्य भी करवा दिया जाएगा। जोहड़ तालाब खुदाई का कार्य जाखल ब्लॉक में एनजीटी व ग्रे वाटर सिस्टम के तहत टेंडर हो रहे हैं

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