हमारी लाइफ एक खुली किताब है: पूज्य गुरु जी

बरनावा। पूज्य गुरू संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां वीरवार रात्रि आॅनलाइन गुरूकुल के माध्यम से युवाओं से रूबरू हुए। इस दौरान पूज्य गुरू जी ने युवाओं द्वारा पूछे गए विभिन्न सवालों के जवाब देकर उनकी जिज्ञासा को शांत किया। इसके साथ ही युवाओं को जीवन में आने वाली परेशानियों से मुक्त जीवन जीने के टिप्स भी दिए।
सवाल : गुरू जी आपकी लाइफ में क्या कोई ऐसा सीक्रेट (छुपी हुई बात) है, जो आपने किसी को नहीं बताया?
पूज्य गुरू जी का जवाब : हमारी लाइफ में ऐसा कुछ नहीं है। हमारी लाइफ एक खुली किताब है और ऐसा कोई सीक्रेट नहीं है जो हमने छुपा के रखा हो। खुली किताब की भांति हमारा जीवन है। हर बात हम शेयर करते हैं सबसे। हमारी छह करोड़ साध-संगत ये सारी जानती है। सारे बच्चों से हम हर बात कर लेते हैं।

सवाल : गुरू जी आजकल जैसे लाइफ में काफी चेंजिज हो रहे हैं। तो कई बार स्ट्रैस बहुत ज्यादा हो जाता है। स्ट्रैस और टैंशन के कारण मेडिटेशन भी नहीं हो पाता तो इस स्थिति से कैसे रिकवर हों?

पूज्य गुरू जी का जवाब : मेडिटेशन ही दिमागी परेशानी को दूर करता है। मेडिटेशन नहीं हो पा रहा तो आप सुबह-सुबह वॉकिंग करें। वॉकिंग करते हुए साथ-साथ सुमिरन करेंगे, मेडिटेशन करेंगे तो उससे मेडिटेशन भी हो जाएगा और आपका जो दिमागी बोझ है भी दूर हो जाएगा।
सवाल : गुरू जी जब हमारी आयु शादी के लायक हो जाती है तो हमारी टैंशन होती है कि हमारी लाइकिंग, हमारी थिकिंग जीवन साथी से मिलती है या नहीं तो अपने लिए परफैक्ट पार्टनर (जीवनसाथी) कैसे चुनें।
पूज्य गुरू जी का जवाब : हमारे ख्याल से पुराने समय से जो चली आई रीत है हमारे धर्मों की, कि उसमें माँ-बाप जाया करते थे। वे गुणों और अवगुणों का पता किया करते थे, वो बैस्ट था। लेकिन फिर भी आज की नौजवान पीढ़ी चाहती है कि वो खुद इन चीजों से रूबरू हो तो उसके लिए यही जरूरी है कि आप किसी ऐसी माध्यम के द्वारा अपने माँ-बाप के साथ जाकर, परिवार के साथ जाकर कोई ऐसी सांझी जगह पर बैठकर बातें करें ताकि आपको पता चल जाए कि सामने वाला आपके लिए सही है या नहीं। बातों के बिना तो हमें नहीं लगता कि ये संभव हो पाएगा।
सवाल : गुरू जी आॅफिस में नेगेटिविटी का माहौल रहता है। ऐसे माहौल में खुद को मोटिवेट कैसे रखें? चार्जअप कैसे रखें?
पूज्य गुरू जी का जवाब : अगर आपके पास नेगेटिविटी का माहौल रहता है तो अपने अंदर विल पावर (आत्मविश्वास) को जगाए रखो। क्योंकि उसके लिए आप आॅफिस में कुछ नहीं कर सकते, लेकिन जब आप घर पर हैं तो शाम के समय मेडिटेशन करें, सुबह उठकर मेडिटेशन करें। वॉक करें, घूमते हुए मेडिटेशन करें तो माइंड फ्रैश लेकर आप जब जाएंगे तो वहां का जो वातावरण है वो आप पर असर नहीं करेगा और आप फ्रैश रहेंगे।
सवाल : गुरू जी एक शादीशुदा युगल के बीच जीवन भर अच्छा रिश्ता और प्रेम बना रहे, इसके लिए टिप्स दें?
पूज्य गुरू जी का जवाब : हमें लगता है कि दोनों को पहले एक-दूसरे की बात सुननी चाहिए, फिर कोई डिसीजन लेना चाहिए। कई बार क्या होता है, एक बोलता है वो समझा नहीं पाता और दूसरा बोलना शुरू कर देता है। तो कपल के लिए बेस्ट ये है कि पहले आप एक की पूरी बात सुनिए, फिर अपना पक्ष रखिए। फिर दोनों बैठकर विचार कीजिये। तो जो परिवार के लिए बेस्ट है, आप दोनों के लिए बेस्ट है, उसको चूज कर लीजिए। ये एक समझौता भी है, क्योंकि इसको हमें समझना पड़ेगा। जल्दबाजी में कोई भी फैसला ना लें। दोनों एक-दूसरे को समझें, विचार करें। और रही बात कि बोरिंग हो जाता है तो उसके लिए ये जरूरी है कि आप नयापन लाएं। नयेपन के लिए जरूरी है कि अपने अंदर का विल पावर जगाकर आप आत्मबल से परिपूर्ण हो जाएं और आत्मबल से बहुत अच्छे आइडियाज आते रहेंगे। मान लीजिए आप दफ्तर जाते हैं और उसके बाद थोड़ा घूमें। अगले दिन थोड़ा योगा कर लें। उसके अगले दिन थोड़ा मेडिटेशन कर लें। यानि अपनी लाइफ में चेंज, तो जब चेंज आते रहते हैं तो आदमी बोरिंग नहीं होता, कभी भी लाइफ बोरिंग नहीं होती। अदरवाइज लाइफ बोरिंग जरूर होती है। तो स्वस्थ चेंज लाएं, उससे आपका माइंड फ्रैश रहेगा और आपके संबंधों पर गलत असर नहीं आएगी।
सवाल : गुरू जी आजकल लड़कियां बहुत टैलेंटिड हैं और वो हर फिल्ड में लड़कों के मुकाबले बहुत अच्छा कमा लेती हैं तो क्या तलाक के बढ़ते मामलों के पीछे यही कारण ज्यादा है?
पूज्य गुरू जी जवाब : ये कारण भी हो सकता है, लेकिन हमें जो लगता है तलाक का कारण कि एक-दूसरे पर शादी से पहले बहुत ज्यादा फेथ हो जाता है। एक-दूसरे से बहुत ज्यादा खुल जाते हैं, लेकिन जब वो बंधनों में बंध जाते हैं, तब जाकर असलीयत का सामना होता है। तो उन बंधनों में रहकर जब परिवारों के साथ विचरना पड़ता है तब पता चलता है कि लाइफ क्या है। पहले दोनों पर्सनल लाइफ जीते हैं और जब वो लाइफ परिवार से जुड़ती है तो उस समय काफी चेंजिज आते हैं। वो चीज नहीं रहती कि आप सिर्फ दोनों ही हैं, पूरे परिवार को साथ लेकर चलना पड़ता है, ये भी एक कारण है। पहले क्या होता था कि जो शादियां होती थी वो इस तरह से की जाती थी कि परिवार वाले चुनते थे और फिर शादियां होती थी। उसमें विचारों का मिलना आसान सा इसलिए हो जाता था कि आप दोनों एक दूसरे के लिए नए हैं। तो नया आदमी झिझकता है हर बात करने के लिए, धीरे-धीरे खुलते-खुलते उसमें काफी टाइम निकल जाता है, उसमें फिर मैच्यूरिटी आ जाती है दोनों रिश्तों में कि भई हाँ, हमें इस तरह से रहना है। लेकिन आप पहले ही मैच्यूरिटी ले आए कि अभी परिवारों से तो मिले ही नहीं, उनके साथ तो विचरे नहीं, तो आपस में मैच्यूरिटी हो गई, लेकिन जब वो परिवार एंटर करते हैं तो चेंजिज आने शुरू हो जाते हैं कि इस समय तो आपने ये बोला था, अब ये बोला है। वो माँ की बात बोले या ना बोले, बाप का पक्ष ले या ना ले, वो बेचारा सोचता है और आप भी सोचती हैं कि मैं अपने माँ-बाप का पक्ष लूं या ना लूं, और इसी तरह से इसी उलझन में फिर वो ब्रेकअप हो जाते हैं, झगड़े हो जाते हैं। तो हमें लगता है कि ये भी एक कारण है कि पहले कुछ बातें और होती हैं और फिर शादी होने के बाद जब पूरे संबंधों के साथ जीना पड़ता है। तो पहले से ये अंडरस्टेंडिग होनी चाहिए आपके अंदर, एक समझ होनी चाहिए कि भई ये होने वाला है तो फिर हो सकता है कि ये चीज ना हो, जो कि ज्यादा हो रहा है तलाक वगैराह।

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सवाल : गुरू जी आजकल स्कूल-कॉलेज से ही पैचअप, ब्रेकअप शुरू हो गए हैं और ब्रेकअप के बाद डिप्रेशन भी होने लगा है, इस डिप्रेशन को कैसे टैकल करें?
पूज्य गुरू जी का जवाब : हमें ये लगता है कि आज का यूथ प्रैशर नहीं झेल पाता है और प्रैशर झेलने के लिए हमारे अंदर विल पावर होना जरूरी है। दूसरी बात समझदारी का होना भी बहुत जरूरी है। कच्ची उम्र में जो रिश्ते बनते हैं इसलिए वो टूटते हैं क्योंकि तब कोई समझ नहीं होती, जो मुंह में आ गया बोल दिया और सामने वाला भी गुस्सैल है, वो भी जो मुंह में आया बोल दिया। तो अभी एक-दूसरे को समझते नहीं आप और उसी में ये रिश्ते टूटने लगते हैं। तो हमारा ख्याल है कि इसके लिए रिश्तों के लिए आपको समय देना चाहिए और आराम से उन रिश्तों के बारे में विचार करना चाहिए और आत्मबल अगर आपके अंदर होगा तो यकीनन, आप दोनों के अंदर होना चाहिए ना कि एक के अंदर। एक आत्मबल से परिपूर्ण है तो काम चल जाएगा, लेकिन वो बात नहीं बनेगी, जो दोनों के अंदर आत्मबल होने पर बनती है। अगर दोनों के अंदर आत्मबल है तो हमें लगता है कि ये समस्याएं खत्म हो जाएंगी। आत्मबल, विल पावर जिसके अंदर होता है वो जल्दी से उत्तेजित नहीं होता, जल्दी से कोई फैसले ऐसे नहीं लेता। खान-पान में बदलाव करना पड़ेगा। खान-पान में जहर हो गया है। हमारे धर्मों में, खास करके हम हिन्दु धर्म की चर्चा ज्यादा करते हैं, इसलिए करते हैं क्योंकि वो पुरातन है, वैसे सभी धर्मों में लिखा है कि खान-पान, रहन-सहन, देखना और सुनना ये सारा जिंदगी पर प्रभाव डालता है। खाना-पीना सही होना चाहिए। उसमें जब जहर आने लगता है, जो कि नेच्युरली धरती में से पानी के रूप में भी जहर बाहर आने लगा है, इतनी खाद, स्प्रे डाली जा रही है। आॅर्गेनिक खाएं अगर संभव हो तो, नहीं संभव तो खाना खाएं, अपनी तरफ से पूरा ख्याल रखें कि ऐसा खाना ना खाया जाए जो आपको उत्तेजित कर दे जल्दी से और अपना चैकअप रेगुलरली, लगातार करवाते रहिए समय-समय पर, क्योंकि चैकअप से पता चलेगा कि कहीं हाई ब्लड प्रैशर के मरीज तो नहीं बन गए। छोटी सी उम्र में लोगों को हाई ब्लड प्रैशर होने लगता है, जैसे माथा खिंचना या टैंशन हो जाना या फिर झगड़े हो जाना, आम सी बात हो जाती है। तो इन बातों को ध्यान में रखकर अगर आप चलेंगे तो हमें लगता कि इससे बचाव हो सकता है।

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सवाल : आज की सोसायटी के अनुसार लाइफ स्टाइल मेंनटेन करना (जीवनयापन) बहुत ही एक्सपेनसिव (महंगा) हो गया है, जिसकी वजह से सेविंग नहीं हो पाती है। तो क्या करें कि लाइफ स्टाइल भी मैंटेन कर पाएं और सेविंग्स भी हो जाएं?
पूज्य गुरू जी का जवाब : आप ज्यादा ध्यान ये रखें कि अगर आपके पास स्कूटर है तो साईकिल वाला भी जी रहा है। और आपके पास साईकिल है तो पैदल चलने वाला भी जी रहा है। लेकिन जब आप महत्वाकांक्षा ज्यादा बढ़ा लेते हैं, कि नहीं, मेरे पास स्कूटर है लेकिन मैंने कार वालों की बराबरी करनी है, उनके बराबर का स्टैंडर्ड रखना है तो हमें लगता है कि वहां आप धोखा खा जाते हैं। तब ना तो बचाव कर पाते हैं, क्योंकि लालसा बहुत बड़ी है और उसी लालसा में आप टैंशन लेना शुरू कर देते हैं, जो कमा रहे होते हैं, उसमें भी कटौती होनी शुरू हो जाती है बजाय बढ़ोत्तरी के। तो हमें लगता है कि जो लाइफ आप जी रहे हैं, खाने को मिल रहा है, पहनने को मिल रहा है, रहने को मिल रहा है, तो ये वो सुविधाएं हैं जो एक इन्सान के लिए काफी मायने रखती हैं और फिर आपके पास स्कूटर है या साईकिल है तो और भी बढ़िया है और धीरे-धीरे कार ने भी आ जाना है, लेकिन आप मेहनत करते रहिए। स्टैंडर्ड मैंटेन इस तरह से कीजिए, ना कि इस तरह से कि मेरे पास स्कूटर है मैं तो कार लूंगा। हम नहीं कहते कि महत्वाकांक्षा ना हो, जरूर होनी चाहिए इच्छा कि मैंने तरक्की करनी है, आगे बढ़ना है, लेकिन एक दम से वहां जाएंगे तो आप बचाव नहीं कर पाएंगे। तो अपने खर्चों के बारे में बैठकर सोचा करें, लिखा करें जो भी आप खर्च करते हैं। एक डायरी लें या फोन आ गए हैं आजकल, उसमें जो भी नोट्स वगैराह आप बनाते हैं तो उसमें वो रोज लिखें कि आपने क्या खर्चे किए, महीने में रिजल्ट निकलकर आ जाएगा कि कहाँ फालतू का खर्चा हुआ, फिजूलखर्ची हुई और कहाँ है सही खर्चा। तो फिजूलखर्ची की कटौती कर दें और सही खर्चे पर आप चलें तो यकीनन आप बचत भी कर पाएंगे और सुखी जिंदगी भी जी पाएंगे।
सवाल : गुरू जी लॉकडाउन के बाद काफी लोगों की जॉब चली गई है। उसके बाद से सब कोशिश करते हैं कि हमारी कोई पैसिव या अल्टरनेटिव इन्कम हो और उसी वजह से लोगों ने स्टॉक मार्केट या क्रिप्टो क्रैंसीज जो कि आजकल ट्रैंड में है, उसमें भी इन्वेस्ट करना शुरू कर दिया है। लेकिन उसमें बिना सोचे समझे ही निवेश कर देते हैं, जिसकी वजह से बहुत ज्यादा लोगों को काफी नुकसान हो रहा है। तो हमें बताएं कि हमें अपनी इन्वेस्टमेंट स्ट्रैटजी क्या रखनी चाहिए?
पूज्य गुरू जी का जवाब : हम हमेशा एक ही बात कहा करते हैं कि बेटा! कार्य वो करो जिसका आपको तज़ुर्बा हो। थोड़ा लेट स्टार्ट कर लीजिए, इमीजेटली स्टार्ट ना करें। पहले जिस काम को आप करने जा रहे हैं, उसका आजू-बाजू देखें कहने का मतलब उसमें देखें कि माइनस प्वाइंट क्या हैं और प्लस प्वाइंट क्या हैं। जब आप किसी चीज में इन्वेस्ट करते हैं तो उससे पहले उस खाके के बारे में जान लें, जिसमें इन्वेस्ट करने जा रहे हैं, क्या आपको पूरा नॉलेज हो गया कि क्या उसमें प्लस प्वाइंट हैं और क्या माइनस प्वाइंट हैं। अगर नॉलेज हो गया तो फिर उसका तज़ुर्बा लें, किसी जानकार से मिलें, उससे कुछ देर के लिए जैसे ट्रेनिंग लेते हैं उस तरह की कोचिंग आप लें, फिर इन्वेस्ट करें। तो हमें लगता है कि यकीनन काफी हद तक बचाव हो सकता है और दूसरा कि आदमी को कर्मयोगी और ज्ञानयोगी रहना चाहिए। जरूरी नहीं कि आप इस तरह से स्टॉक मार्केट में या शेयर मार्केट में जाकर ही कमाएं तो आप अपने शरीर पर भी यकीन रखें, माइंड पर भी यकीन रखें, कुछ ऐसा ईजाद करें, ऐसा कुछ बनाएं, जिससे कि इन्कम सॉर्स आपका कन्टीन्यू (निरंतर) बना रहे, कभी टूटने ना पाए। और फिर आप जाएं इन्वेस्ट करने के लिए, ताकि एक बेस आपने से बना लिया कि आप कभी गिरेंगे नहीं उस बेस से। बाकी आप इन्वेस्ट करें ताकि और तरक्की करें।


सवाल : गुरू जी मैं इंग्लिश नहीं बोल पाती, क्योंकि बचपन में ऐसा माहौल नहीं मिला। गुरू जी मुझे इंग्लिश आती तो है लेकिन विल पावर कम है तो मैं अपनी इंग्लिश और फ्लूएंसी कैसे इम्प्रूव करूं?
पूज्य गुरू जी का जवाब : हम बच्चों को कहा करते हैं हमेशा कि अगर आपको अपनी माँ की भाषा नहीं आती तो वो दु:ख की बात है। अगर कोई और लैंग्वेज है तो डरो मत, आप अपने यार, दोस्त, मित्रों में फर्राटेदार बोलने की कोशिश करो। कुछ झिझक आएगी, क्योंकि वहां कोई आपकी रिकॉर्डिंग नहीं हो रही है, वहां ऐसा कुछ नहीं है कि इसमें आपकी बेइज्जती हो जाएगी। यार, दोस्तों में, परिवार में या कोई अच्छा बोलने वाला है उसके साथ शुरू कर दीजिये, मत झिझकिए, क्योंकि ये आपकी माँ की भाषा नहीं है, मातृभाषा आना बहुत जरूरी है, वो आप सबको आती है, हमें भी आती है। तो रही बात थर्ड लैंग्वेज की, जो किसी और की लैंग्वेज है, हमारी नहीं, हमारी क्योंकि माँ की नहीं, बाप की नहीं। तो उस लैंग्वेज को बोलते टाइम शर्माओ मत अगर आपको आती है, झिझको मत। अपने यार, दोस्तों में, मित्रों में, सहेलियों में, अपने माँ-बाप के साथ, बहन-भाई के साथ धड़ल्ले से बोलो तो यकीनन आपकी झिझक भी खुल जाएगी और यही जब आप किसी समाज में जाएंगे या किसी इंटरव्यू पर जाएंगे तो आपका एक बेस बन जाएगा, वहां आप झिझकेंगे नहीं।
सवाल : गुरू जी आज का लाइफ स्टाइल काफी कंर्फटेबल हो गया है, एडवांस बहुत ज्यादा हो गया है, टैक्नोलॉजी ने जगह ले ली है। पूरा दिन लैपटॉप पर काम करते गुजर जाता है। और जो आर्डर्स भी हम आॅनलाइन दे सकते हैं, चाहे वो इटेबल्स हों, चाहे वो क्लॉथस के आॅर्डर्स हों, एक क्लिक पर एवेलेबल हैं, लेकिन इस कंर्फटेबल लाइफ ने हमारी लाइफ को बहुत लेजी (आलसी) बना दिया है, इसके लिए कुछ टिप्स दें, क्योंकि इसका हमारे फिजीकल अपीयरेंस पर बहुत दुष्प्रभाव पड़ रहा है, हमारी सेहत पर भी प्रभाव पड़ रहा है, इसके लिए क्या करें?

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पूज्य गुरू जी का जवाब : वाकयी सही बात है, हमने छोटे बच्चों से लेकर बड़ों तक को देखा है कि लोग चैटिंग करते हैं, सर्चिंग करते हैं, फिर आॅनलाइन आॅर्डर शुरू हो गए हैं। आप घर बैठे हैं, घर बैठे खाना आ जाता है, घर बैठे दवाइयां आ जाती हैं। खाना आ गया, आप हिले नहीं हैं तो दवाइयों की जरूरत पड़ेगी ही। वैसे एप भी आ गए हैं कि आप पहले खाने वाली चीज मंगा लो, जब आप बीमार पड़ो तो आप दवाइयां मंगवा लो। तो दोनों इंतजाम आपका पूरा कर दिया गया है। तो हमें लगता है कि खाना अगर आप मंगवाते हैं तो कोई बात नहीं, लेकिन दवाइयां ना मंगवानी पड़ें। हम इस लिहाज से कह रहे हैं कि आप सेहतमंद रहें, तंदुरूस्त रहें, तो उसके लिए लाइफ स्टाइल को बदलना पड़ेगा, आपको सुबह मॉर्निंग में वॉक करना अति जरूरी है। फ्रैश होकर जाएं तो बैस्ट है, घूमना जरूरी है। आप अगर कुछ सुन रहे हैं, कुछ बोल रहे हैं तो आप क्यों नहीं वॉक करते उस टाइम। अगर मान लीजिये आप संगीत सुन लें थोड़ा समय और संगीत सुनते समय थोड़ा घूम लें। तो इंज्वाय का इंज्वाय है और साथ में आपकी बॉडी रिलीफ महसूस करेगी। तो हमें लगता है कि वो दवाइयों वाली एप की फिर जरूरत नहीं पड़ेगी, सिर्फ खाने वाली तक आपका काम चल जाएगा। अदरवाइज अगर आप बैठे ही रहेंगे सारा टाइम तो हमें लगता है कि वो एप भी काम नहीं करेगी दवाइयों वाली, फिर डॉक्टर के पास भी जाना पड़ेगा। बहुत सारे बच्चों को देखा कि मोटे-मोटे लैंस लगे हुए हैं, उसका कारण ही ये है कि सारा दिन आप फोन से चिपके रहते हैं, फोन के बिना बात ही नहीं। अब तीसरे को फोन करते हैं, अब वो आ गया तीसरा, आपके पास बैठ गया, हाय-हेल्लो की, फिर चौथे को करने लग जाते हैं, इसका मतलब आपका इन्सान से प्यार नहीं है, आपका मोबाइल से प्यार है, कि चैट करनी है मैंने। चैट वाला सामने आकर बैठ जाए तो बात नहीं करनी है, अब तीसरे से, चौथे से, ऐसे चलता रहता है, तो ये सही नहीं है। आदतों को बदलना पड़ेगा। और उसके लिए विल पावर, और विल पावर के लिए राम का नाम जरूरी है। सारी चीजों का एक निचोड़ आ जाता है, जितने सवाल आपने पूछे, कि उसके लिए विल पावर, आत्मबल जरूरी है और आत्मबल के लिए ओउम, हरि, अल्लाह, वाहेगुरू, राम का नाम आप चलते, बैठके, लेटके, काम-धंधा करते हुए लेते रहें, ताकि विल पावर आ जाए और इन समस्याओं का हल आपके अंदर जरूर आ जाएगा।
सवाल : गुरू जी हम जिस रास्ते पर चल रहे हैं, हमें कैसे पता चलेगा कि ये रास्ता सही है?
पूज्य गुरू जी का जवाब : इसके लिए हमें लगता है कि आपको हमारे पवित्र ग्रन्थों का, जो धर्मों में हैं, उनका सहारा लेना चाहिए। आजकल हो सकता है कि जो एप्स हैं या मतलब नेट पर या किसी न किसी प्लेटफार्म पर धर्मों के पवित्र ग्रन्थ कहीं-न-कहीं मिल जाएंगे, हो सकता है सुनने को भी मिल जाएं। तो बजाय गाना सुनने के, आधा घंटा उनकी बात सुनते रहिए तो यकीनन फिर वहीं बात आ जाती है कि आत्मबल आएगा और आत्मबल आते ही, ये हमने खुद पर भी महसूस किया, करोड़ों लोगों को हमने गुरूमंत्र दिया, राम-नाम से जोड़ा है, उन्होंने भी बताया है कि गुरू जी अंदर से एक आवाज आती है, जो पॉजीटिव होती है, जिसे हम सुन लेते हैं तो हम बच जाते हैं गलत रास्ते पर जाने से और अगर उसको इग्नोर मार देते हैं तो गलत रास्ते पर चल पड़ते हैं। तो वो आवाज अगर आप अपनी रूह, आत्मा की सुनेंगे तो यकीनन गलत रास्ते पर चलने से बच पाएंगे।

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