अहम् पड़ाव पर किसान आंदोलन, हल या विफल पर टिकी निगाहें

Farmer-Protest

किसान नेता गुरनाम चढूनी के प्रदेश में फूंके जा रहे पुतले, भाजपा ने ‘पाकिस्तानी’ का मुद्दा गरमाया

  • धरतीपुत्रों के सामने एकजुटता को लेकर बढ़ रही चुनौती

चंडीगढ़ (अनिल कक्कड़)। दिल्ली के बॉर्डर पर चल जारी किसान आंदोलन को 7 महीने से ज्यादा का समय हो गया है और किसान तीनों कृषि कानूनों को वापिस लेने की मांग पर अड़े हैं। वहीं सरकार इसे किसान हितैषी बता रही है। वहीं इसे लेकर विभिन्न राजनैतिक दल भी सरगर्म हैं, लेकिन मौजूदा दौर में किसान आंदोलन एक महत्वपूर्ण पड़ाव पर पहुंच गया है। अब दिल्ली में किसान फिर से जुटना शुरू हो गए हैं। वहीं केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने किसानों को बातचीत के लिए कहा है। इसी बीच किसानों के सामने एकजुटता बनाए रख पाना चुनौती बन गया है। भारतीय किसान यूनियन (चढूनी) के प्रधान गुरनाम सिंह चढूनी के आपसी फूट पर दिए जा रहे ब्यान भी सबके सामने हैं।

वहीं गुरनाम सिंह चढूनी द्वारा सीएम मनोहर लाल खट्टर को पाकिस्तानी कहे जाने से भाजपाइयों द्वारा किया जा रहा विरोध भी मुश्किलें बढ़ा रहा है। अब माना जा रहा है कि इस वक्त किसानों की मांगों के हल और आंदोलन के विफल होने पर निगाहें टिक गई हैं। हालांकि किसान नेता राकेश टिकैत कह रहे हैं कि आंदोलन 2024 तक चलेगा। लेकिन राजनैतिक पंडितों की मानें तो सरकार यूपी चुनाव से पहले जल्द ही इसे निपटाने में जुट गई है।

आज भी किसान आंदोलन अपने मुद्दों पर कायम: चढूनी

अंबाला में किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी की अगुवाई में शनिवार को चंडीगढ़, पंचकूला और मोहाली से हजारों की संख्या में किसानों ने दिल्ली के लिए कूच किया। इस मौके पर मीडिया से बातचीत करते हुए गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा कि इन काफिलों का मकसद सरकार को यह दिखाना है कि आंदोलन में जोश अब पहले से भी ज्यादा है। उन्होंने कहा कि किसने बोला कि किसान आंदोलन अपने मुद्दे से भटक गया है। किसान आज भी अपने मुद्दे को लेकर आंदोलन कर रहा है। चढूनी ने सीएम को पाकिस्तानी कहने संबंधी अपने ब्यान पर कहा कि उनके बयान को समझा नहीं गया। चढूनी ने कहा इतिहास गवाह है कि जिस-जिस ने राजहठ पकड़ा है, उसकी तबाही हुई है।

फरीदाबाद, रोहतक में चढूनी के पुतले फूंके

वहीं भाजपा वर्करों व पंजाबी समुदाय के कुछ व्यापारियों ने रोहतक और फरीदाबाद में गुरनाम सिंह चढूनी के पुतले फूंके। उनका कहना है कि चढूनी को सार्वजनिक तौर पर माफी मांगनी चाहिए। वहीं प्रदेश के कैबिनेट मंत्री अनिल विज भी चढूनी पर पलटवार कर चुके हैं और उन्होंने कहा कि चढूनी को यह पता ही नहीं कि उन्हें क्या बोलना चाहिए और क्या नहीं। उन्होंने कहा कि किसान आंदोलन अपने मुद्दों से भटक गया है और राजनैतिक विरोधियों की गिरफ्त में आ चुका है।

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