सीएम आवास का घेराव करने जा रहे रोडवेज कर्मियों को पुलिस ने रोका

Gherao CM Residence sachkahoon

मांगों को लेकर एसडीएम को सौंपा ज्ञापन

  • बोले : 7 साल में एक भी नई बस नहीं खरीदी, विभाग के निजीकरण पर तुली सरकार

  • 28-29 मार्च को चक्का जाम का किया ऐलान

करनाल (सच कहूँ न्यूज)। हरियाणा रोडवेज कर्मचारी सांझा मोर्चा के आह्वान पर प्रदेशभर के हजारों रोडवेज कर्मचारी मुख्यमंत्री कैम्प कार्यालय के घेराव (Gherao CM Residence) व प्रदर्शन के लिए करनाल कर्ण पार्क में इक्कठे हुए। कर्मचारियों ने नारों के साथ मुख्यमंत्री कैम्प कार्यालय की ओर कूच किया। निजीकरण के खिलाफ, पुरानी पेंशन बहाली व बार-बार मानी गई मांगों को लागू नहीं करने से गुस्साए रोडवेज कर्मचारियों ने सरकार की वादाखिलाफी के विरोध में जमकर नारेबाजी की।

लेकिन सीएम निवास से पहले ही पुलिस प्रशासन ने बैरिकेट लगाकर कर्मचारियों को रोक लिया। इस दौरान कर्मचारियों ने सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। कर्मचारियों ने वहीं पर अपना डेरा डाल लिया। इसके पश्चात रोडवेज कर्मियों ने मांगों को लेकर ज्ञापन एसडीएम के माध्यम से मुख्यमंत्री मनोहर लाल को भेजा। एसडीएम ने ज्ञापन लेकर उन्हें आश्वस्त किया कि मांगों को सरकार तक पहुंचा दिया जाएगा।

इस अवसर पर रोडवेज वर्कर्स यूनियन (Gherao CM Residence) के प्रदेश महासचिव सरबत पुनिया ने बताया कि हरियाणा रोडवेज का सरकार निजीकरण करने जा रही है। सात साल में कोई नई बसें बेड़े में नहीं आई। ऐसे ही चलता रहा तो 5 सालों के बाद रोडवेज बंद हो जाएगा। उन्होंने कहा कि विभाग के विस्तार के लिए विशेष पैकेज दिया जाए। कर्मचारी नेता ने बताया कि हमारी मांग है कि पुरानी पेंशन का लाभ दिया जाए। वहीं भाजपा सरकार लगातार विभागों को निजीकरण करने जा रही है। चाहे वो बीएसएनएल हो, रेलवे हो, एयरपोर्ट, रोडवेज, बिजली बोर्ड हो।

कर्मचारी नेताओं ने कहा 28-29 मार्च को समस्त रोडवेज कर्मचारी राष्ट्रव्यापी हड़ताल में भाग लेकर सभी बसों का पूर्ण चक्का जाम करेंगे। हड़ताल की सफलता के लिए मोर्चा के चार जीप जत्थे 15 मार्च से सभी डिपुओं में गेट मीटिंग करेंगे। मोर्चा नेताओं ने कहा कि आम जनता व रोडवेज कर्मचारियों की निजीकरण की मांग नहीं, फिर भी सरकार धन्नासेठों को फायदा पहुंचाने के लिए निजीकरण के नये-नये तरिके अपना कर विभाग को बर्बाद करने पर लगी हुई है। विभाग में बढ़ती आबादी अनुसार सरकारी बसें शामिल करने व कर्मचारियों की मांगों को लागू करने के सरकार के दावे खोखले साबित हुए हैं।

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