फूलगोभी की फसल को इन हानिकारक कीटों से बचाएं

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रस चूसने वाले कीड़े:

ये पत्तों का रस चूस कर उन्हें पीला कर देते हैं और गिरा देते हैं, साथ ही पत्ते भी मुड़ जाते हैं और ठूठी के आकार के हो जाते हैं। रस चूसने वाले कीट जैसे चेपे और तेले का यदि हमला दिखे तो इमीडाक्लोप्रिड 17.8 एस एल 60 मि.ली. को 150 लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें। यदि थ्रिप्स का हमला दिखे तो ट्राइजोफॉस डैल्टामैथरिन 20 मि.ली. या 25 प्रतिषत साइपरमैथरिन 5 मि.ली. को 10 लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें।

चमकीली पीठ वाला पतंगा:

फूल गोभी का एक महत्तवपूर्ण कीड़ा है जो कि पत्तों के नीचे की ओर अंडे देता है। हरे रंग की सुंडी पत्तों को खाती है और उनमें छेद कर देती है यदि इसे ना रोका जाए तो 80-90 प्रतिशत तक नुक्सान हो सकता है। शुरूआत में नीम के बीजों का अर्क 40 ग्राम को प्रति लीटर पानी में मिलाकर फूल बनने की शुरूआती अवस्था में स्प्रे करें । 10-15 दिनों के अंतराल पर दोबारा स्प्रे करें। फूल के पूरा विकसित होने पर स्प्रे ना करें। इसके इलावा बीटी घोल 200 ग्राम की स्प्रे रोपाई के बाद 35 वें और 50 वें दिन प्रति एकड़ में करें। हमला अधिक होने पर स्पाइनोसैड 2.5 प्रतिशत एस सी 80 मि.ली. को प्रति 150 लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें।

सुंडी:

सुंडी पत्तों को खाती है और फसल को खराब करती है। वर्षा के समय स्पोडोपटीरा का नुक्सान आम दिखाई देता है। यदि एक बूटे पर दो सुंडिया दिखे तो बी टी 10 ग्राम को प्रति 10 लीटर पानी में मिलाकर शाम के समय स्प्रे करें और बाद में नीम अर्क 40 ग्राम को प्रति लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें। यदि नुक्सान ज्यादा हो तो थायोडीकार्ब 75 डब्ल्यूपी 40 ग्राम को प्रति 15 ली. पानी में मिलाकर स्प्रे करें। यदि पत्ते खाने वाली सुंडी का हमला हो तो स्पाइनोसैड 2.5 प्रतिशत ईसी या 100 ग्राम एमामैक्टिन बेनजोएट 5 एसजी को 150 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ में स्प्रे करें।

बीमारियों की रोकथाम-

सूखा: इसके साथ फसल पीली पड़ जाती है और पत्ते गिर जाते हैं और सारा पौधा सूख जाता है। यह जड़ों के गलने से भी हो सकता है। इसे रोकने के लिए टराईकोडरमा बायो फंगस 2.5 किलो को प्रति 500 लीटर पानी में मिलाकर पौधे की जड़ों के नजदीक डालें और फंगस के साथ होने वाले नुक्सान की जांच करते रहें। पौधों की जड़ों में रिडोमिल्ड गोल्ड 2.5 ग्राम को प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़कें और जरूरत के अनुसार सिंचाई करें। ज्यादा भारी सिंचाई ना करें।

पत्तों के नीचे की ओर धब्बे:

पत्तों के नीचे की ओर सफेद या बादामी रंग के दाने बन जाते हैं। बीमारी कम करने के लिए खेत को साफ रखें और फसली चक्र अपनायें। यदि इस बीमारी का हमला दिखे तो मैटालैक्सिल+मैनकोजेब 2 ग्राम को प्रति लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें। 10 दिनों के अंतराल पर तीन स्प्रे करें।

पत्तों पर धब्बे और झुलस रोग:

बीमारी आने पर इसकी रोकथाम के लिए 20 मि.ली. स्टिकर के साथ मैनकोजेब या कॉपर आॅक्सीकलोराइड 300 ग्राम को 150 लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें।

आॅल्टरनेरिया पत्तों के धब्बा रोग:

सुबह के समय प्रभावित पत्तों को निकाले और जला दें और टैबूकोनाजोल 50 प्रतिशत + ट्रिफ्लोक्सीट्रोबिन 25 प्रतिशत 120 ग्राम की प्रति एकड़ में स्प्रे करें या मैनकोजेब 2 ग्राम या कार्बेनडाजिम 1 ग्राम को प्रति लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें।