भारत में 0.23 मिलियन हेक्टेयर में संरक्षित खेती : कुलपति

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जयपुर (सच कहूं न्यूज)। श्री कर्ण नरेंद्र कृषि महाविद्यालय (SKN AGRICULTURE UNIVERSITY) में आरकेवीवाई-30 के तहत “बागवानी फसलों में गुणवत्तापूर्ण रोपण सामग्री और बीज उत्पादन “विषय पर आयोजित सात दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का समापन हुआ । कार्यक्रम के मुख्य अतिथि कुलपति डॉ. बलराज सिंह ने “संरक्षित खेती के माध्यम से संकर बीज उत्पादन विषय पर बात की। उन्होंने बताया कि वर्तमान समय में किसान ज्यादातर संकर कद्दू वर्गीय सब्जियां ही उगा रहे हैं। साथ ही उन्होंने फसल व सब्जी उत्पादन पर जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों की भी बात की। Rajasthan News

डॉ. बलराज सिंह (Vice Chancellor Dr. Balraj Singh) ने बताया कि ओपन फील्ड में संकर बीज उत्पादन में काफी समस्या आती है जिसमें अधिक तापमान, कीट व बीमारियां, खरपतवार आदि शामिल हैं। डॉ. बलराज सिंह ने बताया कि भारत में 0.23 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र पर संरक्षित खेती की जा रही है जिसमें से 60% क्षेत्र पर सब्जियां, 3% क्षेत्र पर फल व 35% क्षेत्र पर ओर्नामेंटल क्रॉप्स का उत्पादन किया जा रहा है।

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डॉ. बलराज सिंह ने बताया कि संरक्षित खेती में बीज उत्पादन ओपन फील्ड की बजाय 3-5 गुना अधिक होता है। संरक्षित खेती में फसलों को विभिन्न प्रकार के जैविक व अजैविक कारकों के दुष्परिणामों से भी बचाया जा सकता है। डॉ. बलराज सिंह ने बताया की इस प्रशिक्षण के उपरांत विद्यार्थी नर्सरी व्यवसाय शुरू कर सकते हैं व अन्य लोगों को भी रोजगार उपलब्ध करवा सकते हैं। साथ ही उन्नत बीज उत्पादन कर किसानों की भी मदद कर सकते हैं।

अधिष्ठाता एवं संकाय अध्यक्ष डॉ. एमआर चौधरी ने वेजिटेबल सीड प्रोडक्शन पर बात करते हुआ बताया कि 1961-62 में सब्जियों का उत्पादन 23.4 मिलियन टन था जो 2023-24 में बढ़ कर 212 मिलियन टन हो गया है। साथ ही उन्होंने बताया कि राजस्थान में वेजिटेबल सीड प्रोडक्शन क्षेत्र 5250 हेक्टेयर है व उत्पादन 33250 क्विंटल है। इस दौरान प्रशिक्षण में भाग लेने वाले विद्यार्थियों को प्रमाण पत्र दिए गए। Rajasthan News

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कार्यक्रम के सह आयोजक डॉ. ओपी गढ़वाल ने बताया कि प्रशिक्षण के माध्यम से उन्नत बीज उत्पादन से भविष्य में आय के साधन उत्पन्न करने में किया जा सकता है। डॉ. एसपी सिंह ने बताया कि इस प्रकार के प्रायोगिक प्रशिक्षण विद्यार्थियों में कौशल विकास करने में सहायक होते हैं। कार्यक्रम सचिव डॉ. बीएस बधाला ने बताया कि कार्यशाला में 248 विद्यार्थीयों ने भाग लिया। कार्यक्रम के सह आयोजक डॉ. राजेश सिंह व डॉ पुष्पा उज्जैनिया ने बताया की कार्यक्रम का उद्देश्य छात्रों को प्रायोगिक शिक्षा देकर स्वयं का व्यवसाय शुरू करने के लिए उचित दक्षता विकसित करना है।

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