ठेका प्रथा के विरोध में फिर गरजे पंजाब रोडवेज, पनबस और पीआरटीसी कर्मी

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बस स्टैंड लुधियाना में गेट रैली कर सरकार व विभाग के खिलाफ नारेबाजी करते कच्चे कर्मचारी

मांगें पूरी न होने पर विरोध स्वरुप तीन दिन तक बसों का चक्का जाम करने की धमकी दी

लुधियाना (सच कहूँ/जसवीर सिंह गहल)। पंजाब रोडवेज, पनबस और पीआरटीसी ग्रुप डिपो में कच्चे तौर पर काम करने वाले कर्मचारियों ने सरकार द्वारा उनकी मांगें पूरी न किए जाने के विरोध में 14 से 16 अगस्त तक बसों का चक्का जाम करने की चेतावनी दी है। Punjab News

शुक्रवार को कच्चे कर्मचारियों ने लुधियाना बस स्टेंड के सामने गेट रैली की। इस दौरान लुधियाना डिपो के गेटकीपर प्रवीन कुमार, दलजीत सिंह ने कहा पंजाब में ठेकेदारी प्रथा लागू है। उन्हें विभाग में काम करते हुए वर्षो हो गए। बहुत से कर्मचारी पिछले 10 से 15 वर्षों से काम कर रहे हैं। कर्मचारियों पर कोई भी सिविल सेवा नियम लागू नहीं होता है, राजकोष से वेतन नहीं मिलता है। पिछली सरकारों की तरह आम आदमी पार्टी की सरकार भी धोखा दे रही है। सरकार बनने के बाद से ही हम रुके हुए हैं। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान के साथ कई बैठकें हुई। Punjab News

हमें आश्वासन दिया गया था कि परिवहन विभाग के कर्मचारियों की सभी मांगों को जल्द ही हल किया जाएगा। लेकिन आज तक कुछ नहीं हुआ। उल्टा, अब निजी मालिकों की बसों को किलोमीटर स्कीम और ठेकेदारी प्रणाली के तहत लाया जा रहा है, उन्हें आउटसोर्स आधार पर बहुत कम वेतन पर भर्ती किया जा रहा है। जिससे दिन-रात की मेहनत से घर का खर्च भी नहीं चल पाता है। Ludhiana News

ऐसे में अगर सरकार दो दिन के भीतर उनकी मांगों का समाधान नहीं किया, तीन दिनों तक बसों का चक्का जाम करने के साथ साथ स्वतंत्रता दिवस पर जहां भी मुख्यमंत्री, परिवहन मंत्री ध्वजारोहण करेंगे, वहां संगठन की ओर से विरोध प्रदर्शन किया जाएगा और ठेकेदारी प्रथा की गुलामी हटाने के बारे में सवाल पूछे जाएंगे। इसकी जिम्मेदारी प्रबंधन और सरकार की होगी।

कच्चे मुलाजिमों की मांगे | Punjab News

  • सरकार को सिविल सेवा नियमों के तहत पनबस, पीआरटीसी कर्मचारियों की नियुक्ति करनी चाहिए।
  • सरकार को सभी वर्गों के लिए समान कार्य समान वेतन लागू करना चाहिए और पांच प्रतिशत वेतन वृद्धि सहित वेतन में एकरुपता लानी चाहिए।
  • किलोमीटर स्कीम की बसें बंद की जाएं और पंजाब के अनुपात के अनुसार कम से कम 10 हजार सरकारी बसों की व्यवस्था की जाए।
  • बर्खास्त कर्मचारियों को बहाल करे, सिविल सेवा नियम लागू करे।
  • परिवहन माफिया को खत्म करें, सरकारी बसों के पक्ष में समय सारिणी बनाएं, सरकारी बसों और सरकारी नौकरियों की व्यवस्था करें।

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