सफेद हाथी बनी शहर की ट्रैफिक लाईटें

Traffic Lights in Sirsa

पिछले 6 सालों से प्रशासन उदासीन, वाहन चालक परेशान

सरसा (सच कहूँ न्यूज)। शहर में बढ़ती वाहनों की संख्या को बेहतर तरीके से संचालित करने के उद्देश्य से करीब 23 वर्ष पूर्व शहर में ट्रैफिक व्यवस्था को आधुनिक स्वरूप देने के उद्देश्य से लगाई गई ट्रैफिक लाइटें वर्तमान में सफेद हाथी साबित हो रही हैं। स्थिति की गंभीरता को इसी बात से समझा जा सकता है कि शहर के किसी भी कोने में स्थापित कोई भी ट्रैफिक लाइट रोशन नहीं है, जिसके चलते वाहन चालकों को दिक्कतों से दोचार होना पड़ रहा है। इससे भी अधिक गंभीर यह है कि जिला प्रशासन इस दिशा में मूकदर्शक है। करीब 23 वर्ष पूर्व सरसा शहर के जिन स्थानों पर ट्रैफिक लाइटें स्थापित की गई उनमें लालबत्ती चौक, सांगवान चौक, भूमणशाह चौक, सतनाम सिंह चौक व अंबेडकर चौक मुख्य तौर पर शामिल है।

आरंभिक चरण के अलावा उपरोक्त 23 साल की अवधि के बीच कभी कभी ट्रैफिक लाइटों का रोशन होना शहरवासियों की खुशकिस्मती थी मगर अब ये किस्मत पिछले करीब 6 सालों से पूरी तरह से शहर के वाहन चालकों से रूठी हुई है। शासन प्रशासन के संज्ञान में होने के बावजूद इस दिशा में कोई कदम न उठाया जाना प्रमाणित करता है कि जनता को यातायात के नियमों के प्रति जागरूक करने के मामले को कितनी गंभीरता से लिया जाता है। शहर के उपरोक्त चौकों पर स्थापित लाइटों के बंद रहने से लोगों को अपनी गाड़ी लेकर शहर में आने से डर लगता है। वैसे तो पैदल यात्रियों के लिए किसी भी चौक को पार करना कठिन है लेकिन ट्रैफिक लाइटों वाले चौकों पर लगे जाम के कारण इन यात्रियों को सबसे अधिक परेशानी होती है। चौकों का प्रयोग प्राइवेट वाहन सवारियां उठाने के लिए धड़ल्ले से करते हैं जो ट्रैफिक जाम की समस्या को और अधिक विकट बनाने की आग में घी का काम करते हैं।

इन स्थानों पर स्थिति अति विकट

अंबेडकर चौक, लालबत्ती चौक, सांगवान चौक एक ही रूट पर स्थित हैं और विडंबना है कि जाम की समस्या से यही चौक सबसे अधिक प्रभावित हैं क्योंकि विभिन्न बाजारों में जाने के लिए व डबवाली, रानियां व ऐलनाबाद जाने के लिए इन चौकों के अतिरिक्त कोई भी वैकल्पिक व्यवस्था नहीं है। हालांकि प्रशासन की ओर से बसों के लिए सिविल अस्पताल रोड से रानियां व ऐलनाबाद जाने के लिए वैकल्पिक व्यवस्था की है लेकिन इसका इन चौकों की ट्रैफिक व्यवस्था पर कोई विशेष सकारात्मक प्रभाव धरातल पर नजर नहीं आता।

निरंतर हो रहे हादसे

इन ट्रैफिक लाइटों के खराब होने से आए दिन कोई न कोई हादसा इन चौकों पर होता रहता है। इसके लिए जिला पुलिस कई बार नगरपरिषद् प्रशासन को इस समस्या से अवगत करवा चुकी है। मगर अब तक यह लाइटें ठीक नहीं हुई हंै। लोगों ने भी बार-बार प्रशासन को पत्र लिखे हैं पर किसी ने भी सुनवाई नहीं हुई। ट्रैफिक पुलिस के मुताबिक इन ट्रैफिक लाइटों के खराब होने से यातायात संभालने में काफी दिक्कत होती है। आए दिन चौक-चौराहों पर जाम लग जाता है। हादसा होने का डर भी बना रहता है। अगर ये लाईटें काम करेंगी इस प्रकार की कोई दिक्कत नहीं होगी। अक्सर इन चौकों पर पुलिस और वाहन चालकों की झड़प होती रहती है। ट्रेफिक पुलिस का मानना है कि यदि ट्रैफिक लाइटें काम करने लगें तो एक या दो पुलिस कर्मचारी ही एक चौक की व्यवस्था को संभाल सकते हैं अन्यथा ट्रैफिक व्यवस्था को संभालना काफी कठिन कार्य है।

अभी तक नहीं लगा है टेंडर

प्रशासन की निष्क्रियता का प्रमाण इसी बात से लगाया जा सकता है कि लगभग तीन वर्ष पूर्व ट्रैफिक लाइट की मरम्मत कार्य को लेकर टेंडर जारी किया गया था लेकिन अभी तक न तो टेंडर लग पाया है और न ही अन्य लाइटें ठीक हो पाई हैं। सरकारी नियमावली के मुताबिक ट्रैफिक लाइटों के सक्रिय रहने के समय तय होता है लेकिन अभी तक प्रशासन व नगरपरिषद् यह तय नहीं कर पाए कि क्या इन लाइटों का समय पूरा हो चुका है। यदि इन चौकों की ट्रैफिक लाइटों को बदलने का समय आ गया है तो इन्हें बदलने के लिए प्रशासनिक दुविधा क्या है? प्रशासन को चाहिए कि वे इन टैÑफिक लाइटों की ठंडे बस्ते में पड़ी फाईलों पर जमी धूल को साफ करे और ट्रैफिक लाइटों को शीघ्र बदलने की कवायद के लिए कदम उठाए।

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