इंदिरा गांधी की गिरफ्तारी

Indira Gandhi
Indira Gandhi Jayanti

तीन अक्टूबर 1977 को पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को गिरफ्तार किया गया था। (Indira Gandhi) उन पर चुनाव प्रचार के लिए जीप की खरीदी में भ्रष्टाचार का आरोप था। कहा गया कि 1977 के लोकसभा चुनाव के दौरान रायबरेली में इंदिरा के लिए 100 जीपें खरीदी गई थीं। इनका भुगतान कांग्रेस ने नहीं बल्कि उद्योगपतियों ने किया था। साथ ही सरकारी पैसे का भी इस्तेमाल किया गया था। उस समय मोरारजी देसाई के नेतृत्व में जनता पार्टी की सरकार थी और गृहमंत्री चौधरी चरण सिंह थे। माना जाता है कि इमरजेंसी में जिस तरह इंदिरा गांधी ने विरोधियों को परेशान किया, उनसे कई नेता नाराज थे। वे चाहते थे कि जिस तरह उन्हें जेल भेजा गया, वैसा ही इंदिरा के साथ भी किया जाए।

चरण सिंह तो इसके लिए अड़ ही गए थे, जबकि मोरारजी देसाई कोई भी गैरकानूनी कदम नहीं उठाना चाहते थे। तब, 3 अक्टूबर को इंदिरा गांधी के खिलाफ सीबीआई ने एफआईआर दर्ज की और गिरफ्तार भी किया। उन्हें बड़कल लेक गेस्ट हाउस में हिरासत में रखना था, लेकिन उन्हें किंग्सवे कैम्प की पुलिस लाइन में बनी आॅफिसर्स मेस में रखा गया। 4 अक्टूबर की सुबह मजिस्ट्रेट कोर्ट में पेश किया तो सामने आया कि इंदिरा के खिलाफ कोई सबूत नहीं है। तब तकनीकी आधार पर उन्हें बरी कर दिया गया। जनता पार्टी की इस राजनीतिक भूल को ‘आॅपरेशन ब्लंडर’ कहा जाता है। इंदिरा को इसका नुकसान नहीं बल्कि फायदा हुआ। इमरजेंसी लगाने के कारण जनता में इंदिरा के खिलाफ गुस्सा था। जनता सरकार के इस कदम की वजह से इंदिरा के खिलाफ गुस्सा सहानुभूति में बदलने लगा। इसका असर 1980 के चुनावों में दिखा। जब इंदिरा ने फिर से सत्ता में वापसी की।

वाजपेयी के नेतृत्व में एनडीए की सरकार

21 अन्य पार्टियों के साथ भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने 545 में से 296 लोकसभा सीटों पर जीत हासिल कर बहुमत हासिल किया। कांग्रेस को 114 सीटें मिली थीं। अटलजी के नेतृत्व में पहली बार किसी गठबंधन सरकार ने पांच साल पूरे किए। इसके बाद 2004 से 2014 तक मनमोहन सिंह के नेतृत्व में यूपीए की सरकार ने देश पर शासन किया।

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