सुनाओ एक ऐसी कहानी

Tell such a story
बद्रीपुर गांव में बुद्धराम नाम का एक किसान रहता था। बुद्धराम मितभाषी, परिश्रमी और नम्र स्वभाव का था। उसकी पत्नी का नाम लाली था। लाली तेज तर्रार स्त्री थी। यह बोलती बहुत थी। गांव के बाहर मुख्य मार्ग पर बुद्धराम की पत्नी लाली ने एक छोटी-सी झोंपड़ी डाल रखी थी। जब बुद्धराम हल बैल लेकर खेतों पर चला जाता तो लाली झोंपड़ी में आकर बैठ जाती और आते-जाते लोगों को आमंत्रित करती कहती – एक रुपए के बदले दो रुपए लो।
सुनकर राहगीर रूक जाता और आकर लाली से एक के दो कमाने का तरीका पूछता। लाली कहती-तुम मुझे एक कहानी सुनाओ, ऐसी कहानी जो- मैंने पहले कभी न सुनी हो।
यदि तुम कहानी सुनाने में सफल हुए तो मैं तुम्हें दो रुपए दूंगी, नहीं तो तुम मुझे एक रूपया देना। जिसके बारे में तुम न जानते हो परन्तु कहानी सच्ची हो। ऐसी कहानी भला कौन सुनाता? भूले भटके, अगर कोई कहानी सुनाने की चेष्टा करता भी तो वह लाली की शर्तों पर खरी नहीं उतरती थी। वह एक रूपया ऐंठ लेती थी। लाली अपने आपको बड़ी बुद्धिमान और चतुर मानकर घमंड करने लगी थी।
एक बार पड़ोस के गांव श्यामपुर से एक युवक बद्रीपुर आया। उसका नाम मणिपाल था। बद्रीपुर उसके नाना-नानी का गांव था। मणिपाल शिक्षित और बुद्धिमान था। तीन-चार दिन नाना-नानी के पास रहकर वह अपने गांव श्यामपुर लौट रहा था। गांव के बाहर तक छोड़ने के लिए मणिपाल का मामा साथ आ रहा था। गांव के बाहर झोंपड़ी में बैठी लाली मणिपाल को देखकर बोली- कहानी सुनाओ, एक के दो कमाओ।
मणिपाल ने मामा से पूछा- मामा, यह स्त्री क्या कह रही है? मामा ने उसे सारी बात बता दी और कहा- कोई भी ऐसी कहानी इसे नहीं सुना पाता। जो प्रयत्न करने पर असफल हो जाता है तो यह उससे एक रूपया रखवा लेती है। न नुकर करने पर बेइज्जती करने लगती है। इसका पति तो सज्जन पुरूष है परन्तु यह बड़ी कर्कश स्त्री है।
मामा, मैं इसे ऐसा सबक सिखाऊंगा कि भविष्य में यह किसी से भी मुंह नहीं मारेगी। आओ मेरे साथ, कहकर मणिपाल झोंपड़ी की ओर चल पड़ा। मामा ने मणिपाल को व्यर्थ के चक्कर में न पड़ने की सलाह दी लेकिन वह नहीं माना और लाली के पास आकर उससे एक के दो कमाने की शर्त पूछी। लाली ने कहानी की शर्त बताई।
बद्रीपुर मेरा नानका है। आपके पति मेरे मामा के भाई समान हुए, इसलिये वे भी मेरे मामा जैसे हुए और आप मेरी मामी जैसी हुर्इं। मणिपाल ने लाली से कहा। लाली तुनकते हुए बोली- हां, हां, रिश्तेदारी छोड़ो। दो रुपए चाहते हो तो कहानी सुनाओ।  मणिपाल ने कहा- कहानी तो मैं सुनाऊंगा ही। पहले यह बताओ कि आपके पति, मेरे मामा इस समय कहां हैं?
लाली ने सीधे स्वभाव से उत्तर दिया-खेत पर गए हैं?
खेत पर गए हैं? आश्चर्य प्रकट करते हुए मणिपाल ने कहा- भोली मामी, वाकई तुम बड़ी भोली हो। भला खेत पर मामा क्या करने गए होंगे। खेतों की बुआई तो खत्म हो चुकी है। जानती हो वे कहां जाते हैं। वे खेतों का बहाना बनाकर रोज श्यामपुर जाते हैं, अपनी महिला मित्र के पास। बड़ी सुंदर है दूसरी मामी।
औरत सब कुछ सहन कर लेती है लेकिन सौतन को कभी सहन नहीं करती। जब उसने पति की दूसरी बीवी के बारे में सुना तो उसका तन बदन जल उठा और सोचने समझने की शक्ति समाप्त हो गई। सच्चाई जानने के लिए वह श्यामपुर की तरफ चल पड़ी। लाली के चले जाने के बाद मणिपाल ने मामा से बुद्धराम के खेत का पता पूछा। वह छोटे रास्ते से बुद्धराम के पास पहुंचा। उस समय बुद्धराम खेतों से कबाड़ा निकाल रहा था। उसने बुद्धराम से कहा- आपकी पत्नी पागल है, क्या?
नहीं तो, वह पागल कहां है? वह तो औरों को पागल बनाती है। बुद्धराम ने कुर्ते की बांह से पसीना पोंछते हुए कहा।
लेकिन वह तो चीखती चिल्लाती, सिर के बाल बिखेरे उन्हें नोचती हुई श्यामपुर की ओर भागी जा रही है। मणिपाल ने कहा।
अच्छा, ऐसा है कहकर बुद्धराम काम छोड़कर पत्नी की खोज में श्यामपुर की तरफ चल पड़ा। मणिपाल अपने मामा को लेकर बुद्धराम के घर पहुंचा। कच्ची र्इंटों से बने दो कमरे थे। मणिपाल ने दरवाजे की कुंडी खोलकर अंदर प्रवेश किया। दोनों कमरों की लम्बाई-चौड़ाई को नापा और एक कागज पर लिखकर जेब में रख लिया। मामा को उसने घर भेज दिया और स्वयं अंदर से कमरा बंद करके सोने की तैयारी करने लगा।
श्यामपुर से लाली वापस लौट रही थी, तभी रास्ते में उसे बुद्धराम मिल गया। जब दोनों ने आपस में बातचीत की तो पता चला कि उनके साथ किसी ने धोखा किया है। दोनों घर की तरफ चल पड़े।
जब घर आये तो दूसरी मुसीबत खड़ी थी। घर का दरवाजा अंदर से बंद था। लाली ने दरवाजा जोर-जोर से पीटा तो मणिपाल ने नींद से जागकर दरवाजा खोलने का अभिनय करते हुए कहा-आप लोग कौन हैं? अपने ही घर में घुसे हुए एक अजनबी को ऐसा प्रश्न पूछते हुए देखकर पति-पत्नी चकित होकर एक दूसरे का मुंह ताकने लगे। लाली का पारा चढ़ गया। वह चीख उठी-अरे तूं बता कि तूं कौन है। पहले झूठ बोलकर तूने पति पत्नी के संबंधों में दरार डालने की कोशिश की और अब हमारे घर में घुसकर हम से ही पूछ रहा है कि हम कौन हैं? मणिपाल ने कहा- मैंने आप लोगों को एक माह के लिये ठौर दिया था। तुम लोग तो उस पर कब्जा करके अपना स्वामित्व ही जता रहे हो। इसका फैसला तो गांव का मुखिया ही करेगा। आओ उसके पास चलते हैं।
मणिपाल, बुद्धराम और उसकी पत्नी मुखिया की हवेली पर पहुंचे। मणिपाल ने मुखिया से कहा- मुखिया जी, मैं व्यवसाय के संबंध में एक माह के लिए गांव से बाहर गया था। इन दोनों को परिचित समझ कर अपना मकान एक माह के लिये इन्हें सौंप गया था। अब ये लोग मेरे मकान को अपना बना रहे हैं। यदि मकान इनका है तो इनसे पूछिए कि इन्होंने भवन का निर्माण लंबाई-चौड़ाई नापकर किया होगा।
इनसे घर का नाप बताने को कहिए। मुखिया ने दावे की पुष्टि के लिए पति-पत्नी से मकान की लंबाई चौड़ाई के विषय में पूछा तो दोनों अवाक एक दूसरे का मुंह ताकने लगे। मणिपाल ने मकान की जो लंबाई-चौड़ाई मुखिया को बताई, वह बिल्कुल सही थी। मुखिया ने निर्णय दिया कि मकान का वास्तविक मालिक मणिपाल है। मुखिया के निर्णय से पति-पत्नी बड़े दु:खी हुए। उनकी दयनीय दशा देखकर मणिपाल ने बुद्धराम की पत्नी से हंसते हुए पूछा-अब बताओ मामी कि तुम्हारी कहानी वाली शर्त पूरी हुई कि नहीं? जो कहानी मैंने चलाई है, वह तुमने कभी सुनी नहीं होगी। इसके शुरू होने के पहले मैं भी इसके बारे में कुछ नहीं जानता था। यह इतने सारे लोगों के सामने घटी है। ऐसी ही कहानी की बात तो आप आज तक करती आ रही थी। अब तुम्हारी इच्छा पूर्ण हो गई।
मुझे अब दो रुपए दीजिए। मणिपाल ने सारा किस्सा सच-सच मुखिया को बता दिया और बुद्धराम और उसकी पत्नी को घर सौंपते हुए कहा-मामी, अब किसी से ऐसी कहानी की मांग न करना? लाली की आंखों में आंसू थे। उसने भविष्य में ऐसा न करने की स्वीकृति में गर्दन हिला दी।

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