इन्सान का पहला मकसद परमानंद को प्राप्त करना : पूज्य गुरु जी

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शाह सतनाम जी धाम में हुआ साप्ताहिक नामचर्चा का आयोजन

  • संगरिया ब्लॉक ने जरूरतमंद महिला को सौंपी मकान की चाबियां

  • दो नवयुगल डेरा सच्चा सौदा की मर्यादानुसार विवाह बंधन में बंधे

सच कहूँ/सुशील कुमार सरसा। रविवार को साप्ताहिक नामचर्चा में डेरा सच्चा सौदा की साध-संगत ने सतगुरु की महिमा का गुणगान किया। शाह सतनाम जी धाम में आयोजित नामचर्चा दौरान पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की पावन रहनुमाई में चलाए जा रहे 135 मानवता भलाई कार्यों में ‘आशियाना मुहिम’ के तहत राजस्थान के ब्लॉक संगरिया, जिला हनुमानगढ़ (राजस्थान) की साध-संगत ने ममता पत्नी सचखंडवासी कृष्ण कुमार को बनाकर दिए गए मकान की चाबियां सौंपी। वहीं दो नवयुगल डेरा सच्चा सौदा की मर्यादानुसार दिलजोड़ माला पहनाकर विवाह बंधन में बंधे। इस दौरान साध-संगत ने कोरोना के मद्देनजर सरकार और प्रशासन द्वारा निर्धारित मास्क लगाना, सोशल डिस्टेसिंग, थर्मल स्कैनिंग और सेनेटाइजेशन सहित सभी नियमों का पूर्णत: पालन किया।

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इस अवसर पर बड़ी स्क्रीन के माध्यम से पूज्य गुरु जी के अनमोल वचन चलाए गए। रिकॉर्डिड वचनों में पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि हर इन्सान के लिए ये दो बातें जानना बहुत जरूरी है कि हमारा मकसद क्या है? और हम कर क्या रहे हैं? जब तक ये ही नहीं पता कि हमें यहां आकर क्या करना था, तो कैसे पता चलेगा कि आप सही कर रहे हो या गलत।

आपजी ने फरमाया कि अगर सभी धर्मों का सार, निचोड़ आपको बताएं तो धर्मों में लिखा है कि इन्सानी शरीर का जो मकसद है, वो है जन्म मरण का चक्कर खत्म करना, मृत्यु लोक में उस भगवान, अल्लाह, वाहेगुरु, राम के दर्शन करना और इस घोर कलियुग में रहते हुए परमानंद की प्राप्ति करना। खुशियों से मालामाल जिन्दगी जीना। इसके साथ-साथ आपका फ़र्ज बनता है कि सुबह सवेरे उठो, फ्रैश हो जाओ। इसके बाद एक घंटा परमात्मा का नाम जरूर जपो। सुबह का समय 2 से 5 बजे सबसे अच्छा समय माना गया है। क्या वैज्ञानिक, क्या धर्मों के अवतार, गुरु, पैगम्बर सभी ने यही बताया है। इस समय को अलग-अलग धर्मों और बोलियों में अलग-अलग नाम दिए गए हैं। हिन्दु धर्म के अन्दर सुबह के समय को ब्रह्ममूहर्त या ब्रह्ममूहर्ता नाम दिया है।

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क्ख धर्म के अन्दर अमृत वेला, इस्लाम धर्म के अन्दर बांग-ए-वक्त, इलाही-ए-वक्त या फ़र्ज कहा गया है और इंग्लिश फकीरों ने द् गॉड्स प्रेयर टाइम, द् गॉड्स प्रेयर इंडियन टाइम कहा है। यानि भक्ति के लिए सबसे अच्छा वक्त सुबह 2 से 5 बजे का है। साइंसदान कहते हैं कि सुबह 2 से 5 बजे के बीच जागो जरूर, हो सके तो मैथड आॅफ मेडिटेशन करो, क्योंकि इस वक्त में आॅक्सीजन की मात्रा ज्यादा और शुद्ध होती है। लेकिन ख्याल रखना चाहिए कि अगर आप 2 बजे जागते हो तो ये जरूरी है आप रात को 10 बजे गहरी नींद में सो जाएं।

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सुबह 3 बजे जागते हो तो भी रात को 10-11 बजे गहरी नींद में चले जाओ। कहने का मतलब 2 से 5 बजे के बीच जब भी जागो, उससे पहले कम से कम 4 से 6 घंटे नींद जरूर ले लो। ये न हो कि आप उठें, बजाय फ्रैश मांइड के टैंस माइंड हों। बहुत ज्यादा आप थकावट महसूस करें। बहुत सारी परेशानियां चल रही हों। नींद के मारे जब सुमिरन पर बैठोगे तो नींद के झूटे ज्यादा आएंगे, मालिक की रहमत के तो आने ही नहीं। बस टाइम पास हो जाता है। कई कहते हैं कि हम बैठते तो हैं, लेकिन ये नहीं पता चलता कि सुमिरन चलता है कि नहीं। चलता तो होगा ही, मालिक के नाम सुमिरन या फिर खर्राटा सुमिरन।’

पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि जब समय दे रहे हो परमात्मा को तो वो वक्त पूरी तरह परमात्मा को ही दो। जब व्यक्ति सुबह सवेरे नाम जपने बैठता है, वाकई अगर वो नाम जपता है तो उसे सोझी उस वक्त तक रहती है जब तक आत्मा दसवें द्वार तक प्रवेश न कर जाए। उतनी देर तक ये वर्णात्मक नाम, कलमा, मैथड आॅफ मेडिटेशन, नाम शब्द लगातार जुबान के साथ जपना पड़ता है, ख्यालों के साथ इसका जाप करना पड़ता है। फिर अंदर से हम अजाप शब्द के साथ जुड़ जाते हैं, धुर की वाणी के साथ जुड़ जाते हैं। जब उसके साथ जुड़ जाते हैं तो फिर हमें न तो बोलना पड़ता है और न ही बोलने से हमें खुद को रोकना पड़ता है। आॅटोमैटिकली आपकी जुबान और विचार रुक जाएंगे। क्योंकि आपका ध्यान एकाग्र होगा और धुर की वाणी, बांग-ए-इलाही के साथ ऐसे जुड़ोगे कि ऐसा नजारा आएगा, ऐसी मस्ती आएगी जो कि लिख बोलकर वर्णन नहीं हो सकती। नामचर्चा की समाप्ति पर साध-संगत ने सुमिरन किया। वहीं आई हुई साध-संगत को कुछ ही मिनटों में लंगर-भोजन खिला दिया गया।

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