पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां के एक आह्वान पर पूरे विश्व में पर्यावरण व धरती को बचाने में जुटे करोड़ों श्रद्धालु | World Ozone Day
‘‘आने वाला समाज रोग मुक्त हो, लोगों को रोगों से आजादी मिले और हमारा पर्यावरण स्वच्छ हो, इसके लिए अधिक से अधिक पौधे लगाएं। प्रदूषण रहित हमारा भारत ‘गुरु देश’ के रूप में पूरे विश्व में उभरे तथा ‘गुरु देश’ कहलाए, हमारा ये ही सपना है। आपके बच्चे साथ दें न दें, पौधे आपका साथ जरूर देंगे। पेड़ पौधे आपका ही नहीं बल्कि आने वाली पीढ़ियों का भी भला करेंगे। पौधों का बच्चों की तरह पालन-पोषण करें।
-पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां।
वायुमंडल में ओजोन परत को बचाने के लिए रोपित किये जा चुके करोड़ों पेड़-पौधे
कोरोना संक्रमण के दौरान बेशक पूरे विश्व में लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ा हो, लेकिन कहीं-न-कहीं कोरोना काल के दौरान हमारी ‘प्राकृतिक’ व ‘धरा’ को संजीवनी के रूप में राहत भी मिली हैं। लॉकडाउन से वायुमंडल में हानिकारक उत्सर्जन घट गये और ओजोन परत में बढ़ते छेदों को छोटा कर दिया। लेकिन यह स्थाई हल नहीं है। आज भी जंगल कट रहे हैं, फसल अवशेष जलाए जा रहे हैं, लोग घरों की गंदगी निकाल कर नहरों, नदियों व तलाबों को प्रदूषित करने में जुटे हैं। आम इंसान को ये बातें गैर जरूरी लगती हैं, लेकिन ओजोन परत का सरोकार इंसान सहित हर प्राणी की सांसों से है।
ओजोन परत को इंसानों द्वारा बनाए गए कैमिकल्स से काफी नुक्सान होता है। इन जहरीले कैमिकल्स से ओजोन की परत पतली हो रही है। फैक्ट्री और अन्य उद्योगों से निकलने वाले कैमिकल्स हवा में फैलकर प्रदूषण फैला रहे हैं। ओजोन परत के बिगड़ने से जलवायु परिवर्तन हो रहा है। ऐसे में इस गंभीर संकट को देखते हुए जहां केन्द्र सरकार ने विशेष कदम उठाए हैं, वहीं डेरा सच्चा सौदा के पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां द्वारा भी एतिहासिक पहल की गई है। पूज्य गुरु जी ने न केवल विश्व स्तर पर पौधारोपण महाअभियान का आगाज किया है बल्कि धरा व देश की पवित्र नदियों को बचाने के लिए ‘हो पृथ्वी साफ, मिटे रोग अभिशाप’ महाअभियान चलाकर स्वच्छता की सौगात दी है।
5 करोड़ से अधिक लगाए जा चुके पौधे
- 33 शहरों, महानगरों व नदियों को दी जा चुकी स्वच्छता की सौगात
पूज्य गुरु जी की पावन रहनुमाई में पूरे विश्व में डेरा अनुयायियों द्वारा 5 करोड़ से अधिक पौधे लगाए जा चुके हैं। पौधारोपण के लिए डेरा सच्चा सौदा का नाम तीन बार गिनीज बुक आॅफ रिकॉर्ड में दर्ज हो चुके हंै। इसके साथ ही पूज्य गुरु जी ने गंदगी का दंश झेल रही पवित्र नदियों व शहरों को स्वच्छ बनाने का बीड़ा भी उठाया हुआ है। पूज्य गुरु जी द्वारा ‘हो पृथ्वी साफ, मिटें रोग अभिशाप’ महासफाई अभियान चलाकर लोगों को स्वच्छता अपनाने का संदेश दिया है। 21 सितंबर 2011 से अब तक 33 सफाई अभियान चलाए जा चुके हैं।
पूज्य गुरु जी की मुहिम लाई रंग
- लोगों ने छोड़ दिया एल्यूमिनियम व नॉनस्टिक के बर्तनों का इस्तेमाल
धरा की सुरक्षा व आमजन को बीमारियों से बचाने के लिए 31 मई 2015 को डेरा सच्चा सौदा में आयोजित रूहानी सत्संग के दौरान पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने साध-संगत को एल्यूमिनियम व नॉन स्टिक बर्तनों के दुष्प्रभावों बारे समझाते हुए इन बर्तनों का त्याग करके इनकी जगह स्टील, पीतल व मिट्टी के बर्तनों का प्रयोग करने का आह्वान किया था, पूज्य गुरु जी के एक आह्वान पर करोड़ों डेरा श्रद्धालुओं ने अपनी रसाई घर से इन बर्तनों को निकालकर मिट्टी के बर्तनों को स्थान दिया है। इतना ही नहीं पूज्य गुरु जी के आह्वान पर डेरा श्रद्धालु लोगों को भी एल्यूमिनियम व नॉन स्टिकी बर्तनों का इस्तेमाल न करने के लिए जागरूक कर रहे हैं।
खतरनाक अल्ट्रावॉयलेट किरणें धरती को पहुंचा रही नुक्सान
सूरज से निकलने वाली खतरनाक अल्ट्रावॉयलेट किरणें धरती को देखते देखते बर्बाद कर सकती है। लेकिन सूरज की हानिकारक पराबैंगनी किरणों को ओजोन की परत धरती की सतह पर पहुंचने से पहले ही 90 से 99 प्रतिशत तक रोक लेती हैं। पृथ्वी के वायुमंडल को 90 प्रतिशत ओजोन लेयर कवर करती है। जाहिर है हमारे रोजमर्रा के जीवन में ओजन की लेयर लगातार न केवल सुरक्षा कवच बनकर साथ देती है बल्कि धरती पर जीवन की रक्षा की गारंटी भी है।
लेकिन इस सुरक्षा कवच को धरती पर कोई और नहीं बल्कि खुद इंसान खराब करने में तुला हुआ है। एसी, फ्रिज, सुपरसोनिक और जेट विमान ऐसे तमाम चीजों की गतिविधियां हैं, जो ओजोन की परत को घातक तरह से नुकसान पहुंचाती हैं। जाहिर है हम आज भी नहीं संभले तो हमारे सुविधा संपन्न जीवन की कीमत आने वाली पीढ़ी चुकाएगी। आज विश्व ओजोन दिवस है, हम बताते हैं कि ऐसी कौन सी गतिविधियां हैं, जिन्हें हम समझना जरूरी है।
किसने की खोज
ओजोन परत की खोज 1913 में फ्रांस के भौतिकविदों फैबरी चार्ल्स और हेनरी बुसोन ने की थी। इनसे पहले भी वैज्ञानिकों ने जब सूर्य से आने वाले प्रकाश का स्पेक्ट्रम देखा तो उन्होंने पाया कि उसमें कुछ काले रंग के क्षेत्र थे तथा 310 एनएम से कम वेवलेंथ का कोई भी रेडिएशन सूर्य से पृथ्वी तक नहीं आ रहा था। वैज्ञानिकों ने इससे यह निष्कर्ष निकाला कि कोई ना कोई तत्व अवश्य पराबैंगनी किरणों को सोख रहा है, जिससे कि स्पेक्ट्रम में काला क्षेत्र बन रहा है तथा पराबैंगनी हिस्से में कोई भी विकिरण दिखाई नहीं दे रहे हैं।
ऐसे बनती है ओजोन परत
ओजोन गंधयुक्त गैस होती है जो हल्के नीले रंग की होती है। समतापमंडलीय ओजोन, पराबैंगनी किरणों और आॅक्सीजन अणुओं के बीच प्राकृतिक रूप से होने वाली रासायनिक अभिक्रिया से उत्पन्न होती है। सबसे पहले सौर पराबैंगनी किरणें एक आॅक्सीजन अणु को तोड़ती हैं और दो आॅक्सीजन परमाणु (2-ओ) बनाती हैं। अब प्रत्येक हाई रिएक्टिव आॅक्सीजन परमाणु (एटम) एक आॅक्सीजन अणु (मोलीक्यूल) के साथ जुड़ता है और एक ओजोन अणु (ओ 3) बनाता है।
दो प्रकार की होती ओजोन
ओजोन की गैस दो तरह की होती है। एक गैस जो धरती के ऊपर है वो बहुत अच्छी गैस होती है, जो हमें सूरज से निकलनेवाली खतरनाक किरणों से बचाती है। वहीं दूसरी गैस धरती के भीतर प्रदूषण के रूप में रहती है। धरती वाली ओजोन गैस नुकसानदायक होती है। इस गैस को रोकने की कोशिशें लगातार होते रहनी चाहिए। यदि समय रहते ओजोन परत को बचाने की कोशिशों को तेज नहीं की गई तो तो परिणाम भयानक हो सकते हैं, जिससे त्वचा कैंसर, आँखों में जलन के साथ वायुमंडल में तापमान में बढ़त होती है।
घातक हैं पराबैंगनी किरणें
पराबैंगनी किरणों के हानिकारक प्रभाव से स्किन कैंसर होता है। इन किरणों से त्वचा जल जाती है। इन किरणों के संपर्क में आने से इम्यून सिस्टम पर असर पड़ता है या नुकसान होता है। यूवी किरणों के लंबे समय तक संपर्क में रहने से आंखों के ऊतकों को नुकसान पहुंचता है और इससे आंखों की सतह का ह्यजलना’ हो सकता है, जिसे ‘स्नो ब्लाइंड’ कहा जाता है।
ऐसे कर सकते हैं संरक्षण में मदद
- वायु गुणवत्ता सूचकांक 400 तक पहुंच जाता है। इसमें बड़ा हिस्सा उद्योगों से निकलने वाले धुएं का रहता है। यह सूचकांक 50 से ऊपर नहीं होना चाहिए। ऐसा तभी होगा, जब केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा तय मानकों से अधिक प्रदूषण न फैले।
- एक लघु किसान न्यूनतम पांच लीटर व मध्यम किसान न्यूनतम 10 लीटर कीटनाशक का उपयोग कर रहा है। इस तरह हजारों लीटर कीटनाशक एक सीजन में उपयोग हो रहा है। इसकी खपत घटानी होगी।
- मध्यमवर्गीय परिवारों में भी एसी का उपयोग होता है। संपन्न लोग घर, वाहन आदि में दो से पांच एसी तक का उपयोग करते हैं। इनमें उपयोग होने वाली गैसें भी ओजोन परत को नुकसान पहुंचाती हैं। हालांकि, पूर्व की तुलना में ऐसी गैस का उत्पादन बंद कर दिया है।
- प्रत्येक परिवार अधिकतम 15 इलेक्ट्रॉनिक सामान उपयोग करते हैं। इनके बनाने के दौरान हानिकारक गैस व अवशेष निकलते हैं, जो नुकसान पहुंचाते हैं। जब इनके निष्पादन की बात आती है तो यह काम ठीक से नहीं किया जाता। यह काम और अधिक वैज्ञानिक ढंग से करने की जरूरत है।
- देश में मोबाइल समेत अन्य प्रकार के लाखों टॉवर हैं। इनमें कई तरह की तरंगों का इस्तेमाल होता है। विभिन्न अध्ययन से पता चलता है कि ये ओजोन को नुकसान पहुंचाती हैं। इनकी निगरानी कड़ाई से करने की जरूरत है।
- वृक्षों की कटाई ना करें, ज्यादा से ज्यादा वृक्षों को लगाने का प्रयास करना चाहिए। वृक्षों को बढ़ने में सहयोग करे।
- स्टायरोफोम के बर्तनों की जगह मिट्टी के कुल्हड़ों, पत्तलों, धातु या कांच के बर्तनों का प्रयोग करें। वहीं, पारंपरिक रुई के गद्दों एवं तकियों का प्रयोग करें, ताकि ओजोन परत सुरक्षित रहे।
- पेंट, वार्निश, डियोडरेंट, स्प्रे परफ्यूम, शेविंग क्रीम (झाग वाले) में सीएफसी का इस्तेमाल होता है। सीएफसी ओजोन लेयर को तोड़ता है।
पर्यावरण को स्वच्छ बनाए रखना हम सबके लिए जरूरी है। अगर आज हम एक पेड़ लगाते हैं तो उसका फल हमारे साथ हमारी अगली पीढ़ियों को भी मिलेगा। हमें उसका संरक्षण, पालन करना चाहिए। अपने जीवन में आने वाले हर आयोजन पर पेड़ लगाकर उस समय को यादगार बनाएं। हमारे इन प्रयासों से प्रकृति में बहुत सुधार होगा।
-राज सैनी, पर्यावरण पे्रमी, गुरुग्राम
हमें अपने बच्चों को पर्यावरण के साथ जोड़ना चाहिए। यह विषय हमारे संस्कारों में शामिल होना चाहिए। कंक्रीट के जंगलों के बीच जो पर्यावरण को नुकसान हुआ है, उसकी भरपाई करना भी बहुत जरूरी है। अगर हम वर्तमान में नहीं संभले तो भविष्य की तस्वीर हम कोरोना महामारी में देख चुके हैं।
-अमित गोयल, प्रदेश प्रमुख भारत-तिब्बत सहयोग मंच
पेड़-पौधे हमारे लिए शुद्ध वातावरण तैयार करने के साथ जीव-जन्तुओं के भी रक्षक होते हैैं। हर पेड़ के साथ कम से कम 100 अन्य जीव-जन्तु जुड़े होते हैं। पेड़ के चले जाने से उनका आशियाना भी खत्म हो जाता है। इसलिए ना केवल पेड़ों का पालन हमें करना चाहिए, बल्कि पर्यावरण में सुधार के लिए पेड़ों की संख्या लगातार बढ़ानी चाहिए।
-प्रो. राम सिंह, प्रसिद्ध जीव विज्ञानी, गुरुग्राम
पर्यावरण संरक्षण बहुत ही गंभीर विषय है। इस पर सिर्फ बात नहीं, जमीनी स्तर पर काम होना चाहिए। पर्यावरण को खराब करने में किसी न किसी रूप में हम सबकी भूमिका है। इसलिए इसके सुधार में भी हमारी भूमिका हो। मैं चाहता हूं कि हर एनजीओ, हर स्वयंसेवी संस्था, हर आरडब्ल्यूए, हर धार्मिक संस्था के साथ हर व्यक्ति अपने आसपास क्षेत्र को हरा-भरा करे।
-नवीन गोयल, प्रदेश प्रमुख, पर्यावरण संरक्षण विभाग भाजपा, हरियाणा
हमें हरियाली बढ़ाने पर जोर देना चाहिए। चाहे हम छोटे-छोटे पौधे घरों की छत पर लगाएं, अपने आंगन में या फिर खाली स्थानों पर। हमें प्रकृति के साथ जुड़े रहना चाहिए। हर छोटे से छोटा पौधा और बड़े से बड़ा पेड़ हमें पॉजिटिव ऊर्जा देता है। फल, फूल और छाया यह सब हमें पेड़ों से ही मिलता है। अन्य चीजों की तरह पर्यावरण के प्रति भी हमारा प्रेम गहरा होना चाहिए।
-पूनम सहराय, प्रकृति पे्रेमी, गुरुग्राम
प्रदूषित पर्यावरण की वजह से हम अनेक बीमारियों से जूझ रहे हैं। जिस तरह से पेड़ों की कटाई हो रही है, उससे लगातार पर्यावरण संबंधी समस्याएं खड़ी हो रही हैं। किसी कारण से पेड़ काटने पड़ते हैं तो उनके बदले हजारों पेड़ लगाने भी चाहिए। तभी जाकर हम पर्यावरण को संतुलित कर पाएंगे। सरकार को भी इस ओर कठोर नियम बनाने चाहिए।
-रितु कटारिया, मिसेज हरियाणा-2018, गुरुग्राम
-सच कहूँ/विजय शर्मा-जसविंद्र इन्सां
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