Tokyo Olympics : म्हारी छोरियां छोरो से कम है के…

Tokyo-Olympics

भारतीय हॉकी टीम के सेमीफाइनल में पहुंचने देशभर में खुशी की लहर

(Tokyo Olympics : Indian women’s Hockey Team)
  • कप्तान रानी रामपाल के घर मनाया गया जश्न

  • धर्मनगरी शाहाबाद से ओलंपिक में खेल रही तीन महिला खिलाड़ी

  • सेमीफाइनल में टीम इंडिया का सामना 4 अगस्त को अर्जेंटीना से होगा

सच कहूँ/देवीलाल बारना
कुरुक्षेत्र। ओलंपिक के इतिहास में पहली बार महिला हॉकी टीम में सेमीफाइनल में जगह बनाई है। भारतीय महिला हॉकी टीम तीन बार की विजेता टीत ऑस्ट्रेलिया को हराकर सेमीफाइनल में पहुंची है। सेमीफाइनल में पहुंचने के बाद देश भर में जश्न का माहौल है। हरियाणा के शाहाबाद में पूरा हर्षोल्लास है लोग टीवी के आगे बैठे हुए हैं और अपने इस कस्बे की तीन बेटियों की जीत की कामना कर रहे हैं। कहीं ढोल बजाए गए, कहीं मिठाइयां बांटी तो कहीं पटाखे भी चलाए गए हैं। टीम के प्रशंसकों ने कहा विश्व चैंपियन टीम को हराना गोल्ड जीतने के बराबर है।

अब टीम गोल्ड लाने के लिए मजबूत हो गई है। गौरतलब है कि हॉकी टीम की कप्तान रानी रामपाल का जन्म नाम रानी है लेकिन वह अपने पिता रामपाल से अधिक प्यार करती है इसलिए उसने अपने नाम में साथ रामपाल जोड़ लिया। शुरुआती मैच हारने के बाद आयरलैंड के खिलाफ करो या मरो वाला मैच था। इस मैच में टीम इंडिया ने पूरी ताकत झौंक दी। तभी चौथे क्वार्टर में भारतीय खिलाड़ी कुरुक्षेत्र की नवनीत ने पहला गोल किया। ये गोल विजयी गोल साबित हुआ और टीम ने जीत का शंखनाद किया।

कप्तान रानी रामपाल के पिता रामपाल ने सच कहूँ से बातचीत में कहा कि भारत की महिला हॉकी टीम सेमीफाइनल में पहुंच गई है यह बहुत ही खुशी की बात है। सबकी बेटियां इसी प्रकार से जीत हासिल करें आज बेटियां बेटों से ऊपर पहुंच चुकी हैं। रानी को सिवाय हॉकी के कुछ नजर नहीं आता इसी बात का नतीजा है कि आज भारत की टीम रानी रामपाल के कप्तानी में सेमीफाइनल में पहुंच चुकी है। उन्होंने कहा कि रानी बहुत मेहनत करती है। वह 8-8 महीने तक घर नहीं आती और प्रैक्टिस करती हैं। खुशी की बात है कि शाहाबाद की रानी रामपाल, नवजोत व नवनीत भी देश व प्रदेश का नाम रोशन कर रहीं हैं।

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रानी रामपाल की माता राममूर्ति ने कहा कि बहुत अच्छा लग रहा है जब देश के लिए उनकी बेटियां खेल रही हैं वह सेमीफाइनल में पहुंच चुकी है रानी सुबह साढे 4 बजे उठकर मैदान में पहुंच जाती है और लगातार प्रैक्टिस कर रही हैं आज उनकी मेहनत रंग ला रही है। आज शाहाबाद की तीनों बेटियों से सभी बच्चों को सीख लेने के लिए प्रेरणा मिल रही है वह मेहनत करने की प्रेरणा मिल रही है। कुरुक्षेत्र व कस्बा शाहाबाद में लड्डू व मिठाईयां बांटकर खुशी का इजहार किया जा रहा है।

तीन बेटियां शाहाबाद से

आॅस्ट्रेलिया को हराने वाली महिला हॉकी टीम की कप्तान रानी रामपाल समेत तीन खिलाड़ी हरियाणा के शाहाबाद से हैं। कुरुक्षेत्र जिले में स्थित शाहाबाद मारकंडा को ‘हरियाणा का संसारपुर’ कहा जाता है। (संसारपुर पंजाब में है और हॉकी के लिए मशहूर है)। शाहाबाद मारकंडा से ताल्लुक रखती रानी रामपाल ने छह साल की उम्र में हॉकी खेलना शुरू किया था। उनकी कप्तानी में टीम अपनी एक वैश्विक पहचान बना रही है। शाहाबाद से भारत को महिला टीम की पूर्व कप्तान ऋतू रानी, रजनी बाला, नवनीत कौर, ड्रैग फ्लिकर संदीप सिंह और संदीप कौर जैसे मशहूर हॉकी खिलाड़ी मिले हैं, पर इसके बावजूद रानी रामपाल का सफर बड़ा कठिन रहा है।

नवजोत व नवनीत भी बहा रहीं पसीना

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ओलंपिक खेल रहीं 26 साल की नवजोत कौर का जन्म 7 मार्च 1995 को उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में हुआ था। उनके पिता पेशे से मैकेनिक हैं और मां गृहिणी हैं। नवजोत कौर का बचपन से सपना था कोई बड़ा मुकाम हासिल करना है। उन्होंने कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी से अपनी शिक्षा प्राप्त की और शाहाबाद में बलदेव सिंह की अकादमी में हॉकी के लिए प्रशिक्षण लिया। अंडर-19 स्तर पर अपने पहले टूर्नामेंट में ही उन्होंने शीर्ष स्थान प्राप्त किया। उन्होंने भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए हॉकी के 100 से अधिक अंतर्राष्ट्रीय मैचों में हिस्सा लिया है।

ऑस्ट्रेलिया को पेनल्टी कॉर्नर मिला तो पिता की बढ़ी हार्ट बीट

नवनीत के पिता सतनाम सुबह से ही टीवी के आगे बैठे हुए थे। मैच के आखिरी 3 मिनट बड़ी दिक्कत से बीते। जब ऑस्ट्रेलिया को पेनल्टी कॉर्नर मिला तो उनकी हार्ट बीट बढ़ गई। उन्हें लगा कि अब मैच हाथ से चला गया और एक बार फिर आॅस्ट्रेलियाई टीम चैंपियनशिप की ओर बढ़ गई। हार्ट बीट बढ़ने से सतनाम ने टीवी बंद करके डॉक्टर को बुलाया। जब तक डॉक्टर आए, टीम इंडिया मैच जीत चुकी थी और सतनाम की हार्ट बीट नॉर्मल हो गई। वह फोन को हाथ में लिए बेटी की कॉल का इंतजार कर रहे थे। कुछ समय के बाद नवजोत की कॉल आ गई। नवजोत खूब हंसी और सतनाम सिंह की आंखों में खुशी के आंसू आ गए। उन्होंने आशीर्वाद दिया और बाद में बात करने को बोला। ज्यादा शोर होने के कारण बात ठीक से नहीं हो पाई। आखिर डॉक्टर बिना चेकअप ही लौट गए।

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