बोफोर्स घोटाला: एक बार फिर जांच के घेरे में सोनिया

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कांग्रेस के दामन पर सबसे बड़े ‘दाग’ है बोफोर्स घोटाला

New Delhi: कांग्रेस के दामन पर सबसे बड़े ‘दाग’ के रूप में जाना जाने वाला बोफोर्स घोटाला एक बार फिर पार्टी के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता है। सीबीआई बोफोर्स तोप सौदे की जांच फिर शुरू करने के लिए केंद्र सरकार से इजाजत मांगने वाली है। संसद की पब्लिक अकाउंट्स कमिटी (PAC) के निर्देश पर सीबीआई ऐसा करने वाली है।

कैग की लंबित रिपोर्ट्स की जांच कर रही PAC की एक उप-समिति के अध्यक्ष BJD नेता भातृहरि माहताब ने सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा से गुरुवार को कहा कि वे बोफोर्स सौदे के ‘सिस्टैमिक फेल्यर’ और घूस लेने के आरोपों की फिर जांच करें।

सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा को लोक लेखा समिति से संबद्ध रक्षा मामलों की उपसमिति के सदस्यों के सवालों का सामना करना पड़ा कि सीबीआई ने उस समय सुप्रीम कोर्ट में गुहार क्यों नहीं लगायी, जब दिल्ली हार्इकोर्ट ने 2005 में मामले की कार्यवाही निरस्त कर दी थी।

1980 के दशक में जबरदस्त राजनीतिक भूचाल आया था

छह सदस्यीय पीएसी की रक्षा मामलों पर उपसमिति बोफोर्स तोप सौदे पर 1986 की कैग रिपेार्ट के कुछ खास पहलुओं का अनुपालन नहीं किये जाने को लेकर गौर कर रही है।

गाैरतलब है कि बोफोर्स तोपों की खरीद के लिए दी गयी दलाली को लेकर 1980 के दशक में जबरदस्त राजनीतिक भूचाल आया था और इस कांड के चलते 1989 में राजीव गांधी की सरकार भी गिर गयी थी। गोड्डा से भाजपा के सांसद दुबे के मुताबिक, सीबीआई ने 2005 में हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने का भी मन बना लिया था, लेकिन तत्कालीन यूपीए सरकार ने इसकी इजाजत नहीं दी थी।

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