ईवीएम में कैद हुआ ‘जनादेश’

Captured 'mandate' in EVM

 सरसा में 20 तो हिसार में 28 उम्मीदवारों की तकदीर बंद
निगाहें अब 23 मई पर
कई मतदान केंद्रों पर ईवीएम व वीवीपैट में आई तकनीकी खराबी

सच कहूँ न्यूज हिसार/सरसा। लोकसभा चुनाव के छठे चरण में रविवार को हुए मतदान को लेकर हिसार व सरसा के मतदाताओं में काफी उत्साह देखने को मिला। हिसार में जहां देर शाम तक 67.06 फीसद तो सरसा में 65.44 फीसद वोटिंग हुई। सरसा लोकसभा सीट के 20 तो हिसार लोकसभा सीट के 28 उम्मीदवारों की किस्मत ईवीएम में लॉक हो गई। अब भाग्य किसका साथ देता है, इसका फैसला 23 मई को हो जाएगा। मतदान केंद्रों पर सुबह-सवेरे ही मतदान केंद्रों पर मतदाताओं की लाइनें लगनी शुरू हो गई थी जो देर शाम तक जारी रही। एक-दो स्थानों पर ईवीएम में गड़बड़ी की शिकायतों को छोड़कर सरसा में शांतिपूर्ण तरीके से मतदान संपन्न हो गया। मतदान को लेकर जिला प्रशासन ने पुख्ता प्रबंध कर रखे थे। जैसे-जैसे दिन चढ़ता गया वैसे-वैसे मतदान प्रक्रिया में भी तेजी आती गई। बता दें कि सरसा लोकसभा क्षेत्र में कुल 20 प्रत्याशी अपनी किस्मत आजमा रहे हैं, जिनका भाग्य ईवीएम में बंद हो गया है। सरसा संसदीय सीटों पर चुनावी समर में उतरे 20 प्रत्याशियों के समर्थन में मतदाताओं ने मतदान किया। चुनाव आयोग की ओर से मतदान के लिए सुबह 7 बजे से शाम 6 बजे तक का समय निर्धारित किया गया है। शहर के अधिकांश मतदाताओं ने अपने निर्धारित बूथों पर सुबह सवेरे ही मतदान किया। वहीं हुडा सेक्टर स्थित राजकीय स्कूल में बने बूथ में मशीन खराब हो गई थी, इसलिए वोट डालने वाले मतदाताओं को काफी परेशानी हुई। उपायुक्त को मशीन संबंधी खराबी की सूचना देने के करीब एक घंटे बाहर ही केंद्र पर दूसरी मशीन लाई गई और उसके बाद ही मतदान की प्रक्रिया सुचारू रूप से चली।

दिखाई दिया पहली बार वोट डालने का जुनून

अहम बात यह रही कि इस बार पहली बार मतदान करने वाले युवाओं की संख्या भी अच्छी खासी रही। इसी कड़ी विद्यार्थी राघव मेहता ने कहा कि उन्हें एक नया सा एहसास हुआ कि देश की सरकारों के गठन में उसका वोट भी अहम स्थान रखेगा। पहली बार मतदान केंद्र तक पहुंचकर और उसकी तमाम प्रक्रियाओं से गुजरना निश्चित ही उन्हें सुखद एहसास करा गया जो ताउम्र याद रहेगा। वीटा मिल्क प्लांट की कर्मचारी और पहली बार मतदान करने वाली हन्नी मेहता ने कहा कि अपने परिवार के बड़ों बुजुर्गों से अब तक केवल मतदान की प्रक्रिया के संदर्भ में सुनती आई थी मगर आज पहली बार जब स्वयं मतदान करने कतार में लगी तो देश की लोकतांत्रिक प्रणाली की ताकत का एहसास हुआ और यह ताकत एक मतदाता के रूप में ही महसूस हुई। अमेरिका से केवल और केवल मतदान करने के लिए आई सरसा निवासी डॉ. प्रीति कहती हैं कि देश विदेश में कोई व्यवसायिक स्तर पर कितना भी व्यस्त क्यों न हो, मगर उसे अपने देश की लोकतांत्रिक प्रणाली को मजबूत बनाने के लिए यह आवश्यक है कि वह मतदान करे।

बुजुर्गों ने भी उत्साह के साथ किया मतदान

सरसा में विभिन्न केंद्रों पर बुजुर्गों ने उत्साह के साथ मतदान किया। कई स्थानों पर उनके परिजन बुजुर्गों का सहारा देकर मतदान केंद्र तक लेकर आए।

गांवों में ज्यादा थी मतदान की गति

बेशक पूरे संसदीय क्षेत्र में मतदान की प्रक्रिया सुबह 7 बजे से शुरू हो चुकी थी और मतदान केंद्र में तमाम अधिकारी एवं कर्मचारी ड्यूटी पर पूरी तरह से मुस्तैद नजर आए मगर सुबह से लेकर दोपहर तक की अवधि की अगर बात करें तो महज ग्रामीण एरिया के बूथों पर ज्यादा भीड़ दिखी। ग्रामीण इलाकों में लोग सुबह से ही लाइनों में लग गए और वोट करते नजर आए जबकि शहरी क्षेत्रों में सुबह से लेकर दोपहर तक मतदान प्रतिशत कम रहा था। ऐसे में साफ कहा जा सकता है कि शहरों की अपेक्षा गांवों में मतदान की गति कहीं अधिक थी।

गणना तक लगते रहेंगे कयास

रविवार को मतदान हो चुका है और सरसा संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे बीस उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला भी ईवीएम में कैद हो गया है लेकिन अब सवाल यही है कि आखिर सरसा की जनता ने किसके सिर पर सांसद का ताज रखा है? मतदान के बाद से हर कोई इधर-उधर से रिपोर्ट जुटाकर अमुक के हारने-जीतने का आंकलन करता दिखा। कमोबेश ऐसी स्थिति 22 मई तक रहेगी और 23 मई को जनादेश सबके सामने होगा। यही नहीं कि आमजन ही इसी हिसाब में लग हुआ है कि कौन कितने से और कैसे हारा अथवा जीता बल्कि इस गणित को समझने के लिए प्रत्याशी भी अपने अपने अकल के घोड़े दौड़ाने में मशगूल हो गए हैं।

पिंक बूथ रहे चर्चा का विषय

प्रत्येक विधानसभा सेग्मेंट में 1-1 पिंक बूथ बनाया गया था जहां मतदान करवाने से लेकर सुरक्षा व्यवस्था तक की समस्त जिम्मेदारियां महिला अधिकारियों व कर्मचारियों ने संभाली। पिंक बूथों की अच्छी प्रकार साज-सज्जा की गई थी जिसे देखकर मतदाताओं ने काफी प्रसन्नता व्यक्त की। उपायुक्त अशोक कुमार मीणा ने स्वयं कई पिंक बूथों का निरीक्षण किया और यहां की व्यवस्था देखकर काफी प्रसन्नता व्यक्त की।

कम्युनिकेशन एप रहा कारगर

प्रदेश में पहली बार हिसार में कम्युनिकेशन एप का प्रयोग किया गया। इससे नियंत्रण केंद्र पर मौजूद अधिकारियों द्वारा मतदान केंद्रों पर तैनात अधिकारियों-कर्मचारियों के साथ समय व्यर्थ किए बिना त्वरित संवाद संभव हो सका। इस एप पर प्रत्येक मतदान केंद्र से संबंधित सात अधिकारियों-कर्मचारियों के मोबाइल नंबर व अन्य जानकारियां इस प्रकार रखी गई थी कि जरूरत पड़ने पर तत्काल उनसे संपर्क किया जा सके। उपायुक्त अशोक कुमार मीणा ने नियंत्रण केंद्र से दर्जन भर मतदान केंद्रों से संपर्क करके वहां की स्थिति के बारे में फीडबैक लिया। प्रत्येक कॉल में आधे मिनट से भी कम समय लगा। उपायुक्त ने बताया कि कई बार झूठी शिकायतें मिलने पर मतदान केंद्रों पर टीमें भेजनी पड़ती थीं लेकिन कम्युनिकेशन एप होने से शिकायत मिलते ही एक मिनट के भीतर मतदान केंद्र की वास्तविक स्थिति की जानकारी प्राप्त कर ली गई जिससे गलत रिपोर्टिंग से बचने में मदद मिली।

बनाए गए थे सेल्फी प्वाइंट्स

विभिन्न मतदान केंद्रों पर मतदाताओं के लिए सेल्फी प्वाइंट्स भी बनाए गए थे जिसके प्रति युवा मतदाताओं में काफी क्रेज दिखा। अनेक मतदाताओं ने मतदान उपरांत सेल्फी प्वाइंट्स पर खड़े होकर अंगुली पर स्याही के निशान को दिखाते हुए सेल्फी ली और इसे सोशल मीडिया पर प्रसारित करने का दौर दिनभर चला।

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